पॉलिटॉक्स ब्यूरो. दुनिया भर में अपनी अनोखी पहचान बनाने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2020 की गुरूवार को जयपुर के डिग्गी पैलेस में शुरूआत हुई. जेएलएफ का शुभारंभ करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जयपुर और राजस्थान की शान है ये लिटरेचर फेस्टिवल. देश और दुनिया में इसकी चर्चा होती है. देश के सभी साहित्यकार इस फेस्टिवल का ये सोचकर इंतज़ार करते हैं कि एक अवसर आएगा जब खुलकर के अपने मन की बात कर सकेंगे. मन की बात भी आवश्यक है और काम की बात भी आवश्यक है. इस मौके पर सीएम गहलोत ने राजस्थान के प्रसिद्ध लेखक विजयदान देथा की किताब ‘बातां री फुलवारी’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टाइमलैस टेल्स फ्राॅम मारवाड’ का लोकार्पण भी किया.
जेएलएफ के शुभारंभ के बाद सीएम गहलोत ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए इस फेस्टीवल के बारे में कहा कि साहित्य का ये महाकुंभ देश और दुनिया में पहचान बना चुका है. जो हालात आज देश में है ऐसे हालात आजादी के बाद पहली बार बने है. इस फेस्टिवल में जितने भी साहित्यकार और बुद्धिजीवी आएंगे वो बेबाकी से अपने मन की बात यहां पर कहेंगे. मैं उम्मीद करता हूं कि इस साहित्य के महाकुंभ के माध्यम से हो सकता है कि केंद्र सरकार में बैठे हुए लोगों तक साहित्यकारों की भावना पहुंचे कि देश क्या चाहता है. हो सकता है कि यहां से कोई नई शुरूआत हो.
सीएम गहलोत ने युवाओं के बडी संख्या में आने व सीएए, एनआरसी जैसे मुद्दों पर फेस्टिवल में होनी चाहिए चर्चा के सवाल पर कहा कि यहां पर सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा होती है. प्रदेश में हम लोगों ने राजस्थान के साहित्यकारों के लिए अलग से फेस्टिवल आयोजित करने का निर्णय किया है. प्रदेश की सभी प्रतिभाओं को सम्मान और अवसर मिले ये राजस्थान सरकार के प्रयास है.
बता दें, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का यह 13वां संस्करण है. इस बार फेस्टिवल में दुनिया भर के करीब 500 वक्ता यहां पांच दिन में होने वाले 200 से ज्यादा सत्रों में अपनी बात रखेंगे.