पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) ने आज राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण कर ली. उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अनुशंसा पर उच्च सदन में बतौर सांसद मनोनित किया गया है. केंद्र सरकार ने 16 मार्च को नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसकी सूचना दी थी. गुरुवार सुबह 11 बजे जैसे ही गोगोई ने सदन की शपथ ग्रहण की, विपक्ष के सांसदों ने जोरदार हंगामा करते हुए ‘शेम शेम’ के नारे लगाने शुरु कर दिए. कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर हमला बता रही है. शपथ ग्रहण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार भी लगाई गई थी. रंजन गोगोई 13 महीने चीफ जस्टिस रहने के बाद पिछले साल नवंबर में रिटायर हुए हैं. राम मंदिर, राफेल और सबरीमाला जैसे मामलों में सुनाए उनके फैसलों की वजह से वे जाने जाते हैं.
बता दें कि रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में शामिल रहे हैं जिन्होंने उस समय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनके पर पक्षपात के आरोप लगाए थे. इन चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस एक तरह से मोदी सरकार को भी लपेट रही थी और यह पीएम मोदी के आलोचकों के लिए एक तरह से हथियार साबित हुई. इसके बाद रंजन गोगोई एक तरह से नायक बनकर सामने आए क्योंकि माना जा रहा था कि इसके बाद वह देश का प्रधान न्यायाधीश बनने का मौका खो सकते हैं. लेकिन जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होते होने के बाद रंजन गोगोई ही देश के प्रधान न्यायाधीश बने.
राम मंदिर, राफेल और सबरीमाला पर फैसला सुनाने वाले पैनल में शामिल रहे रंजन गोगोई
जस्टिस गोगोई के राज्यसभा में नामित होने के लेकर उनके पूर्व सहयोगियों ने भी सवाल उठाए. गोगोई के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले जस्टिस कुरियन जोसेफ़ ने उनको राज्यसभा भेजे जाने पर एतराज़ किया. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने कहा है कि भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामांकन की स्वीकृति ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है. हमने जस्टिस गोगोई के साथ बताया था कि न्यायपालिका ख़तरे में है इसलिए मैंने रिटायरमेंट के बाद कोई पद न लेने का फ़ैसला किया. जस्टिस गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर नेक सिद्धांतों से समझौता किया है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट करते हुए गोगोई के राज्यसभा के लिए मनोनित किए जाने पर तंज कसते हुए कहा कि इस कदम से न्यायपालिका पर जनता का विश्वास कम होता जा रहा है. वहीं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- क्या यह किसी काम के बदले दिया गया तोहफा है? जनता न्यायाधीशों की स्वाधीनता पर कैसे भरोसा करेगी?
आम आदमी पार्टी नेता सोमनाथ भारती ने कहा कि गोगोई ने तीन अन्य सम्मानित न्यायाधीशों के साथ मोदी सरकार के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और आज उनको वही मोदी सरकार राज्यसभा के लिए मनोनीत कर रही है. ये बात समझ से बाहर है.