पॉलिटॉक्स न्यूज. करीब पांच सदी के बाद रामलला को अपने घर जाने का मौका मिला है. अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर का मॉडल तैयार हो चुका है. अब वक्त है 5 अगस्त के शुभ मुहूर्त की, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने करकमलों से राम मंदिर की ईंट रखकर मंदिर भवन का शिलान्यास करेंगे. मुहूर्त के अनुसार पीएम मोदी दोपहर 12 बजकर 15 मिनट के 32 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में नींव में ईंट रखकर मंदिर के निर्माण का काम शुरू कर देंगे. इसे अभिजीत मुहूर्त कहा जा रहा है लेकिन, इस इस मुहूर्त को लेकर विवाद शुरू हो गया है और हिन्दू शीर्ष स्तर प्रबंधन दो फाड़ में बंट गया है. दूसरे धड़े ने इस मुहूर्त को विनाशकारी बताया है.
जगदगुरु शंकराचार्य ने उठाए मंदिर मुहूर्त पर सवाल
जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने तय मुहूर्त पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि भाद्रपद में किया गया शुभारंभ विनाशकारी होता है. जगद्गुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती इन दिनों जबलपुर में परमहंस आश्रम में हैं. शंकराचार्य ने कहा, ‘हम लोगों ने राममंदिर को लेकर आंदोलन किया था. हमको कोई ट्रस्टी बनने का शौक नहीं है. मंदिर शिलान्यास के लिए उचित तिथि और मुहूर्त होना चाहिए. ये अशुभ घड़ी है. ये धोखा होगा. पीएम को औपचारिक रूप से बुलाया गया है. रामजन्म भूमि में शिलान्यास शुभ मुहूर्त और तिथि को ही होना चाहिए.’ उन्होंने ये भी कहा कि इस दिन दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है. शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह-मंदिरारंभ निषिद्ध है.
शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जगद्गुरु शंकराचार्य के हवाले से अपने फेसबुक पेज पर भूमि पूजन के अशुभ समय को लेकर अपने कई तर्क भी दिए हैं. हालांकि, अयोध्या के संतों ने उनके तर्क को खारिज किया है.
मंदिर शिलान्यास हो चुका, पीएम को करना है श्रीगणेश
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयान का अयोध्या के ज्योतिषी रघुनाथ दास ने खंडन करते हुए कहा कि मंदिर निर्माण की शुरूआत शुभ घड़ी में होने जा रही है. जब तक कर्क राशि में सूर्य रहता है तब तक श्रावण का महीना माना जाता है. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से श्रावण के महीने में राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा. इसके लिए 5 अगस्त को सभी ग्रह और स्थितियां अनुकूल रहेगी.
इस संबंध में काशी के प्रकांड विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड के अनुसार, यह शुभ मुहूर्त ज्योतिष शास्त्र में उत्तर-दक्षिण के संगम से निकला है. अभिजीत मुहूर्त में ही श्रीराम का जन्म हुआ था. उत्तर भारत में 5 अगस्त को भाद्रपद और दक्षिण भारत में श्रावण मास है. शास्त्रीजी ने ही पूजन का मुहूर्त निकाला है.
इधर, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि मंदिर का शिलान्यास ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल द्वारा साल 1989 में हो चुका है. प्रधानमंत्री मोदी को केवल आधारशिला रखकर मंदिर निर्माण का शुभारंभ करना है. संत केवल यही चाहते हैं कि पीएम मंदिर का श्रीगणेश कर दें.
महंत कमल नयन दास ने आगे कहा कि कहा कि अयोध्या के राम जन्मभूमि स्थल पर तीन महीने से समय-समय पर भूमि पूजन अनुष्ठान रामार्चा के कार्यक्रम चल रहे हैं. शिलान्यास से लेकर सारे पूजन हो चुके हैं. मंदिर का शिलान्यास 1989 में ही हो चुका है. ऐसे में मुहूर्त व समय को लेकर जिसको जो कहना है कहता रहे. उन्होंने यह भी कहा कि राम के काज में हर समय शुभ तिथि है. जो लोग बातें कर रहे हैं, उसका कोई असर पीएम के कार्यक्रम पर नहीं पड़ने वाला है. वे 5 अगस्त को शुभ मुहूर्त में मंदिर निर्माण का शुभारंभ कर देंगे.
वहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य व दिगंबर अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि भगवान राम के नाम पर जो भी काम होता है, वह शुभ ही होता है. इसमें किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं है. ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने भाईचारा, प्रेम व आपसी सहमति पर यह निर्णय किया गया है. जो निर्णय लिया है, वह सही है.
भूमि पूजन 3 अगस्त से, काशी के 11 पंडित करेंगे अनुष्ठान
महंत कमल नयन ने जानकारी देते हुए कहा कि देश के अलग-अलग राज्यों से आए वैदिक आचार्य 3 अगस्त से नींव पूजन शुरू करेंगे. गर्भगृह का भूमि पूजन कार्यक्रम 3 अगस्त से शुरू हो जाएगा. पहले दिन महा-गणेश पूजन के साथ पंचांग पूजन भी होगा. दूसरे दिन 4 अगस्त को सूर्य सहित नवग्रह की पूजा होगी. 5 अगस्त को 8 बजे सुबह से अंतिम अनुष्ठान भूमि पूजन का काशी के पंडितों के नेतृत्व में 11 पंडितों की टीम करेगी. इसमें अयोध्या के पंडितों को भी शामिल किया गया है. 5 अगस्त को वरुण, इंद्र आदि देवताओं के साथ पूजा होगी.
मंदिर की नींव पहले से खोदी जा चुकी है. पीएम मोदी को केवल आधारशिला रख कर मंदिर का शुभारंभ करना है. इधर, राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि यह रामलला के मंदिर का नींव पूजन है, इसलिए रामानंदी परंपरा से ही पूजन होगा. 5 शिलाओं नंदा, जया, भद्रा, रिक्ता व पूर्णा की पूजा की जाएगी. चार शिलाएं चार दिशाओं में और एक बीच में रखी जाती है.
ये भी बता दें कि राम मंदिर की नींव पूजन में चुनिंदा लोगों को ही आमंत्रित किया जा रहा है. ये भी वो लोग हैं जो राम मंदिर के आंदोलन में शरीक थे. इनमें देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व मंत्री मुरलीमनोहर जोशी, विनय कटियार एवं उमा भारती समेत सभी राज्यों के सीएम शामिल हैं.