इधर, कांग्रेस ने भी महाविकास अघाड़ी को छोड़ प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) से हाथ मिलाया है. दोनों के बीच 62 के मुकाबले 165 सीटों पर सहमति बनी है. कांग्रेस 165 जबकि वीबीए 62 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरेगी. महाविकास अघाड़ी के त्रिगुट में शामिल उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी अब महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी के मुखिया राज ठाकरे के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. इधर, नगर निगम चुनाव के लिए नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और NCP (शरदचंद्र पवार) गुट के बीच गठबंधन की घोषणा हुई है.
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जुलाई 2023 में शरद पवार के भतीजे अजित पवार एनसीपी के कई विधायकों के साथ पार्टी से अलग हो गए थे. इससे बाद एनसीपी दो हिस्सों में बंट गई. शरद पवार से अलग होकर अजित महाराष्ट्र की भाजपा-शिंदे सरकार में शामिल हुए और डिप्टी सीएम बन बैठे. अब नगर निगम चुनाव के लिए ‘घड़ी’ और ‘तुतारी’ एकसाथ आ गए हैं.
इधर, महायुति में शामिल बीजेपी और शिवसेना में भी सीट बंटवारे को लेकर आपसी सहमति बनी है. गठबंधन सहयोगियों के बीच बनी सहमति के तहत बीजेपी 128 और शिवसेना 79 सीटों पर चुनाव लड़ेबी. अन्य 20 सीटों पर मंथन चल रहा है. दूसरी ओर, महायुति को टक्कर देने के लिए उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी और राज ठाकरे की नेतृत्व वाली मनसे के गठबंधन पर सभी की नजरें टिकी हैं. यह दोनों भाईयों का ही नहीं, बल्कि बदला लेने के लिए भी बनाया गया एक सियासी गठबंधन है, जो कहीं न कहीं महाराष्ट्र में अपनी पुरानी जमीन तलाश रहा है. आम आदमी पार्टी और AIMIM भी मैदान में है.
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2017 के बीएमसी चुनावों में अविभाजित शिवसेना 84 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि बीजेपी को 82 सीट मिली थी. अब शिवसेना के 84 में से 46 पार्षद एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए, जबकि अन्य दलों के 16 पार्षदों ने भी पाला बदल शिंदे गुट की ओट ले ली.
बीएमसी में कुल 227 वार्ड हैं और मतदाताओं की संख्या 1,03,44,315 है. इनमें 55,16,707 पुरुष, 48,26,509 महिलाएं और 1,099 ‘अन्य’ श्रेणी के मतदाता शामिल हैं. मतदाताओं में पुरुषों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत और महिलाओं की 47 प्रतिशत है. नामांकन की प्रक्रिया 30 दिसंबर तक चलेगी जबकि नाम वापसी की अंतिम तारीख दो जनवरी है. महाराष्ट्र में सभी 29 महापालिकाओं के चुनाव एक चरण में 15 जनवरी को होंगे जबकि 16 जनवरी को नतीजे सामने आएंगे. जो समीकरण और गठबंधन अभी तक बन रहे हैं, उन्हें देखकर तो यही अनुमान लगाया जा सकता है कि राज्य के बीएमसी चुनाव विधानसभा चुनावों से भी बड़े जटिल साबित होंगे.



























