‘बाबूजी’ अमर रहे के जयकारों के बीच कल्याण युग का अंत, याद करते हुए भावुक हुए राज्यपाल मिश्र

राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह अंतिम सफर पर, बुलंदशहर के नरौरा का आकाश गूंजा बाबूजी अमर रहे के नारों से, राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया याद, बताया बाबूजी बोलते थे,'कलराज रहेगा तभी तो कल्याण होगा', कभी कलराज और कल्याण की जोड़ी थी अभी की मोदी शाह के समान, मिश्र ने कल्याण सिंह को बताया दृढ़ संकल्प वाला नेता

स्वर्गीय कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा
स्वर्गीय कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा

Politalks.news/UttarPradesh. उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल को कल्याण सिंह पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं. स्व कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी. बीजेपी के दिग्गज नेता एवं राम मंदिर निर्माण संकल्प लेकर चलने वाले उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का शनिवार रात करीब सवा 9 बजे निधन हो गया था. कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार आज बुलंदशहर के नरौरा गांव में किया गया इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र सहित अन्य गणमान्य नेता मौजूद रहे. राम मंदिर आंदोलन से देश भर में चर्चा में आए कल्याण सिंह के निधन के बाद बीजेपी के तमाम नेताओं से लेकर हर कार्यकर्त्ता गमगीन हैं.

शनिवार रात उत्तरप्रदेश भाजपा का ‘कल्याण’ युग खत्म हो गया. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह ने लंबी बीमारी के बाद 89 साल की आयु में लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में शनिवार रात करीब 9:15 अंतिम सांस ली. बता दें, कि कल्याण सिंह पिछले काफी समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे और उन्हें चार जुलाई को संजय गांधी पीजीआई के आईसीयू में गंभीर अवस्था में भर्ती किया गया था. लंबी बीमारी और शरीर के कई अंगों के धीरे-धीरे फेल होने के कारण शुक्रवार रात कल्याण सिंह ने अंतिम सांस ली.

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निधन के बाद कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को अलीगढ़ के अहिल्याबाई होलकर स्टेडियम में रखा गया. इस दौरान कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन करने के लिए कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा. कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा के दौरान उनके समर्थक कार्यकर्ताओं ने सड़क को फूलों से पाट दिया. इसके बाद कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को अतरौली के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस से नरौरा के बंसी घाट लाया गया. इस दौरान पुलिस की ओर से पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.

कल्याण और कलराज की जोड़ी का था कभी दबदबा
यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के निधन के बाद न सिर्फ हर कोई उन्‍हें श्रद्धांजलि दे रहा है बल्कि उनके साथ बिताए हुए पलों को भी याद कर रहा है. इस बीच राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने उन्‍हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ‘कल्याण सिंह देश के ऐसे विरल राजनेता थे, जिन्होंने जन कल्याण के लिए ही सदा कार्य किया’. आपको बता दें कि एक वक्‍त यूपी में कल्‍याण और कलराज की जोड़ी का वैसा ही दबदबा था, जैसा आज देश की राजनीति में पीएम मोदी और अमित शाह का है.

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‘राजनीति में दृढ़ निश्चय और संकल्प वाले नेता थे कल्याण’- कलराज
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि, ‘राजनीति में दृढ़ निश्चय और संकल्प रख कार्य करने वाले और रिश्तों की गरिमा निभाने वाले कल्याण सिंह जैसे लोग बहुत कम होते हैं. मेरा सौभाग्य रहा है कि शुरू से ही आत्मीयता के साथ छोटे भाई सा स्नेह मुझे दिया’. यही नहीं, एक दौर में उत्तर प्रदेश में यह कहा जाने लगा था कि कल्याण सिंह-कलराज मिश्र की जोड़ी जब तक रहेगी, तब तक भाजपा की स्थिति कभी खराब नहीं हो सकती. इसके साथ मिश्र ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते वह सार्वजनिक सभाएं करते थे, तो मैं प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मंडल और ब्लॉक स्तर की सभाएं करता. यही नहीं, जब उनके भाजपा से संबंध खराब हो गए, तब भी मेरे उनसे पूर्ववत संबंध बने रहे’.

