उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के 40 से अधिक विधायक और एमएलसी सदस्यों के एक सामुदायिक बैठक ने तूल पकड़ लिया. इसका धुंआ इस कदर फैसले लगा कि बीजेपी को ‘कुछ खास नहीं’ वाला स्पष्टीकरण देने के बाद यू टर्न लेना पड़ा. विपक्ष ने भी इसे ब्राह्मण विधायकों में नाराजगी को लेकर सत्ताधारी योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया था. अब यूपी के बीजेपी नेतृत्व ने यूपी के उक्त विधायकों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि वे अपनी अपनी जाति के आधार पर कोई बैठक न करें. साफ है कि ये चेतावनी अन्य विधायकों को भी दी गयी है. उत्तर प्रदेश के नव नियुक्त अध्यक्ष पंकज चौधरी ने सार्वजनिक तौर पर ये चेतावनी जारी की. माना जा रहा है कि यह सख्त कदम आगामी 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के भीतरखाने जाति पर बनने वाले गुटों को रोकने के लिए उठाया गया है.
यह चेतावनी उस घटना के दो दिन बाद आई, जब कई ब्राह्मण विधायक और एमएलसी लखनऊ में कुशीनगर से विधायक पीएन पाठक के आवास पर इकट्ठा हुए थे. इस बैठक में राज्य में ब्राह्मण समुदाय के साथ हो रहे कथित भेदभाव पर चर्चा की गई थी. सूत्रों के मुताबिक, यह केवल एक बैठक नहीं थी, बल्कि यह एक शक्ति प्रदर्शन था, जो नेतृत्व पर दवाब बनाने के लिए था. इस पर सख्ती बरतते हुए पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चौधरी ने कहा कि यह बैठक पार्टी के संविधान और मूल्यों के खिलाफ है. उन्होंने चेतावनी दी कि आगे अगर इस तरह की बैठकें होती हैं, तो उन्हें अनुशासनहीनता माना जाएगा. इससे पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इसे एक सामान्य मुलाकात कहकर बात को टाल दिया था.
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हालांकि इस बैठक की तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो मामला केंद्रीय नेतृत्व तब पहुंच गया. इस पर बीजेपी आलाकमान ने भी नाराजगी जाहिर की और कुछ शीर्ष नेताओं की क्लास भी लगाई. खुद सीएम आदित्यनाथ के कार्यालय ने भी इस बैठक पर असहमति जताई. इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने संबंधित विधायकों से संपर्क किया और फटकार लगाते हुए चेतावनी भी दी.
बता दें कि इस तरह का जातिगत मिलन आगामी विधानसभा चुनाव में नेतृत्व पर टिकट और मंत्री पद के लिए दवाब डाल सकता है. इसके जरिए विभिन्न जातिगत गुटों का निर्माण भी संभव है. पिछले लोकसभा चुनाव में ठाकुर गुटों के एक वर्ग की नाराजगी के चलते यूपी की कई सीटों पर पार्टी को कथित तौर पर नुकसान झेलना पड़ा था. इससे पहले ठाकुर विधायकों ने अगस्त में लखनउ में ही एक अनौपचारिक बैठक का आयोजन किया था. हालांकि उस बैठक को अंदर ही अंदर दबा दिया गया लेकिन इस बार पार्टी इस तरह की घटनाक्रम को आगे नहीं बढ़ाना चाहती.
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यही वजह है कि प्रदेशाध्यक्ष के हवाले पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि पार्टी के भीतर किसी भी खास जाति के गुट बनाने की अनुमति नहीं होगी. अगर कोई भी इस सीमा को पार करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बीजेपी इस बात से भी नाराज है क्योंकि जब चुनाव आयोग ने सभी सांसदों और विधायकों को मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) पर नजर रखने का निर्देश दिया था. उसी समय कुछ विधायकों ने एक अलग मुद्दे पर बैठक कर ली. इस बैठक की वजह से विपक्ष को बैठे बिठाए योगी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया. ऐसे में बीजेपी ने उक्त विधायकों के बहाने सभी विधायकों को चेतावनी देकर आगामी दिनों में अपने उपर दवाब बनाने के रास्ते पर रोक लगाने की कोशिश की है. अब देखना ये होगा कि चुनाव के लिए शेष दो सालों में बीजेपी के विधायकों पर पार्टी किस तरह से लगाम कसने के नियम लागू करा पाने में कामयाब हो पाती है.



























