पंजाब में कम वोटिंग ने चौंकाया, कांग्रेस-आप-अकालियों की बढ़ी धड़कनें, नतीजों के बाद बदलेंगे समीकरण

पंजाब में 7% कम वोटिंग ने चौंकाया, सियासी जानकारों का कहना- बड़े बदलाव की संभावना कम, AAP-अकाली दल को झटका, डेरो ने बिगाड़ा आप का गणित, नतीजों के बाद बदल सकते हैं समीकरण, अकालियों ने दिए भाजपा के साथ आने के संकेत

पंजाब में कम वोटिंग ने बढ़ाई दिलों की धड़कनें...
पंजाब में कम वोटिंग ने बढ़ाई दिलों की धड़कनें...

Politalks.News/Punjab. पंजाब विधानसभा (Punjab Assembly Election 2022) की 117 सीटों के लिए मतदान रविवार को संपन्न हो चुका है. इसमें सबसे चौंकाने वाली बात कम वोटिंग रही. 2017 में 77.2% के मुकाबले इस बार वोटिंग करीब 7% घटकर 70 रह गई. इसका सीधा संकेत यह माना जा रहा है कि पंजाब में बदलाव की संभावना ज्यादा नहीं है. ऐसे में इसी मुद्दे पर वोट मांग रही आम आदमी पार्टी (AAP) और एंटी इनकंबेंसी से जीत की आस में बैठे अकाली दल (Akali Dal) को झटका लगता दिख रहा है. हालांकि सियासी जानकारों की माने तो मालवा में बढ़ी वोटिंग से कांग्रेस को भी सीधा फायदा नहीं हो रहा. वहीं राज्य में वोटिंग का ट्रेंड (Voting trends) को देखें तो मतदान में कमी से यहां कांग्रेस की सरकार बनती रही है. वहीं अगर मतदान बढ़ता है तो अकाली दल सत्ता में आ जाता है. सियासी गलियारों में चर्चा तो यह भी है कि डेरों ने आप का गणित बिगाड़ा है. बता दें कि पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के नतीजों के साथ आएंगे.

पिछली बार की तुलना में करीब 7% कम हुई वोटिंग
पंजाब में विधानसभा की सभी 117 सीट के लिए रविवार को वोट डाले गए. इस चुनाव में राज्य में औसत मतदान 70% फीसदी रहा. हालांकि यह 2017 में हुई 77% वोटिंग की तुलना में करीब 7% कम है. मनासा में सबसे ज्यादा 77.21 फीसदी वोटिंग हुई. जबकि दूसरे नंबर पर श्री मुक्तसर साहिब रहा, जहां 74.12 प्रतिशत वोट डाले गए. वहीं संगरूर में वोट प्रतिशत 71.45, मालेर्कोटला में 72.84, पटियाला में 71, फाजिल्का में 73.59 और भटिंडा में 73.79 फीसदी मतदान हुआ. जबकि लुधियाना में वोटिंग की दर सबसे कम 60.29 फीसदी रही.

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हर बार मुकाबला 2-3 पार्टियों में होता रहा, इस बार 5 प्रमुख धड़े
पंजाब में चुनाव से पहले की राजनीति की बात करें तो इस बार के विधानसभा चुनाव में बहुआयामी मुकाबला देखने को मिला. जहां कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल के साथ बीएसपी का गठबंधन और बीजेपी व पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का गठबंधन शामिल रहा. कांग्रेस ने मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अपना सीएम फेस बनाया. जबकि आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया. भगवंत मान धुरी सीट से चुनावी मैदान में उतरे. वहीं सीएम चन्नी दो सीट चमकौर साहिब और भदौर से चुनाव लड़े. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर पूर्व सीट से अपनी किस्मत अजमाई.

कांग्रेस का दलित कार्ड
34% दलित आबादी वाले पंजाब में पहली बार कांग्रेस पार्टी दलित सीएम चेहरे के साथ उतरी है. 2017 में कांग्रेस का वोट शेयर 38.5% था. हालांकि, कैप्टन के अलग होने का असर दिख रहा है. इसीलिए मालवा में कांग्रेस के सीएम फेस चन्नी चुनाव लड़ रहे हैं.

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आप ने नहीं दोहराई पिछली बार की गलती
आम आदमी पार्टी इस बार सीएम फेस के साथ मैदान में है. 2017 में आप को 23.7% वोट मिले थे. आप का पूरा फोकस 69 सीटों वाले मालवा में हैं.

शिअद अभी अकेले ही, नतीजों के बाद खेल संभव…
शिरोमणि अकाली दल पिछली बार भाजपा के साथ था. शिअद को 25.2%, भाजपा को 5.4% वोट मिले थे. अगर कांग्रेस या आप को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो शिअद+भाजपा+कैप्टन गठजोड़ बन सकता है.

डेरे ने बिगाड़ा आप का गणित!
डेरा सच्चा सौदा ने अनुयायियों को भाजपा और शिअद को वोट करने का संदेश दिया है. राज्य की आधी सीटों पर डेरा का प्रभाव है. राधा स्वामी डेरा के मुखी से पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की मुलाकातों की तस्वीरें आई हैं. इसे सियासी नजरिए से देखा जा रहा है.

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