हरियाणा कांग्रेस के भीतर इन दिनों विचित्र तस्वीर देखने को मिल रही है. कभी विधायक किसी एक पक्ष की तरफ अपनी लामबंदी दिखाते हैं तो कभी प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर चुनाव में सभी सीटों पर नए चेहरों को चुनाव लड़ाने की वकालत करते हैं. लेकिन इन वरिष्ठ नेताओं का ध्यान पार्टी की स्थिति प्रदेश में कैसे सुधरे, उस पर बिल्कुल भी नहीं है.
अगस्त से हरियाणा विधानसभा का अंतिम सत्र शुरु होने जा रहा हैं. अब इनेलो में टूट के बाद उसकी हैसियत ऐसी नहीं है कि वो मुख्य विपक्षी दल के रुप में रह सके. इनेलो को 2014 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर जीत मिली थी. 6 महीने पूर्व दुष्यंत चौटाला ने इनेलो छोड़ जननायक जनता पार्टी का गठन किया था. उस समय उनके साथ चार विधायकों ने भी इनेलो को अलविदा कहा था. इनमें डबवाली से नैना चौटाला, चरखी-दादरी से राजवीर फौगाट, नरवाना से पिरथी सिंह नंबरदार, उगलाना से अनूप धानक शामिल हैं.
वर्तमान में पार्टी के विधायकों की संख्या 11 के आसपास हैं. पार्टी के 2 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया हैं. वहीं पार्टी के दो विधायकों का निधन हो चुका हैं. विधायक के निधन के बाद हुए जींद उपचुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी के प्रत्याशी उम्मेद सिंह रेढु की जमानत जब्त हो गई थी.
अब इनेलो के बाद सदन में मुख्य विपक्षी दल बनने का नंबर कांग्रेस का हैं. पार्टी के विधानसभा में 17 विधायक हैं. पार्टी को 2014 के चुनाव में 15 सीटों पर जीत मिली थी. दो विधायक कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के हैं. बिश्नोई ने 2016 में अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया था जिसके बाद पार्टी के विधायकों की संख्या 17 हो गयी.
विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर को विपक्ष के नेता का नाम बताने के लिए चिठ्ठी लिख चुके हैं लेकिन अभी तक तंवर की ओर से कोई जवाब नहीं आया हैं. यह विधानसभा का आखिरी सत्र हैं लेकिन कांग्रेस इसके लिए बिल्कुल भी संजीदा नहीं दिखाई दे रही है.
तंवर के सामने विपक्ष के नेता का नाम विधानसभा अध्यक्ष को देने में यह समस्या हैं कि हुड्डा गुट में वर्तमान में 13 विधायक हैं. अगर तंवर किसी का नाम देते भी हैं तो भी उसे अध्यक्ष नहीं बना पाएंगे. हालांकि विधानसभा में पार्टी की नेता किरण चौधरी नेता विपक्ष के पद के लिए स्वयं की दावेदारी जता चुकी हैं लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी दावेदारी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. अब कांग्रेस के इस ढुलमुल रवैये के बाद विधानसभा का आखिरी सत्र बिना नेता विपक्ष के ही संपन्न होता दिखाई दे रहा है.