Politalks.news/Uttarakhand. जैसे जैसे आगामी 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख पास आती जा रही है सभी सियासी दल अपनी उधेड़बुन में लग चुके हैं. अब विधानसभा चुनाव हो और राजनेताओं का ‘पाला बदल’ खेल बिलकुल भी संभव नहीं है. उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कई नेताओं का अपनी पार्टियों से मन भर चुका है. उत्तराखंड की राजनीति में भी पाला बदलने का खेल शुरू हो चुका है. पुरोला विधायक राजकुमार का बीजेपी में जाना कांग्रेस आलाकमान को रास नहीं आया और उन्होंने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को दिल्ली तलब कर लिया है.
विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह नेताओं का दूसरे दल में जाना कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बन चुका है. कांग्रेस के साथ ये ट्रैंड हो चला है कि अगर किसी भी राज्य में चुनाव हैं तो उन राज्यों में कांग्रेस के कई नेता उसका साथ छोड़ देते हैं. उत्तराखंड कांग्रेस से विधायक राजकुमार के बीजेपी में जाने के बाद और भी कई नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं. इन नेताओं में उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का नाम भी शामिल है. राजनीतिक जानकारों की माने तो विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस यहां मजबूत स्थिति में हैं लेकिन इस तरह पार्टी नेताओं का पार्टी से मोहभंग होना उसके लिए मुसीबत बन चुका है.
उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर कथित तौर पर असंतोष को देखते हुए रावत को दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान ने तलब किया है. पुरोला विधायक राजकुमार के बीजेपी में शामिल होने के बाद कुछ और वरिष्ठ कांग्रेसियों ने पार्टी में असंतोष की बातें जगज़ाहिर की हैं. पूर्व प्रदेशाध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ ही पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने साफ तौर पर यह कह दिया है कि पार्टी में उनकी लगातार उपेक्षा की जा रही है. कांग्रेस के इन वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी सामने आने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत को दिल्ली बुलाया. सूत्र बता रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों में हरीश रावत आलाकमान से मिलेंगे और इस पूरे मामले की रिपोर्ट उनको सोपेंगे.
वहीं पुरोला विधायक के बीजेपी में शामिल होने पर हरीश रावत ने साफ़ किया कि, ‘सिर्फ एक विधायक को छीना गया है और बाकी नेताओं के बारे में चल रही अटकलें बेबुनियाद हैं’. रावत ने भाजपा पर दलबदल की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘जिस रणनीति के तहत भाजपा काम कर रही है उस तरह की रणनीति का नुकसान भाजपा को ही होगा. क्योंकि प्रदेश के साथ साथ देश की जनता भाजपा की इन चालों को समझ चुकी है और जनता अब भाजपा के खिलाफ आक्रोशित है’.
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वहीं उपाध्याय से जब पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल होने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘कौन जानता था कि एक दिन विजय बहुगुणा जैसा नेता तक कांग्रेस छोड़ देंगे!. मैं अपनी लगातार हो रही उपेक्षा से बहुत दुखी हूं. लेकिन कांग्रेस के साथ मेरी वफादारी और लंबी निष्ठा मुझे इस तरह के फैसले लेने से रोकती है.’ उपाध्याय ने कहा कि पार्टी में लगातार उनके योगदान की उपेक्षा की जा रही है. ‘2007 से 2012 के बीच मैंने ओर हरक सिंह रावत ने पार्टी के लिए जो योगदान दिया, उसकी बदौलत पार्टी उत्तराखंड में मकाम तक पहुंची, लेकिन लंबे समय से मुझे नज़रअंदाज़ किया जा रहा है.’
आपको बता दे कि पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष किशोर उपाध्याय टिहरी से 2002 और 2007 में विधायक रहे लेकिन 2012 में उन्हें कुछ ही मार्जिन से हार का मुंह देखना पड़ा. 2012 में मिली चुनावी हार को लेकर बाद में हुए अन्य चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया. यहां तक कि राज्य सभा सीट के लिए भी उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई गई थी. कयास लगाए जा रहे हैं कि इन्हीं कारणों से उपाध्याय बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.