Politalks.News/Rajasthan. केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में और किसान आंदोलन के समर्थन में AICC के निर्देश पर आज देशभर में कांग्रेस का हल्ला बोल कार्यक्रम होगा. इसी कड़ी में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से भी आज किसान अधिकार दिवस कार्यक्रम के तहत राजभवन का घेराव किया जाएगा. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पार्टी प्रदेश प्रभारी अजय माकन, एआईसीसीई के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ सरकार के मंत्री, विधायक, अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता भाग लेंगे. इस अवसर पर कांग्रेस की ओर से धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा. प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी कार्यकर्ता शुक्रवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक सविल लाईन्स फाटक पर एकत्रित होकर राज भवन का घेराव करेंगे.
गोविंद सिंह डोटासरा की नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा होने के बाद प्रदेश कांग्रेस का यह पहला बड़ा कार्यक्रम है. प्रदेश कांग्रेस ने इस धरने को किसान अधिकार दिवस का नाम दिया है, जिसके तहत प्रदेश कांग्रेस के नेता केंद्र के कृषि कानूनों की खामियां गिनाएंगे. पार्टी से मिली जानकारी के अनुसार करीब दो से तीन घंटे तक चलने वाले इस धरने में कई कांग्रेसी दिग्गज मोदी सरकार और कृषि कानूनों पर बरसते हुए नजर आएंगे.
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इस दौरान राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में ला गए तीन कृषि विधेयकों को राजभवन में रोके जाने और उन्हें राष्ट्रपति के पास नहीं भेजने के विरोध में प्रदेश कांग्रेस के नेता सिविल लाइंस फाटक पहुंचकर राजभवन का घेराव भी करेंगे. बता दें, पूर्व में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार राजभवन पर मोदी सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगा चुके हैं. पीसीसी चीफ डोटासरा कह चुके हैं कि मोदी सरकार के दबाव में राज्यपाल हमारे कृषि अध्यादेशों को रोके हुए हैं.
प्रदेश कांग्रेस के इस घेराव कार्यक्रम के दौरान केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 के संबंध में जारी गाईडलाईन की पालना की जाएगी. गौरतलब है कि केन्द्रीय कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस पिछले कई दिनों से विरोध जताते हुए इन कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रही है. राजस्थान में किसान संवाद कार्यक्रम के तहत भी गांव गांव जाकर पार्टी की ओर से आमजन को केन्द्रीय कृषि कानून की खामियां बताई गईं थीं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कानूनों पर रोक लगाकर कमेटी बनाई है लेकिन आंदोलनकारी किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से बात करने से इनकार कर दिया है.