पाॅलिटाॅक्स न्यूज/गुजरात. प्रदेश में राज्यसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक विधायकों के इस्तीफे से परेशान कांग्रेस के समझ में नहीं आ रहा है कि वो क्या करे और क्या ना करे? एक के बाद एक गिर रहे विकेट को बचाने के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर रिसोर्ट की शरण ले ली है. 48 घंटे में कांग्रेस के तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. इस तरह अब तक कुल 8 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. गुजरात कांग्रेस ने अपने बचे 65 विधायकों को सुरक्षित रखने के लिए अब रिजॉर्ट का सहारा लिया है.
कोरोना की इस महामारी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए गुजरात कांग्रेस ने अपने विधायकों को तीन टीमों में विभाजित कर दिया है. सभी विधायकों की जिम्मेदारी गुजरात कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं को दी गई है. विधायकों को 20, 20 और 25 की टीम में रखा गया है. कुछ विधायकों को बनासकांठा जिले के अंबाजी के पास एक रिजॉर्ट में रखा गया है. वहीं 25 विधायकों को गुजरात से सटे राजस्थान के सिरोही जिले के एक रिसोर्ट में ठहराया गया है.
बता दें, 19 जून को गुजरात की 4 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. इससे पहले प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के खेमें में विधायकों की कमी होती जा रही है. मार्च में हुई राज्यसभा चुनावों की घोषणा से पहले कांग्रेस के पास कुल 73 विधायक थे. इनमें से अभी तक 8 विधायक स्तीफा दे चुके हैं. पांच विधायकों ने मार्च में ही इस्तीफा दे दिया था, उसके बाद कोरोनाकाल के चलते चुनाव स्थगित हो गए थे.
अब जब से राज्यसभा चुनाव के किए नई तारीख का एलान हुआ है उसके बाद से अभी तक पिछले तीन दिनों में तीन विधायक कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं. अब कांग्रेस के पास 65 विधायक बचें हैं. ऐसे में क्रास वोटिंग से डरे कांग्रेस नेताओं ने अपने विधायकों को बचाने के लिए एक बार फिर से रिसोर्ट की शरण ली है. इससे पहले मार्च में 5 विधायक खोने के बाद कांग्रेस को जयपुर स्थित एक रिसोर्ट में शरण लेनी पड़ी थी.
राज्यसभा की 4 सीटों के लिए होने हैं चुनाव
19 जून को राज्यसभा की 18 सीटों के लिए चुनाव होने हैं, इनमें से 4 सीटें गुजरात की हैं. इन 4 सीटों में से 3 पर भाजपा और 1 पर कांग्रेस काबिज थी. अभी हाल ही में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद गुजरात में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई और उसके 73 विधायक निर्वाचित हुए। वहीं गुजरात विधानसभा में सत्तारूढ भाजपा के पास 103 विधायक है. इस लिहाज से कांग्रेस की स्थिति राज्यसभा सीटों को लेकर मजबूत बनी हुई है.
क्या हुआ था मार्च में
राज्यसभा की 4 सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना था लेकिन कोराना वायरस के कारण जारी लाॅकडाउन के चलते यह चुनाव स्थगित हो गया था. लेकिन इस चुनाव से पहले गुजरात कांग्रेस में घमासान मच गया था. कांग्रेस के पांच विधायकों ने अचानक एक के बाद एक स्तीफे दे दिए. इससे कांग्रेस सकते में आ गई. कांग्रेस के नेताओं ने विधायकों को बचाने के लिए राजस्थान के जयपुर स्थित एक रिसोर्ट में शरण ली. चूंकि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार है.
भाजपा को है एक सीट खोने का डर
गुजरात विधानसभा में भाजपा के मौजूदा विधायकों की संख्या को देखते हुए राज्यसभा में उसके एक सीट खोने का डर है. वहीं कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर है. गुजरात के भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने पाटीदार उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया और पार्टी में असंतोष भी है, इसका लाभ भाजपा को मिलेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि भाजपा तीनों सीटें जीतेगी.
गुजरात में राज्यसभा सीट जीतने का गणित
180 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में भाजपा के 103 विधायक हैं. उसे एनसीपी के एक और बीटीपी के दो विधायकों का समर्थन है. ऐसे में उसके पास कुल 106 विधायकों का समर्थन है. कांग्रेस के पास 73 विधायक हैं. निर्दलीय जिग्नेश मेवाणी के समर्थन से उसका संख्या बल 74 का है. राज्य की एक विधानसभा सीट जीतने के लिए 37 वोट की जरूरत होगी. ऐसे में भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट आसानी से मिल जाएगी. चौथी सीट पर का फैसला दूसरी वरीयता के वोट से होगा. भाजपा तीन सीट जीतने का दावा कर रही है, यही कारण है जिसके चलते कांग्रेस को विधायकों के टूटने का डर सता रहा है.
