Maharashtra Politics: बारह दिनों की गहन वार्ता और कई नाटकीय घटनाक्रमों के बीच अब तय हो गया है कि देवेंद्र फडणवीस को ही महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. गैर मराठा देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार प्रदेश के सीएम पद की कुर्सी संभालेंगे. चुनावी परिणाम के करीब 12 दिनों बाद भी सीएम फेस पर मौन गतिरोध चल रहा था. शिंदे की चुप्पी देखकर भारतीय जनता पार्टी ने एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक चला, जिससे न केवल एकनाथ शिंद चारों खाने चित्त हो गए, उनके छिपे हुए हुकुम के इक्के भी धरे के धरे रह गए.
देखा जाए तो शिंदे को पता था कि महाराष्ट्र में जिस तरह के आंकड़े सामने आए थे, उनके मद्देनजर तो उनके पास अपनी दावेदारी को आगे बढ़ाने के पर्याप्त साधन नहीं थे. बीजेपी और अजित पवार के पास शिंदे के बिना भी सरकार बनाने के लिए बहुमत था लेकिन उन्हें दिल्ली की राजनीतिक मूड का अंदाजा था. उन्हें पता था कि मोदी-शाह की जोड़ी महायुति की व्यापक जीत के बाद उनमें एकता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को तैयार है. इसी हिसाब से शिंदे ने अपना खेल खेला.
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शिंदे ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा इस आधार पर पेश किया कि उन्होंने अपने विकास कार्यक्रमों और कल्याणकारी योजनाओं यथा महिलाओं में लोकप्रिय लाड़की बहिन योजना, जिसे प्रदेश चुनावों में जीत का मास्टर कार्ड बताया जा रहा है, से जीत में बराबर का योगदान दिया है. उम्मीद की धुंधली किरण के साथ एकनाथ शिंदे की तबीयत खराब होना और फिर राज्यपाल के पास सरकार बनाने के प्रस्ताव में महायुति का हिस्सा न बनना इसी का हिस्सा रहा.
इसी बीच बीजेपी ने एक ऐसा ट्रंप कार्ड चला कि सभी चारों खाने चित हो गए. इसका परिणाम ये हुआ कि एकनाथ शिंदे को न चाहते हुए भी फडणवीस के नाम पर हामी भरनी पड़ी. दरअसल, बीजेपी ने मास्टरस्ट्रोक चलते हुए विभागों का बंटवारा लगभग तय कर लिया है. राजनीतिक सूत्रों की मानें तो अब बीजेपी ने अपने पास 21 विभाग रखने का फैसला किया है. इस फैसले के बाद एकनाथ शिंदे और अजित पवार के अधिक विभाग लेने की मंशाओं पर पानी फिरते दिख रहा है. बीजेपी ने जहां अपने पास जहां 21 मंत्रालय रखने की तैयारी कर ली है, वहीं शिंदे गुट की ओर से 11 मंत्री और अजित पवार गुट के 10 विधायकों को मंत्री पद दिए जा सकते हैं. दोनों पार्टियों के पास डिप्टी सीएम पद रहने वाला है. हालांकि अधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
बीजेपी के इस फैसले के बाद शिंदे गुट को बड़ा झटका लगा है. इससे पहले एकनाथ शिंदे ने नई सरकार में गृह मंत्रालय समेत डिप्टी सीएम का पद भी मांगा था. डिप्टी सीएम के लिए उन्होंने अपने बेटे श्रीकांत का नाम आगे किया है जबकि खुद किसी भी पद पर काम न करने को कहा. सूत्रों की मानें तो उनकी दोनों में से सिर्फ एक डिमांड पूरी हो सकती है. शिंदे ने कुल 16 मंत्री मांगे थे, जबकि उन्हें 11 से ही संतोष करना होगा. अंदरुनी खबर ये भी है कि महायुति के सदस्य श्रीकांत को डिप्टी सीएम पद पर नियुक्त करने पर सहमत नहीं है. ऐसे में एकनाथ शिंदे का यह पासा फैल होते भी दिख रहा है.
गौरतलब है कि बीजेपी ने इस चुनाव में एक तरफा प्रदर्शन के साथ शानदार 133 सीट पर जीत दर्ज की है. सबसे प्रमुख पार्टी होने की वजह से पार्टी का ही सीएम होना करीब करीब तय था. हालांकि कुछ नाटकीय घटनाक्रम के चलते सीएम पद के ऐलान में देरी हो गयी, लेकिन तस्वीर स्पष्ट है. 5 दिसंबर को शाम 5 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ का निर्धारण हो चुका है. फिलहाल देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री और अजित पवार का डिप्टी सीएम की शपथ लेना तय है. एकनाथ शिंदे के डिप्टी सीएम की शपथ पर अभी संशय है. ये उनकी रजामंदी पर निर्भर करने वाला है.
अभी तो फिलहाल बीजेपी के आलाकमान और संघ के बीच बचाव से सभी उलझी हुई गुथ्थियां सुलझ गयी है. अब देखना ये होगा कि संभावित अग्रिम पंक्ति के नेताओं में जगह बनाते दिख रहे देवेंद्र फडणवीस खींचतान और दबाव के बीच किस तरह से महाराष्ट्र में तीन पक्षीय गठबंधन सरकार में संतुलन बनाने वाले हैं.