गेमचेंजर दांव! चुनावी दंगल से पहले अब OBC क्रीमीलेयर की लिमिट बढ़ाकर 12 लाख करने की तैयारी

पांच राज्यों का चुनावी घमासान, मोदी सरकार ने तेज की मोर्चाबंदी, ओबीसी वोटों को लुभाने की तैयारी में सरकार, भाजपा को इस दांव से बड़ी आस! खासकर यूपी और पंजाब में गेमचेंजर हो सकता है ये फैसला

चुनावी दंगल में गेमचेंजर दांव!
चुनावी दंगल में गेमचेंजर दांव!

Politalks.News/Modisarkar. पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) से ठीक पहले मोदी सरकार (Modi Goverment) बड़ा दांव खेलने की तैयारी में जुटी है. केंद्र की मोदी सरकार ओबीसी आरक्षण (obc reservation) के लिए क्रीमीलेयर (obc creamy layer) की सीमा को 8 लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने की तैयारी में है. इसके अलावा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय इस बात पर भी विचार कर रही है कि सालाना इनकम में सैलरी और खेती से हुई कमाई को भी शामिल किया जाए या नहीं? दिल्ली के सूत्रों की माने तो मुताबिक एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि, ‘मंत्रालय की ओर से इस पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया गया है. हम इस बारे में राय-मशविरा ले रहे हैं’. इसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि मोदी सरकार के इस दांव से भाजपा को खासकर यूपी और पंजाब में ओबीसी वोटों को साधने में मदद मिलेगी. यूपी में 45 तो पंजाब में 33 फीसदी ओबीसी वोट निर्णायक माने जाते हैं.

खेती की कमाई और सैलरी को शामिल रखा जाए या नहीं?
क्रीमीलेयर के तहत आय सीमा की हर तीन साल में समीक्षा की जाती है. आखिरी बार 2017 में इसकी समीक्षा की गई थी और इनकम लिमिट को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख तक करने का फैसला लिया गया था. इससे पहले यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2013 में यह लिमिट 4.5 लाख रुपये ही थी, जिसे बढ़ाकर 6 लाख किया गया था. इसके बाद 2020 में ओबीसी की क्रीमीलेयर की लिमिट का फैसला होना था, जिसे लेकर मार्च 2019 में मंत्रालय की ओर से पूर्व सचिव बीपी शर्मा की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया था. अब इस पर काम तेज हो गया है. यही नहीं इनकम लिमिट में खेती की कमाई और सैलरी को भी शामिल रखा जाए या नहीं, इस पर भी विचार किया जा रहा है.

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अचानक क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाने की कवायद तेज!
दरअसल मोदी सरकार की राय है कि खेती की इनकम को यदि सालाना आय में शामिल न किया जाए तो इससे ग्रामीण गरीबों को मदद मिलेगी. इस संबंध में 2020 में ही कैबिनेट नोट जारी किया गया था. हालांकि अब तक इस बारे में कोई फैसला नहीं हो सका था, जिस पर अब अचानक तेजी लाई गई है. माना जा रहा है कि पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा सरकार ने इसमें तेजी दिखाने का काम किया है.

उत्तरप्रदेश और पंजाब के OBC वोट साधने में मिलेगी मदद!
क्रीमीलेयर लिमिट बढ़ाने की कवायद को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि, खासतौर पर उत्तर प्रदेश में बड़े ओबीसी वोट बैंक को संदेश देने में सरकार को मदद मिलेगी. उत्तर प्रदेश में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 45 फीसदी के करीब मानी जाती है. इसके अलावा पंजाब में इस वर्ग की आबादी 33 फीसदी के करीब है. भाजपा के सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार के इस दांव से पार्टी को बड़ी उम्मीद दिख रही है. यदि इस लिमिट में बदलाव किया जाता है तो फिर यूपी और पंजाब में इसका असर देखने को मिल सकता है.

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क्या है नियम
आपको बता दें कि वर्तमान में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी का आरक्षण है. इस आरक्षण के लिए 8 लाख तक की सालाना आय की सीमा तय की गई है. इससे अधिक सालाना कमाई वाले लोगों को आरक्षण नहीं मिलता है.

 

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