महाराष्ट्र की राजनीति में घटित ऐतिहासिक पल पर बोले सीएम फड़नवीस ‘तवज्जो मत दीजिए..’

आगामी बीएमसी चुनाव में महायुति के खिलाफ चक्रव्यूह की रचना कर रहे उद्धव और राज ठाकरे, महाविकास अघाड़ी का दरकना संभव, शरद पवार की प्रतिक्रिया का इंतजार

maharashtra politics
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Maharashtra politics: महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन एक ऐतिहासिक घटना के रूप में दर्ज हो चुका है. वजह – करीब दो दशक से एक दूसरे के खिलाफ खड़े रहने वाले ठाकरे ब्रदर्स शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) सुप्रीमो राज ठाकरे एकजुट हो गए. दोनों ने बुधवार को संगठित होकर 15 जनवरी को होने वाले मुंबई नगरपालिका (बीएमसी) चुनाव एक साथ लड़ने की झलक दिखाई. उद्धव को राज ठाकरे का साथ मिलने से दोनों पार्टियों की मराठी मानुष वाली छवि पहले से मजबूत होगी. कुछ राजनीतिज्ञ इस घटना को महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक बड़ा परिवर्तन बता रहे हैं. वहीं प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना को ज्यादा तवज्जो ने दिए जाने का सुझाव दिया है.

सीएम फडणवीस ने कहा कि ये दोनों दल केवल अपना अस्तित्व बचाने एक साथ आए हैं. फडणवीस ने कहा, ‘हाइप तो ऐसे क्रिएट की जा रही है जैसे मानो रूस और यूक्रेन साथ में आ गए हों, जेलेंस्की और पुतिन बात कर रहे हों. ऐसी पार्टियां जो अपना अस्तित्व खोज रही हैं जिन्होंने अपना अस्तित्व खो दिया है, जिन्होंने बार-बार भूमिकाएं बदलकर अपने बारे में अविश्वास पैदा किया है … ऐसी दो पार्टियों के साथ में आने से कौन सा फर्क पड़ने वाला है.’

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मुख्यमंत्री फडणवीस ने आगे कहा कि मुंबई के लोगों ने महायुति की सरकार के विकास को देखा है. मुंबई हमारे साथ है, और रहेगी. उन्होंने महायुति के बीएमसी के चुनाव में जीत का दावा ठोकते हुए उद्धव पर जबरदस्त निशाना साधा. फड़नवीस ने कहा, ‘उद्धव ठाकरे बेहद निराश व्यक्ति हैं इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि उनकी बातों को तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए.’

देखा जाए तो उद्धव और मनसे के राज ठाकरे का साथ आना आगामी बीएमसी चुनावों में महायुति के खिलाफ एक चक्रव्यूह रचने जैसा कदम है. हालांकि इस गठबंधन के बाद महाविकास अघाड़ी का दरकना तय है. राज ठाकरे को कट्टर हिंदूवादी नेता माना जाता है. उनके साथ आने के बाद उद्धव की विचारधारा में भी परिवर्तन होने के आसार है. ऐसे में कांग्रेस ने अकेले ही बीएमसी चुनाव में उतरने का फैसला किया है. अब शरद पवार के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई है.

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