पॉलिटॉक्स ब्यूरो. कोटा के जेके लोन अस्पताल (JK Loan Hospital Kota) में बीते दिसंबर में हुई सैकडों नवजात बच्चों की मौत का मामला एक बार फिर से गरमा गया. इस मामले को लेकर बुधवार को राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान जमकर हंगामा हुआ. रामगंज मंडी विधायक मदन दिलावर ने कोटा अस्पताल में हुई बच्चों की मौत पर सदन में सवाल पूछा. इस पर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा (Raghu Sharma) ने सदन में जवाब देते हुए पिछली वसुंधरा सरकार में हुई बच्चों की मौत के आंकडे गिनाना शुरू कर दिया. जिस पर विपक्ष ने असंतुष्टि जताई और वैल में जाकर जमकर नारेबाजी की. हंगामा इतना बढा कि स्पीकर सीपी जोशी को सदन में कहना पडा कि मैं खुद प्रताड़ित महसूस कर रहा हूं.
दरअसल, राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Vidhansabha) में प्रश्नकाल के दौरान रामगंज मंडी विधायक मदन दिलावर ने कोटा के जेके लोन अस्पताल में हुई नवजात बच्चों की मौतों के मामले में जांच रिपोर्ट का निष्कर्ष बताने के लिए सरकार से सवाल पूछा. दिलावर के सवाल का जवाब देते हुए चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि ऐसी कोई जांच रिपोर्ट नहीं मिली है. इसके बाद मंत्री शर्मा ने वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई बच्चों की मौतों के आंकडे गिनाना शुरू कर दिया. मंत्री ने जब 5 साल के आंकड़े गिनाने शुरू किए तो बीजेपी विधायकों ने इस पर विरोध जताते हुए वैल में पहुंच कर हंगामा शुरू कर दिया और वैल में चिकित्सा मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
वैल में बीजेपी विधायकों के नारेबाजी करने पर स्पीकर सीपी जोशी (CP Joshi) ने कहा कि वैल में आने की परंपरा ठीक नहीं है. इसके साथ ही स्पीकर ने कहा कि ‘मैं खुद प्रताड़ित महसूस कर रहा हूँ‘. प्रश्नकाल की एक मर्यादा है सभी सदस्यों को तरीके से प्रश्न उठाने चाहिए. नियमों के अन्तर्गत ही प्रश्नकाल होना चाहिए. आम बहस की तरह प्रश्नकाल में चर्चा नहीं हो सकती है. स्पीकर ने कहा कि जिन मुद्दों पर सदस्य सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, उन पर बैठकर चर्चा कर सकते हैं. पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्यों पर समान रूप से नियम लागू होते हैं.
सदन में हंगामें को बढता देख मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदन में स्पीकर प्रताड़ित महसूस करें. हम सभी को सदन की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए. विपक्ष की असहमति का हम सम्मान करते हैं, लेकिन केवल राजनीति के लिए कोई मुद्दा सदन में नहीं आना चाहिए. सभी सदस्य सदन की गरिमा का ध्यान रखें.
इस पूरे मामले और विपक्ष की नारेबाजी के बाद चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने सदन में पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि बच्चों की मौत पर भारतीय जनता पार्टी पिछले 3 महीने से राजनीति कर रही है. बच्चों की मौत पर राजनीति करना शर्म की बात है. एक भी बच्चे की मौत होना सरकार के लिए चिंता का विषय है. राजेंद्र राठौड के चिकित्सा मंत्री रहते हुए 2014 में इसी कोटा के अस्पताल में 1198 बच्चों की मौत हुई थी. जिस पर उस समय राठौड ने कहा था कि मैं शर्मिदा हूं. जो लोग खुद मौत के बढ़ते आंकड़ों को रोक नहीं पाए वो लोग आज हमसे सवाल कर रहे हैं. शिशु मृत्यु दर में पिछले कुछ सालों में लगातार कमी आई है.
रघु शर्मा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के लोगों ने कोटा अस्पताल को पर्यटन स्थल बना दिया. पांच पांच लोगों के डेलिगेशन अस्पताल में गए इससे संक्रमण फैला. जब राजस्थान में बीजेपी बच्चों की मौत पर सवाल उठा रही थी. उसी समय गुजरात के अस्पतालों में सैकडों बच्चों की मौत हुई. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर राजनीति की. जबकि उनके खुद के गृह क्षेत्र गोरखपुर में 1 साल में 1000 बच्चों की मौत हुई. सीएम गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में जेके लोन अस्पताल के लिए बजट पारित किया था. सरकार बदली और वो बजट पता नहीं कहां चला गया. उसके बाद अस्पताल प्रशासन ने काफी पैसा वसुंधरा सरकार से मांगा लेकिन एक पैसा सरकार ने नहीं दिया. पिछली वसुंधरा सरकार ने राजस्थान की चिकित्सा व्यवस्था का भट्टा बैठा दिया. बीजेपी ने बच्चों की मौत पर राजनीति का धंधा बना लिया है.
इसके साथ ही रघु शर्मा ने कहा कि गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में से अशोक गहलोत ही ऐसे एकमात्र मुख्यमंत्री है जो मोदी सरकार को विभिन्न मुददों पर लगातार घेर रहे है. बीजेपी ने मेक इन इंडिया कहा था ये बर्बाद इंडिया हो गया. अशोक गहलोत जी मोदी सरकार पर लगातार निशाना साधते है तो मुददों से भटकानें के लिए बीजेपी ने कोटा में बच्चों की मौत पर राजनीति करने का प्रयास किया. बच्चे सभी जगह मरे हैं, लेकिन कोटा को फोकस बीजेपी ने औछी राजनीति की. सरकार में रहते हुए बच्चों की मौत कैसे कम हो उसमें बीजेपी ने कोई रूचि नहीं रखी. अब सरकार में नहीं है तो गंदी राजनीति कर रहे हैं. बीजेपी का मकसद है सरकार की बदनामी करना है.