कांग्रेस ने लगाया खरीद फरोख्त का आरोप
8 विधायकों के इस्तीफे से राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेसी खेमे में खलबली मच गई है. पार्टी ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है और अपने 65 विधायकों को रिजॉर्ट में भेज दिया है. प्रदेश की 4 सीटों पर राज्यसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी किसी भी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है.
गुजरात कांग्रेस ने अपने 65 विधायकों को अलग-अलग जोन में रिजॉर्ट में भेज दिया है. उत्तरी क्षेत्र के 21 विधायकों को अम्बाजी रिजॉर्ट में भेजा गया है. सूत्रों के मुताबिक, हर जोन की जिम्मेदारी कांग्रेस के बड़े नेताओं को सौंपी गई है. पार्टी के इस फैसले से संगठन की आंतरिक कलह को लेकर सवाल उठने लगे हैं. बताया जा रहा है कि कांग्रेस की प्रदेश इकाई में सब कुछ ठीक नहीं है.
विधायकों में फूट
पार्टी के विधायकों में फूट पड़ने के भी कयास लगाए जा रहे हैं. बीते दिनों कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार की नाकामी को इंगित करते हुए कांग्रेस ने आशंका जाहिर की थी कि बीजेपी विधायकों की खरीद-फरोख्त में लगी है.
भाजपा ने 3, कांग्रेस ने उतारा 2 को मैदान में
गुजरात में राज्यसभा की चार सीटों के लिए 19 जून को मतदान होंगे. इस चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के कुल पांच उम्मीदवार मैदान में है. गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस मुरली कृष्ण ने कहा कि 19 जून को सुबह नौ बजे से अपराह्न चार बजे के बीच मतदान होगा. मतों की गिनती उसी दिन शाम पांच बजे शुरू होगी. यह चुनाव 26 मार्च को होने वाला था लेकिन कोरोना वायरस के कारण उसे स्थगित कर दिया गया थ. राज्यसभा की जो चार सीटें खाली हुयी हैं, उनमें से तीन भाजपा के पास थी जबकि एक सीट कांग्रेस के पास थी.
कांग्रेस ने वरिष्ठ नेताओं शक्तिसिंह गोहिल और भरतसिंह सोलंकी को मैदान में उतारा है वहीं भाजपा ने अभय भारद्वाज, रमीला बारा और नरहरि अमीन को मैदान में उतारा है. अगर भाजपा आखिरी समय में अमीन को उम्मीदवार नहीं बनाती तो चुनाव की जरूरत नहीं होती.
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8 विधायकों के इस्तीफों से बीजेपी को फायदा
राज्यसभा 4 सीटों के लिए बीजेपी के तीन और कांग्रेस के दो उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है। अब तक के गणित के लिहाज से बीजेपी सिर्फ दो सीटें ही जीत सकती थी लेकिन कांग्रेस के 8 विधायकों के इस्तीफे के बाद अब तीसरी सीट पर भी उसका पलड़ा भारी होता दिख रहा है. अब चौथी सीट के लिए दूसरी प्राथमिकता के आधार वोट पड़ेंगे जिससे बीजेपी के बाजी मारने की संभावना अधिक है.
शक्ति सिंह और भरत सिंह में से चुना जाएगा कोई एक
कांग्रेस को राज्यसभा की दो सीटें जीतने के लिए 74 विधायक चाहिए लेकिन अब उसके पास 65 अपने और 3 दूसरी पार्टियों के जोड़े तो भी 68 ही होते हैं. इसमें यह भी तय नहीं है कि ये तीनों विधायक कांग्रेस को समर्थन देंगे या नहीं. इस लिहाज से कांग्रेस के लिए दूसरी सीट पर जीतना लगभग नामुमकिन है. कांग्रेस अब अपने विधायकों की बदौलत से अभी एक सीट ही निकालती दिख रही है. यानी शक्ति सिंह और भरत सिंह में से एक ही जा पाएगा राज्यसभा, दोनों में से किसी एक की हार तय है.
गौरतलब है कि कांग्रेस ने चुनाव मैदान में अपने दो उम्मीदवार भरत सिंह सोलंकी और शक्ति सिंह गोहिल को उतारा है. उधर भाजपा के 3 उम्मीदवार मैदान में होने और कांग्रेस का वोटों का गणित बिगड़ने के बाद बचे 65 विधायकों से इन दोनों नेताओं में से एक की हार निश्चित है. यानी भाजपा 3 सीटें जीतती दिख रही है, इसलिए कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं में से एक को हार का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में अब न केवल कांग्रेस के विधायकों को दो उम्मीदवारों भरत सिंह और शक्ति सिंह के बीच राजी होना है, बल्कि विधायकों के भी दो समूहों में विभाजित होने की संभावना है.