कोरोना संकट पर पहले से जारी अदावत को हेमाराम चौधरी के इस्तीफे ने दी नई सियासी ऑक्सीजन

गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का बैठे-बिठाए सियासी मुद्दा मिल गया, चौधरी के इस्तीफे के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखवात और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस और गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा और सरकार के जहाज के कभी भी डूबने की बात कही

चौधरी के इस्तीफे के बाद मचा सियासी बवाल
चौधरी के इस्तीफे के बाद मचा सियासी बवाल

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में जारी कोरोना संक्रमण के महासंकट और ताऊ-ते तूफान की आहट के बीच प्रदेश सत्ता पर संकट के बादल मंडरा गए हैं जिसके चलते सियासी तूफान की आंशका जताई जा रही है. प्रदेश की सियासत में उफान तब आया जब मंगलवार को सचिन पायलट गुट के असंतुष्ट कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी के अचानक से इस्तीफे की खबर आई. हालांकि मानने में नहीं आता लेकिन बताया जा रहा है कि हेमाराम चौधरी की इस्तीफे की जानकारी खुद सचिन पायलट को मीडिया से ही मिली. खैर, प्रदेश में कोरोना प्रबंधन को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच पहले से जारी सियासत को नई ऑक्सीजन मिल गई. गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का बैठे-बिठाए सियासी मुद्दा मिल गया है. चौधरी के इस्तीफे के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखवात और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस और गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा है. प्रदेश भाजपा ने इसे कांग्रेस सरकार के जहाज में छेद बताते हुए कभी भी डूबने तक की बात कह दी है.

हेमाराम चौधरी के इस्तीफे पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि, ‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से राज्य में ना कोरोना प्रबंधन संभल रहा और ना कांग्रेस पार्टी. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे से कांग्रेस का अंतर्कलह जनता के सामने आ चुका है, अब अशोक गहलोत इसका दोष किसे देंगे? विधानसभा सत्र के दौरान भी हेमाराम चौधरी अपनी पीड़ा जाहिर कर चुके थे, जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने का मुद्दा भी उठाया था, सड़कों की सीबीआई जांच की मांग भी की थी. कांग्रेस के इस अंदरूनी झगड़े के कारण प्रदेश में विकास कार्य नहीं होने से आमजन परेशान हैं, कर्जमाफी नहीं होने से किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और भर्तियां पूरी नहीं होने से युवा निराश हैं.’

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बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने आगे कहा कि हेमाराम चौधरी का इस्तीफा कांग्रेस का अंदरूपनी मामला है, लेकिन उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं के समाधान नहीं होने से तंग होकर इस्तीफा दिया है. इस सरकार में जब 6 बार के विधायक की सुनवाई नहीं हो रही तो जनता उससे क्या उम्मीद करे? इससे यह भी साबित हो गया कि कांग्रेस में न आंतरिक लोकतंत्र बचा है और न विधायकों का सम्मान बचा है.

वहीं केंद्रीय मंत्री और जोधपुर सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी पर तंज कसते हुए अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा कि, ‘विशेष सूचना: हेमाराम जी का इस्तीफा और गोविंद सिंह जी का उनसे बात करना कांग्रेस के अंदरूनी कलह का हिस्सा है…. चलो अबकी बार ये तो नही कहा कि इसमें भी अमित शाह या मोदी जी का हाथ है!’

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हेमारामजी ने कभी बनावटी बात नहीं की, इस बार वे शुरु से ही परेशान थे- कटारिया
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि हेमाराम चौधरी के बार-बार कहने के बावजूद भी जनता की समस्याओं के समाधान नहीं हुआ तो उन्होंने इस्तीफा देना ही उचित समझा. वे पहले भी इसके संकेत दे चुके थे. आज उन्होंने वही काम किया है. मुझे लगता है राजस्थान की विधानसभा में बिरले ही ऐसे केस हुए होंगे कि कोई विधायक अपनी जनता की समस्याओं का समाधान नहीं होने पर अपनी सदस्यता छोड़ रहा है. उनके इस्तीफे पर विचार करने की जरूरत है.

सरकार के जहाज में सुराख हो चुका,यह कब डूब जाए पता नहीं- राजेन्द्र राठौड़
वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस में अधिनायकवाद इतना पनप गया कि 6 बार के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी की लगातार अनदेखी की गई, इसकी वजह से उन्हें मजबूरन अपना इस्तीफा देना पड़ा. सरकार के जहाज के पैंदे में सुराख हो गया है, इस्तीफे के बाद पानी भरना शुरू हो गया है. जहाज कब डूब जाएं पता नहीं. इससे कांग्रेस का अंतर्विरोध सामने आ ही गया. हेमाराम चौधरी का इस्तीफा इस बात का प्रतीक है कि कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सरकार में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया.

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