इलेक्ट्रॉल बॉन्ड को लेकर गहलोत ने मोदी सरकार पर साधा जमकर निशाना, कहा- समय पर नहीं चेते तो पता नहीं देश किस दिशा में जाएगा

यह एक बहुत बड़ा स्कैंडल है, 5000 करोड़ से ज्यादा के बॉन्ड जमा हुए हैं, 90% बीजेपी के पास जमा हुए हैं, सरकार को चाहिए वह बताएं सच्चाई क्या है? जो आंकड़े आए हैं यह सही है क्या?

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. चुनावी चंदे के लिए शुरू किए गए इलेक्ट्रॉल बॉन्ड (Electoral Bond)  को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है. इसी बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस मुददे पर केंद्र सरकार पर जमकर धावा बोल रहे है. मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के पुत्र के शादी समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, मैं कह चुका हूं कि यह एक बहुत बड़ा स्कैंडल है, 5000 करोड़ से ज्यादा के बॉन्ड जमा हुए हैं, 90% बीजेपी के पास में जमा हुए हैं, सरकार को चाहिए वह बताएं सच्चाई क्या है? जो आंकड़े आए हैं यह सही है क्या? और इस प्रकार से आप 90% एक तरफा ले आओगे आप, तो डेमोक्रेसी के अंदर तमाम पार्टियों की फंडिंग को आप ब्लॉक कर रहे हो, धमकी दे रहे हो कि आप हमें चंदा दो या नहीं तो कोई बात नहीं है पर आपने विपक्षी पार्टियों को चंदा क्यों दिया?

सीएम गहलोत ने बीजेपी पर सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी द्वारा पूरे देश में खेल खेला जा रहा है. चुनाव लड़वा रहे है, जमकर पैसा खर्च कर रहे हैं, हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे हैं, सभी जिलों में जमीन लेके ऑफिस बनवा रहे हैं, पैसा कहां से आ रहा है? साथ ही गहलोत ने कहा कि भाजपा के अलावा बाकी पार्टियों को ब्लॉक कर दिया तो फिर डेमोक्रेसी कैसे रहेगी, आप सभी पार्टियों के फंडिंग को ब्लॉक कर दो देश के अंदर खाली बीजेपी के पास में बॉन्ड (Electoral Bond) आएंगे.

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आगे गहलोत ने कहा कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) का विरोध किया था. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी इसको लागू करते वक्त इसका विरोध किया था. तो केन्द्र सरकार ने इसको मनी बिल के रूप में पेश किया गया ताकि राज्यसभा में बहस नहीं हो. मनी बिल की बहस केवल लोकसभा में होती है. इसलिए इसको मनी बिल के रूप में कन्वर्ट किया गया और सिर्फ लोकसभा में पास करवा कर लागू करवा दिया गया. इस प्रकार से यह लोग शासन करेंगे, आपको मालूम है दबाव में ईडी भी, सीबीआई भी सब दबाव में है ही जुडिशरी भी, तो देश किस दिशा में जाएगा जवाब देना चाहिए इन लोगों को. इसलिए बहुत ही हालात खराब है गंभीर स्थिति से देश गुजर रहा है.

युवाओं से अपील करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि आम जनता, छात्रों और नौजवानों से मैं अपील करना चाहूंगा कि समय रहते हुए संभल जाओ, सोशल मीडिया की जो टीमें है बीजेपी के उस चक्कर में मत आओ, खुद देखो गूगल में क्या है, दुनिया एवं देश में क्या हो रहा है, अर्थशास्त्री क्या कह रहे हैं, अर्थव्यवस्था किस दिशा में जा रही है. उस पर हमें चिंतन मनन करना चाहिए उसके बाद में अपनी सोच बनानी चाहिए. मेरी नौजवानों से अपील है, क्योकि आने वाला कल उनका है यह मेरा निवेदन है कि वह समय पर नहीं चेते पता नहीं देश किस दिशा में जाएगा.

क्या है चुनावी बॉन्‍ड (Electoral Bond)?

केंद्र सरकार ने देश के राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में चुनावी बॉन्‍ड (Electoral Bond) शुरू करने का एलान किया था. चुनावी बॉन्‍ड का इस्तेमाल व्यक्तियों, संस्थाओं, भारतीय और विदेशी कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए किया जाता है. नकद चंदे के रूप में दो हजार से बड़ी रकम नहीं ली जा सकती है. सरकार की दलील है कि चूंकि बॉन्‍ड पर दानदाता का नाम नहीं होता है, और पार्टी को भी दानदाता का नाम नहीं पता होता है. सिर्फ बैंक जानता है कि किसने किसको यह चंदा दिया है. इसका मूल मंतव्य है कि पार्टी अपनी बैलेंसशीट में चंदे की रकम को बिना दानदाता के नाम के जाहिर कर सके.

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