राजे सरकार द्वारा संस्थाओं को आवंटित की गई जमीनों के भौतिक सत्यापन के जांच के आदेश, गिरेगी गाज

भूमि आवंटन नीति-2015 या किसी और नियमों तहत हुए आवंटित की गई जमीनों की 15 दिनों में करनी होगी जांच, किसी जमीन आवंटन में शर्तों का उल्लंघन या भूमि का किसी अन्य कार्य में उपयोग पाया जाता है तो तीन दिन के भीतर जमीन आवंटन खारिज कर मौके पर निकाय को कब्जा संभालने के दिए गए हैं आदेश

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Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश की गहलोत सरकार ने पूर्ववर्ती राजे सरकार के समय लागू की गई भूमि आवंटन नीति-2015 के तहत विभिन्न संस्थाओं को रियायती दरों पर आवंटित जमीनों की जांच के आदेश जारी किए हैं. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने सभी निकायों को 15 दिनों के भीतर इन जमीनों का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं. अगर आवंटन शर्तों का मौके पर पालन होता नहीं दिखा तो राज्य सरकार ऐसे सभी आवंटनों को निरस्त करेगी. मंत्री शांति धारीवाल ने राज्य के सभी निकायों और विकास प्राधिकरणों के लिये यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया है.

सरकार की ओर से जारी आदेशों में साफ कहा गया है कि तत्काल प्रभाव से भूमि आवंटन नीति-2015 या किसी और नियमों तहत हुए जमीन आवंटनों की 15 दिनों में भौतिक सत्यापन कर जांच करनी होगी. जांच में अगर किसी जमीन आवंटन में शर्तों का उल्लंघन पाया जाता है या भूमि का किसी अन्य कार्य में उपयोग होना पाया जाता है तो तीन दिन के भीतर जमीन आवंटन खारिज कर मौके पर निकाय को कब्जा संभालने के आदेश दिए गए हैं.

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मंत्री धारीवाल जारी इस आदेश में यह भी लिखा गया है कि जिन प्रकरणों में आवंटन की शर्तों की पालना और भूमि का सही उपयोग मिलता है तो उन प्रकरणों में समिति में शामिल प्रत्येक अधिकारी प्रमाण पत्र देगा. जिसमें यह प्रमाणित किया जाएगा कि प्रकरण में आवंटन की शर्तों और भूमि के उपयोग की शर्त की पालना की जा रही है. इसके बाद उस प्रकरण में शर्तों अवहेलना मिलती है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस जांच के दायरे में चिकित्सा संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य संस्थाओं को आवंटित की गई जमीनें शामिल होंगी

गौरतलब है कि रियायती दर पर भूमि आवंटन के प्रकरणों में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने इस वर्ष 1 जून को सभी निकायों से रियायती दर पर संस्थाओं के आवंटनों के प्रकरणों की जानकारी मांगी थी. प्रदेश के प्राधिकरण, नगर सुधार न्यास, नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं ने कुल 1897 प्रकरणों की सूची राज्य सरकार को भेजी गई थी, जिसके आधार पर मंत्री धारीवाल ने यह आदेश जारी किए हैं.

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