पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान सरकार द्वारा गुर्जर सहित पांच घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जातियों के लिए आरक्षित पांच प्रतिशत एमबीसी आरक्षण (MBC reservation) कोटे में मुस्लिम मिरासी समाज की जातियों को शामिल करने की मंशा का गुर्जर समाज ने भारी विरोध किया है. गुर्जर समाज ने राजस्थान सरकार को सात दिन का समय देते हुए चेतावनी दी है कि ऐसी किसी भी कोशिश को तुरंत रोका जाए अन्यथा समाज इसे बर्दाश्त नहीं करेगा. गुर्जर समाज सात दिन बाद सरकार के रूख को देखते हुए आगे का निर्णय लेगा. (Himmat Singh Gurjar)
गौरतलब है कि राजस्थान में राज्य पिछडा वर्ग आयोग ने हाल में गुर्जरों सहित पांच जातियों के पांच प्रतिशत के विशेष आरक्षित कोटे में मुस्लिम मिरासी समाज की दस जातियों को शामिल करने के लिए सरकार ने जिलों से इनके शैक्षिक, सामाजिक, राजनीतिक स्थिति की जानकारी मांगी है. सरकार की इस कवायद के बाद से गुर्जर समाज में आक्रोश है. इसी को लेकर शनिवार को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की आपात बैठक जयपुर में की गई थी. इस बैठक में देवनारायण योजना के लिए बजट आवंटित करने और देवनारायण बोर्ड गठित करने की मांग भी की गई थी.
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इस मामले को लेकर गुर्जर नेताओं में सरकार के प्रति इतना आक्रोश है कि समाज के नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने (Himmat Singh Gurjar) सोमवार को समाज के प्रिय नेता और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर कई सवाल उठाये. हिम्मत सिंह ने टवीट करते हुए कहा कि “मान्नीय उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जी आपने विधानसभा चुनाव के वक़्त गुर्जर समाज से कहा था आप साथ दो तो मैं अकेले ही कबड्डी खेल जाऊगां, समाज ने आपका साथ दिया. गु्र्जर समाज ने बड़े बलिदान के बाद देवनारायण योजना प्राप्त की हैं. यह योजना बंद होने की कगार पर हैं. कबड्डी देना भूल गये“.
मा.उपमुख्यमंत्री श्री @SachinPilot जी आपने विधानसभा चुनाव के वक़्त गुर्जर समाज से कहाँ था आप साथ दो तो मैं अकेले ही कबड्डी खेल जाऊगां,समाज ने आपका साथ दिया…गु्र्जर समाज ने बड़े बलिदान के बाद #देवनारायण_योजना प्राप्त की हैं..यह योजना बंद होने की कगार पर हैं..कबड्डी देना भूल गये।
— HIMMAT SINGH GURJAR🧢 (@himmatsinghgur1) November 18, 2019
गुर्जर नेता हिम्मत सिंह (Himmat Singh Gurjar) ने दूसरा टवीट करते हुए कहा कि, “सचिन पायलट जी आपके दर पर प्रतिदिन जनसुनवाई में एमबीसी युवा रीट भर्ती-18, नर्सिग भर्ती-13, रिज़र्व पदों पर 4 फीसदी आरक्षण देने की माँग पर चक्कर लगा रहे हैं. आप इनकी वेदना पर कब नज़रें इनायत करेगें. आप कबड्डी खेलना भूल गये या कबड्डी खेलने का सिर्फ जुमला ही था.”
मा.उपमुख्यमंत्री @SachinPilot जी आपके दर पर प्रतिदिन जनसुनवाई में #एमबीसी युवा..रीट भर्ती-18, नर्सिग भर्ती-13,रिज़र्व पदों पर 4%आरक्षण देने की माँग पर चक्कर लगा रहे हैं..आप इनकी वेदना पर कब नज़रें इनायत करेगें..आप कबड्डी खेलना भूल गये या देना ..कबड्डी खेलने का सिर्फ जुमला ही था। https://t.co/ViBrQGSCwm
— HIMMAT SINGH GURJAR🧢 (@himmatsinghgur1) November 18, 2019
बता दें, प्रदेश में एमबीसी आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से गरमा गया है. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला इस मामले में पहले ही सरकार को सात दिनों की चेतावनी दे चुके हैं. राज्य सरकार ने गुर्जरों सहित पांच जातियों को दिए गए एमबीसी आरक्षण में से मुसलमान को आरक्षण के लिए सर्वे कराने का फैसला लिया है जिससे गुर्जर समाज में आक्रोश व्याप्त हो गया है.
गुर्जर समाज के लोगों ने साफ कहा है कि उनके कोटे से किसी अन्य जातियों को आरक्षण दिया तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पहले ही उनको वांछित आरक्षण नहीं मिल रहा. इसके बाद भी निर्धारित कोटे से अन्य जातियों को आरक्षण देने की तैयारी है. यदि ऐसा किया तो प्रदेश का गुर्जर समाज आंदोलन की राह पकड़ेगा. दूसरी जातियों को एसबीसी में आरक्षण का लाभ देना गुर्जर समाज को कतई मंजूर नहीं होगा.
आदरणीय राजस्थान में आज भी एक समाज अपनी वास्तविक पहचान से बहुत दुर है, मै बात कर रहा हूँ बारेट समाज की।इस समाज को क्षेत्रीय भाषा में लोग केहि नामों से संबोधित करते हैं जैसे, राव, रावल, ढोली,यह बारेट समाज के प्रयावाची नाम है।यह भी सच्चाई है कि बारेट ढोल बजाते हैं इस लिए इन्हें ढोली भी कहते है ,जबकि ढोली कोई जाती नहीं है यह एक जातिसूचक शब्द है।यह समाज राव, रावल, को सम्मानजनक नाम मानता है और इस समाज के 90%लोग इस नाम के साथ पहचान बनाएं हुए हैं।यह नाम राव, रावल ,इस समाज के यजमानों के द्वारा दी हुई एक उपाधि है, और इनको राव या रावल के नाम से ही संबोधित करते हैं।
लेकिन राजस्थान सरकार इस समाज की बीना जानकारी लिए ही इस समाज को दो केटेगरी मे मानती है, राव, बारेट, को ओबीसी कोटे में और रावल ढोली को एससी केटेगरी मे जबकि हकीकत यह है कि यह अलग अलग नहीं बल्कि एक ही समाज हैं।इस दो केटेगरी के कारण यह समाज सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से भी वंचित हैं, और अपने वास्तविक अधिकार से भी।इसकी एक ही वजह है राजस्व रिकार्ड, क्योंकि राजस्व रिकार्ड में इस समाज का नाम बारेट दर्ज हैं।और बारेट को सरकार ओबीसी कोटे मे मानती हैं, और इस समाज के अगर किसी व्यक्ति का राजस्व रिकॉर्ड नहीं है अर्थात भूमिहीन हैं उसको ढोली या रावल मानकर एससी का प्रमाणपत्र दे दिया जाता हैं।
महोदय राजस्थान विधानसभा में जितने भी निर्वाचित सदस्य हैं सब जानते है लेकिन इस समाज की मांग को कोई नहीं उठना चाहता।इस समाज की स्थिति आज भी देखने लायक है।
धन्यवाद
राजेश कुमार रावल
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