Madhyapradesh Politics: मध्यप्रदेश में ये चुनावी साल है. चुनावों का राजनीतिक शोर धीरे धीरे बढ़ता जा है और इसके साथ साथ नेताओं की आपसी बयानबाजी भी चुनावी माहौल में रंग घोल रही है. बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर छीटा कशीं करते दिख रहे हैं. इसी कड़ी में केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बार फिर कांग्रेस पर निशाना साधा है. सिंधिया ने कहा कि धर्म और जाति का मुखौटा पहनना कांग्रेस की आदत है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के दौरे पर आए सिंधिया ने तीखा तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले लोगों को गुमराह करने के लिए अलग-अलग मुखौटे पहनती है. सिंधिया ने बिना नाम लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर भी जुबानी हमला करते हुए कहा कि अपनी पिछली हारों से कांग्रेस ने कुछ नहीं सीखा है.
केंद्रीय मंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने (मल्लिकार्जुन खड़गे) सागर में जाति जनगणना के बारे में बात की. कांग्रेस धार्मिक यात्रा की बात भी कर रही है. धर्म और जाति का मुखौटा पहनना कांग्रेस की पुरानी आदत है. लोगों ने कई बार इस मुखौटे को हटा दिया है लेकिन कांग्रेस ने कुछ भी नहीं सीखा है. सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सागर में की गई उस घोषणा का जिक्र कर रहे थे कि जिसने खड़गे ने वादा किया था कि अगर कांग्रेस शिवराज सिंह सरकार को पटखनी देकर फिर से मध्यप्रदेश की सत्ता में आती है तो नई सरकार जाति जनगणना कराएगी. इस पर सिंधिया ने कहा कि मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें ऐसी ही (हार वाली) स्थिति देखने को मिलेगी.
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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी की विवादास्पद टिप्पणी पर भी नाराजगी व्यक्त की. कुरैशी ने हाल में कहा था कि मुसलमान एक सीमा से अधिक अपने खिलाफ ज्यादती बर्दाश्त नहीं करेंगे. इस पर पलटवार करते हुए सिंधिया ने काह कि चुनाव आते ही धर्म और जाति के नाम पर कांग्रेस के कई मुखौटे नजर आने लगते हैं. उन्होंने आगामी मप्र विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की एकतरफा जीत का दावा भी किया है.
गौरतबल है कि मध्य प्रदेश की 230 सीटों पर इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. मौजूदा समय में यहां बीजेपी की शिवराज सिंह चौहान की सरकार है. बीजेपी बीते 18 साल से यहां सत्तारूढ़ है. 2018 में कांग्रेस ने सपा-बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी लेकिन कमलनाथ के नेतृत्व वाली ये सरकार केवल 15 महीने चल सकी. ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 28 विधायकों ने बागी होकर बीजेपी का दामन थाम लिया जिसके चलते सरकार गिर गई. बाद में शिवराज सिंह ने बहुमत साबित कर सरकार बना ली और स्वयं फिर से मुख्यमंत्री बन बैठे. सिंधिया को इस दगाबाजी का इनाम मिला और उन्हें राज्यसभा से केंद्रीय मंत्री बनाया गया.
बता दें कि सिंधिया गुना से पूर्व सांसद रह चुके हैं. कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने की बात को लेकर दोनों के बीच मनमुटाव आया गया था. अब विधानसभा चुनावों में बीजेपी चाहती है कि वह सत्ता में बनी रहे, जबकि कांग्रेस घायल शेर की तरह सत्ता हासिल करने के लिए काफी जोर आजमाइश कर रही है.