सरकार में गृहमंत्री – मुख्यमंत्री एक ही है चाहे जिसका फोन टैप करा लो, सब है सरकार के हाथ में- कटारिया

राजस्थान में राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासत गर्म, नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने साधा सीएम गहलोत पर निशाना, 'जो विधायक कुछ दिनों पहले तक मीडिया में सरकार के खिलाफ दे रहे थे बयान, उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो खुद को जादूगर कहते हैं उन्होंने आखिर ऐसा कौन सा प्रलोभन दिया या कौन सा दबाव बनाया जो अब उन्हें कर रखा है होटलों में कैद,' वहीं 2020 में आये सियासी संकट का भी कटारिया ने किया जिक्र

गहलोत सरकार की आधिकारिक फोन टैपिंग पर शुरू हुआ बवाल
गहलोत सरकार की आधिकारिक फोन टैपिंग पर शुरू हुआ बवाल

Politalks.News/Rajasthan/RajysabhaElection. राजस्थान में राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान चरम पर है. 10 जून को प्रदेश की 4 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी अपने अपने विधायकों के साथ बाड़ेबंदी में कैद है. तो वहीं मुख्य सचेतक महेश जोशी ने राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर हॉर्स ट्रेडिंग की संभावनाओं को देखते हुए ACB में शिकायत दर्ज करवाई है. लेकिन इसके बाद से प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार पर राज्यसभा चुनाव में भी फ़ोन टैपिंग के आरोप लग रहे हैं. मुख्य सचेतक महेश जोशी द्वारा ACB में दर्ज करवाई गई शिकायत के अनुसार अब औपचारिक रूप से फोन टेप किए जा सकते हैं. इसे लेकर अब नेता प्रतिपक्ष एवं बीजेपी दिग्गज नेता गुलाब चंद कटारिया ने सवाल उठाए हैं. कटारिया का कहना है कि, ‘आखिर सरकार ने इस बार विभाग को ऐसे कौनसे तर्क दिए हैं जिसकी वजह से उन्हें फोन टैपिंग का अधिकार दिया गया.’

प्रदेश में 4 सीटों पर हो रहे राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस लगातार भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग करने का आरोप लगा रही है. विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका को लेकर जहां कैबिनेट मंत्री और विधानसभा में मुख्य सचेतक में जोशी ने रविवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत दर्ज कराकर इस मामले की जांच करने को कहा था तो वहीं सोमवार को हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों को लेकर महेश जोशी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की. अब इसे लेकर प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है, कतिथ रूप से सियासी संकट के समय बिना किसी जानकारी के जनप्रतिनिधियों के फोन टेप किए गए थे लेकिन इस बार सरकार पूरी सतर्कता के साथ आगे बढ़ रही है लेकिन इसे लेकर बीजेपी ने मोर्चा खोल दिया है.

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नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘प्रदेश सरकार ने इस बार राज्यसभा के चुनाव में अपनी सभी हदें पार कर दी हैं. फोन टैपिंग के अधिकार होम सेक्रेट्री तब देता है, जब देशद्रोह या कोई ऐसी बहुत बड़ी स्थिति बने, जिससे देश व प्रदेश को बहुत बड़ा नुकसान होने वाला हो. राजस्थान में सरकार भी कांग्रेस की और गृह विभाग के मुखिया भी खुद मुख्यमंत्री हैं, चाहे जिसका फोन टैप करा लो और उसकी परमिशन ले लो, सब सरकार के हाथ में ही है.’ सीएम गहलोत से सवाल पूछते हुए कटारिया ने कहा कि, ‘सीएम को यह बताना चाहिए कि आखिर विभाग को ऐसे कौन से तर्क दिए गए, जो इन चुनावों में फोन टैपिंग कराने का अधिकार दिया गया. राजस्थान की जनता देख रही है कि मुख्यमंत्री जो गृह मंत्री भी हैं, अपने विभाग को दबाव में लेकर इस प्रकार अनाधिकृत रूप से फोन टैपिंग करवाते हैं.’

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राजस्थान सरकार पर उपजे सियासी संकट का जिक्र करते हुए कटारिया ने कहा कि, ‘पिछली बार सियासी संकट के दौरान भी प्रदेश सरकार ने अनाधिकृत रूप से फोन टैप कराए थे. इसका ऑडियो वायरल होने के बाद विधानसभा में भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया और एक बड़ा विवाद खड़ा हुआ. अब मंत्री महेश जोशी विभाग में पहले जबरन की शिकायत दर्ज कराते हैं, ताकि उसके आधार पर विभाग फोन टैपिंग के लिए होम सेक्रेट्री से अनुमति ले और चाहे जिसके फोन टैप करवाकर दबाव बनाएं.’ वहीं कुछ दिन पहले सरकार से नाराज चल रहे निर्दलीय एवं कांग्रेस विधायकों का जिक्र करते हुए कटारिया ने कहा कि, ‘जो विधायक कुछ दिनों पहले तक मीडिया में सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे, उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो खुद को जादूगर कहते हैं उन्होंने आखिर ऐसा कौन सा प्रलोभन दिया या कौन सा दबाव बनाया जो अब उन्हें होटलों में कैद कर रखा है.’

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गुलाब चंद कटारिया ने आगे कहा कि, ‘राज्यसभा चुनाव कोई बहुत बड़ी बात नहीं है, लेकिन जिन मर्यादाओं को मुख्यमंत्री तोड़ रहे हैं, वह राजस्थान को भविष्य में बहुत कष्ट देगा.’ सियासी जानकारों का कहना है कि, ‘अगर विभाग को हॉर्स ट्रेडिंग या धांधली की किसी भी प्रकार की शिकायत प्राप्त होती है तो जांच एजेंसी विधिवत तरीके से फोन टैपिंग कर सकती हैं.’ साल 2020 में जब सरकार पर सियासी संकट आया था तो प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार पर गलत तरीके से से फोन टैपिंग के आरोप लगे थे लेकिन अब दोबारा इस तरह की गलती ना हो, सरकार इसका पूरा ध्यान रख रही है. यही वजह है कि नियमों का पालन करते हुए प्रदेश सरकार की ओर से जांच एजेंसी को लिखित में शिकायत दी गई है. जिससे संदिग्धों के फोन को विधिवत तरीके से सर्विलांस पर लेकर नजर रखी जा सके और फोन टैपिंग की जा सके.

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