मोदी मंत्रिमंडल में राजस्थान से तीन सांसदो को जगह मिली है. इनमें जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को मोदी ने अपने प्रथम कार्यकाल की भांति दूसरे कार्यकाल में भी अपनी कैबिनेट में शामिल किया है. उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में बतौर काबीना मंत्री शामिल किया गया है. आइए जानते हैं गजेंद्र सिंह के जीवन परिचय के बारे में …
साल था 1967. सीकर निवासी शंकर सिंह शेखावत और मोहन कंवर के घर पुत्र का जन्म हुआ. नाम रखा गया गजेंद्र सिंह. गजेंद्र सिंह की शुरुआती शिक्षा जैसलमेर में हुई. स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के बाद गजेंद्र सिंह कॉलेज शिक्षा के लिए जोधपुर आए. उच्च शिक्षा के लिए जोधपुर आना उनके जीवन का टर्निंग पांइट साबित हुआ. यहां आने के बाद गजेंद्र बीजेपी के छात्र संघटन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े. उन दिनों वो छात्रों की समस्याओं को लेकर लगातार जोधपुर में संघर्षरत रहे.
1992 के जोधपुर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में गजेंद्र की लोकप्रियता को देखते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उन्हें अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया. नतीजे सामने आए तो गजेंद्र सिंह शेखावत ने इतिहास रच दिया था. वो उस दौर का सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके थे. उनकी जीत इसलिए भी खास थी क्योंकि जब वे छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे, तब जोधपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस का कब्जा था. अशोक गहलोत खुद जोधपुर के सांसद थे. गहलोत खुद छात्र राजनीति के दम पर मुख्य सियासत में आए थे. लेकिन तब किसी को यह इल्हाम नहीं था कि आने वाले समय में यह छात्र नेता जोधपुर की सियासत में एक नई इबारत लिखेगा.
गजेंद्र सिंह की जीत बड़ी थी तो जश्न भी बड़ा हुआ. उनके शपथ ग्रहण में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत पहुंचे थे. उस दौर में छात्रसंघ के कार्यालय उद्घाटन में मुख्यमंत्री का पहुंचना बहुत बड़ी बात थी. गजेंद्र ने अपने छात्रसंघ कार्यकाल में छात्रों के कल्याण के अनेक कार्य किए जिनमें अखिल भारतीय छात्र नेता सम्मेलन आयोजित किया जाना, खेलकूद के कार्यक्रम आयोजन किया जाना शामिल रहा. साल 1993 में गजेंद्र का विवाह नौनंद कंवर से हुआ.
इसके बाद वो 2001 में चोपासनी शिक्षा समिति की शिक्षा परिषद के सदस्य के रुप में सर्वाधिक मतों से निर्वाचित हुए. स्वदेशी जागरण मंच के तत्वाधान में 2000 से 2006 तक जोधपुर में स्वदेशी मेले का आयोजन किया गया. इन कार्यक्रमों की जिम्मेदारी गजेंद्र सिंह ने भी संभाली. इन कार्यक्रमों में लगभग 10 लाख लोग आए जिसके परिणामस्वरूप स्वदेशी उद्योग की चीजों की भारी बिक्री हुई. स्वदेशी मेले को काफी पसंद किया गया. इन कार्यक्रमों में गजेंद्र सिंह की पहचान जोधपुर के बाहर भी बनाई.
2012 में उन्हें बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया. 2014 में बीजेपी जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से मजबूत उम्मीदवार की तलाश में थी जो चंद्रेश कुमारी को मात दे सके. बीजेपी की तलाश गजेंद्र सिंह पर आकर रुकी. गजेंद्र मोदी लहर की पतवार पर सवार होकर संसद पहुंचे. उन्होंने कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी कटोच को भारी अंतर से हराया.
उन्हें शुरुआत में लोकसभा की प्रमुख कमेटियों का सदस्य बनाया गया. लेकिन 2017 का साल गजेंद्र के लिए बड़ी खुशी लेकर आया. उन्हें नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जगह मिली. गजेंद्र सिंह को कृषि और किसान कल्याण विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया. इसके बाद वो अपने काम के दम पर पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के चहेते हो गए.
2018 में राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष अशोक परनामी के इस्तीफा देने के बाद अमित शाह ने गजेंद्र सिंह शेखावत को पार्टी का अध्यक्ष पद बनाने का मन बनाया. लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उनके नाम का विरोध किया. अमित शाह जानते थे कि वो वसुंधरा राजे के खिलाफ जाकर गजेंद्र को अध्यक्ष तो बना देंगे लेकिन इससे पार्टी के बीच आंतरिक कलह हो सकती है. इसलिए फिर बाद में राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुना गया.
2019 के लोकसभा चुनाव में गजेंद्र सिंह शेखावत ‘जाइंट किलर’ बनकर उभरे. उन्होंने अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को भारी अंतर से हराया. यहां मात गजेंद्र ने वैभव गहलोत की नहीं अपितु अशोक गहलोत की है क्योंकि जोधपुर में वैभव सिर्फ शारारिक रुप से चुनाव लड़ रहे थे. यहां चुनाव की पूरी बागड़ोर गहलोत ने संभाल रखी थी. मोदी मंत्रिमंडल में लगातार दूसरी बार जगह बनाना दिल्ली में उनके राजनीतिक कद को दर्शाता है.