बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों के शक्ति प्रदर्शन ने बढ़ाया सियासी पारा, टेंशन में योगी सरकार!

40 से अधिक ब्राह्मण विधायक और एमएलसी के एक जगह पर ए​कत्रित होने से सियासी कयासों को लग रहे पंख, डिप्टी सीएम ने बताया अनौपचारिक मुलाकात लेकिन वरिष्ठ नेता बयानबाजी से बच रहे, विपक्ष चिंगारी को दे रहा हवा

yog adityanath up government
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उत्तर प्रदेश विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान बीती रात 40 से ज्यादा ब्राह्मण विधायकों के एक साथ सहभोज में जाने की घटना ने अब सियासी रंग लेना शुरू कर दिया है. अंदरुनी सूत्रों के अनुसार, इस घटना को योगी सरकार में शामिल ब्राह्मण विधायकों का शक्ति प्रदर्शन बताया जा रहा है, जो अपने हितों को सधता न देखकर नाराज बताए जा रहे हैं. ये सभी विधायक और एमएलसी रात्रिभोज के लिए विधायक पीएन पाठक के लखनउ स्थित निवास पर पहुंचे थे. हालांकि उप मुख्यमंत्री और स्वयं मेजमान पाठक द्वारा इस मुलाकात को अनौपचारिक बैठक बताया जा रहा है लेकिन इसे लेकर कई तरह के सियासी कयास लगाए जा रहे हैं.

वहीं विपक्ष की बात करें तो इस बैठक को मुद्दा बनाया जा रहा है. विपक्ष ने ब्राह्मण विधायकों में पनप रहे असंतोष का नतीजा बताकर योगी सरकार पर निशाना साधा है. विपक्ष ने कहा कि ये सभी विधायक स्वयं को अपमानित और असहाय महसूस कर रहे हैं इसलिए उन्हें अपनी भविष्य की योजना बनाने के लिए एकजुट होने को मजबूत होना पड़ा.

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मामले को बढ़ता देख खुद उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मोर्य को स्पष्टीकरण देने के लिए सामने आना पड़ा. उन्होंने बताया कि ये सभी विधायक शीतकालीन सत्र के ​चलते लखनउ में ही थे. जब भी विधायक विधानसभा सत्र के लिए यहां आते हैं तो एक दूसरे से मैत्रीपूर्ण मुलाकात करते हैं. ऐसे में इसे केवल ब्राह्मण या किसी अन्य समुदाय या किसी जाति के दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए.

इधर, मेजबान और कुशी नगर से विधायक पीएन पाठक ने भी मोर्य के कथन का समर्थन किया. पाठक ने कहा कि यह एक साधारण सामुदायिक रात्रिभोज था. सभी विधायक लिट्टी चोखा खाना चाह रहे थे, इसलिए मैने उन्हें आमंत्रित किया. हालांकि केवल ब्राह्मण विधायकों को ही आमंत्रित किया गया, इस सवाल का जवाब उन्होंने नहीं दिया. उन्होंने ये जरूर कहा कि हमने मुख्य रूप से अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों पर चर्चा की और सभी राज्य सरकार के कामकाज से संतुष्ठ हैं.

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वहीं आंतरिक सूत्रों से पता चला है कि रात्रिभोज के दौरान चर्चा के मुख्य विषयों में ब्राह्मण समुदाय के प्रति कथित भेदभाव और उनकी उपेक्षा शामिल रही. उन्होंने एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने पर जोर दिया. एक अन्य विधायक के मीडिया को दिए एक बयान से इसकी झलक मिलती है. उन्होंने कहा कि आज ब्राह्मण समाज के लोगों को अपमानित किया जा रहा है जबकि हमारे समाज ने भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हालांकि उन्होंने रात्रिभोज को राजनीतिक मुद्दा न बनाए जाने की बात भी कही.

बीजेपी नेताओं के हजार स्पष्टीकरण के बावजूद विपक्ष ने इस घटनाक्रम को लेकर सत्ताधारी पार्टी पर कटाक्ष किया है. विपक्ष ने दावा किया कि सत्ताधारी पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेयी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सत्ताधारी पार्टी के सदस्य विभाजित हैं, क्योंकि एक विशेष जाति के नेताओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. एक विशेष जाति के सदस्यों को बड़ी गाड़ियां मिल रही हैं, जबकि ब्राह्मणों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. ऐसे में यह सभा कोई आश्चर्य की बात नहीं थी. बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी इस आयोजन पर बयान देने से बच रहे हैं. ऐसे में यूपी की राजनीति में सियासी तापमान बढ़ना किसी न किसी अनहोनी की तरह इशारा करता दिख रहा है.

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