कर्नाटक में भी गरजा यूपी का बुलडोजर मॉडल, 400 से अधिक घर गिराए

बेंगलुरु में सवेरे चार बजे पुलिस जाब्ते के सैंकड़ों घरों पर बुलडोजर गजरा, ठंड में रात बिताने को मजबूर लोग, सामाजिक संगठनों का विरोध शुरू, सरकार ने भी बताई वजह

congress ka bulldozar modal in karnataka
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अभी तक देशभर में केवल उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बुलडोजर मॉडल का ही जिक्र होता रहा है. इस बार कर्नाटक में बुलडोजर मॉडल सुर्खियों में है. बेंगलुरु के कोगिलु गांव स्थित फकीर कॉलोनी और वसीम लेआउट में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार का बुलडोजर गरता है. इस कार्रवाई में सैकड़ों लोग बेघर हो गए और सड़कों पर आ गए. इस घटनाक्रम ने न केवल राज्य की कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के बीच तीखी बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है.

जानकारी के मुताबिक 22 दिसंबर की तड़के करीब 4 बजे बेंगलुरु के कोगिलु गांव स्थित फकीर कॉलोनी और वसीम लेआउट में सैकड़ों घरों पर बुलडोजर चढ़ाया गया. यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई जब शहर में सर्दी अपने चरम पर थी. बेंगलुरु सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड (BSWML) द्वारा चलाए गए इस अभियान में चार जेसीबी मशीनें और 150 से अधिक पुलिसकर्मी शामिल थे. चंद घंटों में पूरा इलाका मलबे में तब्दील हो गया.

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बेंगलुरु की यह तोड़फोड़ कार्रवाई अब केवल प्रशासनिक मुद्दा नहीं रह गई है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, पुनर्वास और मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुकी है. बेघर हुए लोगों में बड़ी संख्या दिहाड़ी मजदूरों और प्रवासी कामगारों की है, जो बेंगलुरु में निर्माण, सफाई और अन्य असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं. घर टूटने के बाद कई परिवारों को ठंड में सड़कों पर या अस्थायी शेल्टरों में रात गुजारनी पड़ रही है. इस कार्रवाई से बड़ी संख्या मुस्लिम समुदाय से जुड़े परिवारों की बताई जा रही है.

सरकारी जमीन पर था अवैध कब्जा

कर्नाटक सरकार का कहना है कि ये मकान उर्दू गवर्नमेंट स्कूल के पास एक झील के किनारे सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए थे. प्रशासन के अनुसार पर्यावरण और सार्वजनिक भूमि की सुरक्षा के लिए यह कार्रवाई जरूरी थी. सरकार ने यह भी दावा किया कि यह कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि लंबे समय से चिन्हित अतिक्रमण को हटाया गया. वहीं प्रभावित परिवारों का आरोप है कि उन्हें किसी तरह का पूर्व नोटिस नहीं दिया गया. पुलिस ने सुबह-सुबह पहुंचकर जबरन घर खाली कराए और मकानों को तोड़ दिया.

इस कार्रवाई के खिलाफ स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. कुछ प्रदर्शनकारियों ने राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा के आवास के पास भी प्रदर्शन किया. दलित संघर्ष समिति सहित कई संगठनों ने इस कार्रवाई को अमानवीय बताते हुए सरकार से पुनर्वास की मांग की है. वजह चाहें जो भी हो लेकिन ये घटना अब सियासी रंग लेती नजर आ रही है.

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