Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में पिछले दो सप्ताह से चल रहे सियासी संकट की गूंज शुक्रवार दोपहर राजभवन में सुनाई दी. शुक्रवार दोपहर कांग्रेस विधायकों की नारेबाजी से राजभवन गुजांयमान रहा. विधानसभा का संक्षिप्त सत्र नहीं बुलाने पर नाराज हुए सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार सुबह पत्रकारों से रूबरू होते हुए राज्यपाल कलराज मिश्र से कहा कि हम सब अभी राजभवन में आ रहे हैं, आप किसी के दबाव में नहीं आएं. आपका संवैधानिक पद है, उसको आधार बनाकर फैसला करें, वरना फिर हो सकता है कि पूरे प्रदेश की जनता अगर राजभवन को घेरने के लिए आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी. इसके बाद सीएम सीएम गहलोत के साथ कांग्रेस विधायक राजभवन पहुंचे और नारेबाजी के साथ करीब पांच घंटे धरने पर बैठे रहे. सीएम गहलोत के बयान और कांग्रेस विधायकों की नारेबाजी से राज्यपाल कलराज मिश्र खासे नाराज हुए.
सीएम गहलोत के मीडिया में जारी बयान और कांग्रेस विधायकों की नारेबाजी से नाराज होकर राज्यपाल कलराज मिश्र ने सीएम गहलोत को पत्र लिखते हुए कहा कि आपका प्रेस वक्तव्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर देखा, जिसमें आपने संवैधानिक अनुरोध और लिए जाने वाले संवैधानिक निर्णय दोनों को राजनीतिक रंग देने का कार्य किया है. इससे मैं दुखी और आहत हूं. कोई भी पत्र आप की ओर से आता है तो मुझे संविधान प्रदत्त संविधान के अंतर्गत प्रकरण की पूरी जांच करते हुए संविधान सम्मत निर्णय लेना ही होता है और इसका अधिकार भारतीय संविधान द्वारा मुझे मिला है.
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राज्यपाल मिश्र ने पत्र मेम आगे लिखा कि आपने आपकी विधानसभा सत्र बुलाने की अनुशंसा मुझे 23 जुलाई 2020 को प्रेषित की. अभी मैं कुछ विशेषज्ञों से चर्चा कर पाऊं उससे पहले ही आपने सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने कह दिया कि यदि आज राजभवन का घेराव होता है तो आपकी जिम्मेदारी नहीं है. मेरा आपसे इतना ही निवेदन है कि आप और आपका गृह मंत्रालय क्या राज्यपाल की रक्षा भी नहीं कर सकता है. राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के संबंध में आपका क्या मंतव्य है. साथ-साथ यह भी बताएं कि राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क करें. मेरे सुदीर्घ राजनीतिक जीवन में किसी भी मुख्यमंत्री का ऐसा वक्तव्य नहीं सुना और चुने हुए विधायकों द्वारा राज्यपाल आवास के अंदर धरना देना गलत परंपरा एवं दबाव की राजनीति की शुरुआत तो नहीं है. मेरा आग्रह है कि आप इन बिंदुओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें.
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है. किसी भी प्रकार की दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए. राज्य सरकार द्वारा दिनांक 23 जुलाई, 2020 को रात में विधानसभा के सत्र को अत्यन्त ही अल्प नोटिस के साथ आहूत किये जाने की पत्रावली पेश की गई. पत्रावली में गुण दोषों के आधार पर राजभवन द्वारा परीक्षण किया गया व विधि विशेषज्ञों द्वारा परामर्श प्राप्त किया गया. इसके पश्चात राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग को राजभवन द्वारा निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर स्थिति प्रस्तुत करने के लिए पत्रावली प्रेषित की गई है.
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राज्यपाल कलराज मिश्र ने छह बिन्दुओं की पत्रावली सीएम गहलोत को पेश कर इसका जवाब देने को कहा. राज्यपाल मिश्र द्वारा पेश की गई पत्रावली में कहा गया कि विधानसभा सत्र को किस तिथि से आहूत किया जाना है, इसका उल्लेख केबिनेट नोट में नहीं है और ना ही केबिनेट द्वारा कोई अनुमोदन प्रदान किया गया है. अल्प सूचना पर सत्र बुलाये जाने का न तो कोई औचित्य प्रदान किया गया है और ना ही कोई एजेण्डा प्रस्तावित किया गया है. सामान्य प्रक्रिया में सत्र आहूत किए जाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना आवश्यक होता है. राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिए गए हैं कि सभी विधायकों की स्वतन्त्रता एवं उनके स्वतंत्र आवागमन को भी सुनिश्चित किया जावे.
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि कुछ विधायकों की निर्योग्यता का प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है. उसका संज्ञान भी लिए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए गए हैं. इसके साथ ही कोरोना के राजस्थान राज्य में वर्तमान परिपेक्ष्य में तेजी से फैलाव को देखते हुए किस प्रकार से सत्र आहूत किया जायेगा, इसका भी विवरण प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए गए हैं. राजभवन द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक कार्य के लिए संवैधानिक मर्यादा और सुसंगत नियमावलियों में विहित प्रावधानों के अनुसार ही कार्यवाही की जावे. राज्य सरकार के पास बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने हेतु सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है.
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राज्यपाल कलराज मिश्र ने इन सभी बिन्दुओं की लिखित टिप्पणी सीएम गहलोत को दी इस पर करीब पांच घंटे तक राजभवन में चला कांग्रेस विधायकों का धरना समाप्त हुआ. इसके बाद सीएम गहलोत सहित सभी कांग्रेस विधायक राजभवन से होटल के लिए निकले. इसके साथ ही शुक्रवार रात एक बार फिर से गहलोत कैबीनेट की बैठक आयोजित हुई. देर रात तक चली इस बैठक में राज्यपाल मिश्र द्वारा दी गई पत्रावली पर जवाब देने के लिए विचार विमर्श किया गया.