कांग्रेस को स्ट्रॉन्गरूम-प्रत्याशियों की चिंता, ऐसे में राजस्थान में जल्द देखने को मिल सकती है बाड़ाबंदी!

तीन राज्यों में संपन्न हुए मतदान के बाद कांग्रेस आलाकमान परेशान! EVM की सुरक्षा और विधायक प्रत्याशियों की सेंधमारी ने बढ़ाई चिंता, गोवा से मिल रही सेंधमारी की खबरों ने आलाकमान के कान किए खड़े, जल्द देखने को मिल सकती है उत्तराखंड और गोवा के प्रत्याशियों की बाड़ाबंदी, ऐसे किसी भी समय सीएम गहलोत के पास आ सकता है आलाकमान का फोन, पंजाब में नहीं है सेंधमारी का डर, वहां भाजपा का नहीं है कांग्रेस से मुकाबला

कांग्रेस को स्ट्रॉन्गरूम-प्रत्याशियों की चिंता
कांग्रेस को स्ट्रॉन्गरूम-प्रत्याशियों की चिंता

Politalks.News/Congress. पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों (5 state assembly elections) का घमासान चरम पर है. तीन राज्यों में विधानसभा के चुनाव खत्म हो गए है. उत्तराखंड और गोवा में सभी सीटों पर 14 फरवरी को मतदान हुआ था और पंजाब में सभी सीटों पर रविवार 20 फरवरी को मतदान सम्पन्न हो गया. वहीं सियासी गलियारों में जबरदस्त चर्चा है कि, ‘इससे कांग्रेस की चिंताएं खत्म होने की बजाय बढ़ गई हैं’. कांग्रेस नेताओं को चिंता है स्टॉन्ग रूम में रखी EVM की तो आलाकमान को चिंता है विधायक प्रत्याशियों में सेंधमारी की(Congress worries about strongroom candidates). गोवा से सेंधमारी की कोशिश की खबरों ने आलाकमान की धड़कनें बढ़ा दी हैं. ऐसे में एक बार विधायक प्रत्याशियों की बाड़ाबंदी (Badabandi of MLA candidates) पर विचार किया जा रहा है. सियासी जानकारों की माने तो उत्तराखंड, गोवा और पंजाब के विधायक प्रत्याशियों को राजस्थान भेजा (Rajasthan may soon see a Badabandi ) जा सकता है. वहीं स्थानीय नेताओं को स्टॉन्ग रूम के सुरक्षा की जिम्मेदारी दिए जाने की भी चर्चा है. वहीं दूसरी तरफ मतदान और मतगणना की पूरी प्रक्रिया के प्रति जो अविश्वास पैदा हो गया है. यह चुनाव आयोग की साख पर बड़ा सवाल है लेकिन जब आयोग को खुद ही अपनी साख की चिंता नहीं है, इसलिए कोई और क्या कर सकता है?

आपको बता दें, उत्तराखंड और गोवा में कांग्रेस को दो चिंताएं सता रही हैं. पहली चिंता तो ईवीएम बदले जाने या उसमें किसी किस्म की गड़बड़ी की आशंका की चिंता है. तभी कांग्रेस पार्टी के नेता हर उस जगह पर पहरा दे रहे हैं, जहां ईवीएम मशीन रखी गई हैं. हर जिले में जहां मतगणना केंद्र बने हैं वहां स्ट्रांग रूम में ईवीएम रखे हुए हैं और कांग्रेस के नेता उसके बाहर पहरा दे रहे हैं.

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दूसरी तरफ प्रदेश भाजपा के नेता स्ट्रांग रूम की रखवाली को लेकर कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं. भाजपा नेताओं का कहना है कि, ‘कांग्रेस हार रही है लेकिन बाद में ईवीएम पर दोष देने के लिए इस तरह का ड्रामा कर रही है’. आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं हो रहा है जब स्टॉन्गरूम की इतनी चिंता हो रही है. कई दूसरे राज्यों में भी यह देखने को मिला कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने मतदान के दिन से लेकर मतगणना के दिन तक स्ट्रांग रूम के बाहर पहरा दिया. राजस्थान में तो खुद मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर पहरा दिया था.

दूसरी चिंता जो कांग्रेस को सता रही है वो ये है भाजपा की सेंधमारी की. संभावित विजयी विधायकों की टूटन को लेकर कांग्रेस आलाकमान में चिंता है. गोवा में कांग्रेस अपने उन तमाम उम्मीदवारों की रखवाली में लगी है, जिनके विधानसभा चुनाव जीतने की संभावना है. कांग्रेस ने भाजपा के ऊपर आरोप भी लगाया है और कहा कि, ‘भाजपा नेता अभी से कांग्रेस के संभावित विधायकों को तोड़ने के काम में लग गए हैं’. हालांकि इस बार कांग्रेस ने दलबदल करने वाले कम नेताओं को टिकट दी है और उनसे हलफनामा भी भरवाया है, लेकिन वो सब आदर्श वादी बाते हैं. गोवा में कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि, ‘मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे कांग्रेस के कुछ नेताओं से संपर्क कर रहे हैं और पहले ही उनको तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस को मणिपुर में भी कांग्रेस पार्टी को इसी बात की चिंता सता रही है. दूसरी तरफ सियासी जानकारों का मानना है कि, पंजाब को लेकर कांग्रेस को यह चिंता नहीं है. पंजाब में चिंता इसलिए नही है क्योंकि वहां भाजपा बड़ी ताकत के तौर पर चुनाव नहीं लड़ रही है इसलिए ‘चुनाव के बाद नतीजा चाहे जो हो सरकार भाजपा की ही बनेगी’ वाली स्थिति नहीं है.

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ऐसे में अब इसपार्टी की चिंता का स्थायी समाधान कांग्रेस आलाकमान निकालने की तैयारी में हैं. गोवा, उत्तराखंड के विधायकों की बाड़ाबंदी की तैयारी तेज हो गई है. AICC के सूत्रों की मानें तो इन सभी विधायकों को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की शरण में भेजा जा सकता है. राजस्थान के सीएम गहलोत कांग्रेस आलाकमान के सबसे विश्वसनीय सिपहसालार माने जाते हैं. वहीं कांग्रेस शासित राज्यों में सबसे सुरक्षित फिलहाल राजस्थान ही है. पहले भी मध्यप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, उत्तराखंड, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के विधायकों की बाडाबंदी राजस्थान में की जा चुकी है.

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