पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान में पंद्रहवीं विधानसभा के चतुर्थ सत्र की शुरुआत आज से हो रही है. सदन में सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों ने पूरी तैयारियां कर ली है. इसी के तहत गुरुवार को जहां बीजेपी ने प्रदेश मुख्यालय पर इस सत्र में सरकार को घेरने की पूरी रणनीति बनाई. वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी RLP के सभी 3 विधायकों ने भी पार्टी के मुखिया व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के निर्देशानुसार विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है.
रालोपा मुखिया हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में गुरुवार को हुई इस बैठक में गहलोत सरकार को विधानसभा में घेरने के लिए पार्टी से भोपालगढ़ विधायक व रालोपा प्रदेशाध्यक्ष पुखराज गर्ग, खिंवसर विधायक नारायण बेनीवाल, मेड़ता विधायक इंदिरा देवी बावरी मौजूद रही. रालोपा विधायक दल की इस बैठक में निर्णय लिया गया कि विधानसभा सत्र में गहलोत सरकार द्वारा लाये जा रहे सीएए के विरुद्ध संकल्प पत्र का पार्टी विरोध करेगी. इस दौरान सांसद बेनीवाल ने कहा कि नागरिकता देना केंद्र का अधिकार है ऐसे में कोई भी राज्य सरकार सीएए को लागू करने से नही रोक सकती. राजस्थान विधानसभा में सीएए के खिलाफ गहलोत सरकार द्वारा लाये जाने वाला संकल्प पत्र असवैधानिक है.
सांसद बेनीवाल ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने लोकसभा व राज्य सभा में बहुमत से एससी, एसटी का 10 सालों के लिए आरक्षण बढ़ाया है. इसको देश के सभी राज्यों में 25 जनवरी तक लागू करना अनिवार्य था. गहलोत सरकार 25 जनवरी को ही आरक्षण को बढ़ाने का विधेयक सदन में पारित करेगी जबकि सरकार की एससी, एसटी वर्ग के प्रति सकारात्मक सोच होती तो केंद्र के लागू करते ही राज्य सरकार इन वर्गों के आरक्षण को बढ़ाने के लिए बिल पारित करवाती. लेकिन गहलोत सरकार ने ऐसा नहीं किया.
इसके साथ ही बेनीवाल ने कहा कि सीएए देश की आत्मा की आवाज है जो की राजस्थान में हर हालत में लागू होकर रहेगी. सभी नियमों को दरकिनार करके इस विधानसभा सत्र को आहूत किया गया है. सीएम गहलोत एक तरफ तो संविधान की रक्षा की बात करते है जबकि विधानसभा के बजट सत्र को संविधान के तय नियमों को दरकिनार करके आनन-फानन में आहूत किया गया है जो कि लोकतंत्र का अपमान है.
वहीं सांसद बेनीवाल ने उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर तंज कसते हुए कहा कि विधानसभा की कार्य सलाहकार समिति की बैठक से पूर्व बजट सत्र की कार्यवाही को सार्वजनिक रूप से अवगत नहीं करवाया जा सकता है. लेकिन पायलट ने इस संबंध में विधानसभा के नियमों व परंपराओं की अवहेलना की है जो की सदन की गोपनीयता को भंग भी करता है. आगे बेनीवाल ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण से 14 दिन पहले सदन के आहूत का नोटिस जारी होता ताकि कोई भी सदस्य सवाल लगा सके मगर गहलोत सरकार ने आगामी सत्र में सवाल व स्थगन आदि के सम्बंध में कोई व्यवस्था तक नही दी.
रालोपा की इस बैठक में पार्टी के तीनों विधायको ने कहा कि जब तक विधानसभा कार्य सलाहकार समिति की बैठक नहीं हो जाती और उसके प्रतिवेदन को सदन स्वीकार नहीं लेता तब तक बजट सत्र की कार्यवाही के बारे में किसी को कहने का अधिकार नहीं है मगर सूबे के डिप्टी सीएम ने इस बारे में सार्वजनिक बयानबाजी कर यह जाहिर कर दिया है कि प्रदेश में उपमुख्यमंत्री के पद पर बैठे सचिन पायलट को सदन के नियमों व परंपराओं की जानकारी नहीं है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.