‘कलराज रहेगा तभी तो कल्याण होगा’- कलराज मिश्र
राज्यपाल कलराज मित्र ने कहा कि, ‘एक समय था, कल्याण सिंह अकसर लोगों से कहा करते थे कि, ‘कलराज रहेगा तभी तो कल्याण होगा’. राज्यपाल ने कहा कि, ‘किसी से संबंध खराब हो भी जाएं तो कटुता नहीं पालते थे. भाजपा की स्थापना के समय से ही हम आपस में अटूट रूप में जुड़ गए थे. 1991 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जब मुरली मनोहर जोशी थे, तब यह प्रश्न उठा था कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए. मुख्यमंत्री के लिए अचानक अटल बिहारी वाजपेयी का नाम चला था, लेकिन मैंने तब आग्रहपूर्वक प्रस्तावित किया था कि वाजपेयी के अंदर मैं भविष्य का प्रधानमंत्री पद देखता हूं. यूपी में कल्याण सिंह का बड़ा आधार बन सकता है, इसलिए उन्हें ही सीएम बनाया जाए. उस वक्‍त मैं यूपी का अध्‍यक्ष था. इसके बाद कल्याण सिंह यूपी के सीएम बने और वाजपेयी ने देश की सत्‍ता संभाली’.

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यूपी के पिछड़ों ने गंवाया अपना एक चिंतक- अमित शाह
कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा में भाग लेने पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, ‘कल्याण सिंह जी का निधन बीजेपी के लिए अपूरणीय क्षति है. उनके जाने के साथ ही बीजेपी ने अपना एक दिग्गज और हमेशा संघर्षरत रहने वाला नेता खो दिया है. देशभर और खासकर यूपी के पिछड़ों ने अपना एक चिंतक गंवाया है’. राम मंदिर आंदोलन का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि, ‘राम जन्मभूमि आंदोलन में कल्याण सिंह बड़े नेता रहे और इस आंदोलन के लिए उन्होंने सत्ता का त्याग करने में जरा भी नहीं सोचा. राम जन्मभूमि के शिलान्यास पर मेरी कल्याण सिंह जी से बात हुई थी और वो बड़े खुश होकर कह रहे थे कि मेरे जीवन का लक्ष्य पूरा हुआ’.

कल्याण सिंह अमर रहे नारों से गुंजायमान हुआ बंसी घाट
बंसी घाट पर कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार के लिए विशेष तौर पर चंदन, पीपल व आंवला की लकड़ियों को मंगवाया गया. बंसी घाट पहुंचने के बाद पंडितों ने मंत्रोचार के द्वारा अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया की. अंतिम संस्कार की प्रक्रिया की समाप्ति के बाद कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी. इस दौरान बंसी घाट पर कल्याण सिंह अमर रहें, बाबू जी अमर रहें के नारे का उद्घोष चारों और गुंजायमान था.

कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा में पहुंचे दिग्गज
कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान भाजपा के कई दिग्गज नेता वहां मौजूद रहे. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित यूपी भाजपा के कई दिग्गज नेता मौजूद रहे.

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कुछ ऐसा था कल्याण सिंह का सफर
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को हुआ था. 1991 में वो पहली बार उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे और उसके बाद वह दूसरी बार साल 1997 से 1999 सूबे के मुख्यमंत्री रहे. वह कल्याण सिंह ही थे जिनके मुख्यमंत्री रहते हुए 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हुई थी. हालांकि बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद भाजपा ने बसपा के साथ गठबंधन करके उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई. तब कल्याण सिंह सितंबर 1997 से नवंबर 1999 में एक बार फिर मुख्यमंत्री बने. गठबंधन की सरकार में मायावती पहले मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन जब भाजपा की बारी आई तो उन्होंने समर्थन वापस ले लिया. 26 अगस्त 2014 को कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया और उन्होंने पद ग्रहण करते ही प्रेस वार्ता कर राज्यपाल को महामहिम की जगह माननीय संबोधित करने के आदेश दिए. इससे पहले कल्याण सिंह साल 2004 में बुलंदशहर से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए थे. तो वहीं साल 2009 में वो एटा से निर्दलीय सांसद बने. 2010 में कल्याण सिंह ने अपनी पार्टी जन क्रांति पार्टी भी बनाई थी.

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