Politalks.News/Rajasthan. सखी सईया तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाए जात है, देश में इस समय मंहगाई चरम पर है पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रहे है, तो रसोई गैस भी पीछे नही रह रही है. वहीं केन्द्र सरकार ने गैस सब्सिडी भी बंद कर दी है. पूरा देश कोरोना महामारी के गंभीर परिणामों से जूझ रहा है. वर्तमान विषम परिस्थितियों से हर वर्ग दुखी और भयभीत है. फिर भी इन परिस्थितियों को संभालने, देश को संबल देने और गरीबों को न्याय देने के बजाय केंद्र की मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस के दामों में दिन-प्रतिदिन बेहताशा वृद्धि कर देशवासियों के सब्र और ध्येय का इम्तिहान ले रही है.
बढ़ती महंगाई से आमजन के हाल बेहाल होते जा रहे हैं. इसको देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है. सीएम गहलोत ने गैस सब्सिडी समाप्त करने पर गहरी चिंता जताई है. सीएम ने पत्र में पेट्रोल डीजल की कीमतों के कमी करने की भी मांग की है. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘गैस सब्सिडी को समाप्त करने से घरेलू रसोई गैस की कीमतों में जो बढ़ोतरी हुई है, यह आमजनता के लिए असहनीय है.
सब्सिडी नहीं मिलने से उज्जवला योजना विफल- गहलोत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे इस पत्र में सीएम गहलोत ने लिखा है कि, ‘देश के BPL परिवारों को स्वच्छ ईंधन मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना शुरू की थी, लेकिन रसोई गैस के दाम बढ़ने के कारण यह योजना गरीब परिवारों को राहत देने में विफल साबित हो रही है. कोरोना काल के चलते आजीविका के संकट से जूझ रहे गरीब लोग रसोई गैस पर अनुदान समाप्त करने के कारण सिलेंडर के दाम चुकाने में असमर्थ हो गए हैं. इसके चलते सिलेंडर रिफिल कराने वाले उपभोक्ताओं के प्रतिशत में निरंतर कमी आ रही है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है.
‘सब्सिडी खत्म करने से गड़बड़ाया घर का बजट’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘सब्सिडी को समाप्त करने से घरेलू रसोई गैस की कीमतों में जो बढ़ोतरी हुई है, यह उपभोक्ताओं के लिए असहनीय है. इससे लोगों के घर का बजट गड़बड़ा गया है और लोगों के लिए गैस सिलेंडर रिफिल करवाना बूते से बाहर होता जा रहा है.
बीते 18 माह से उपभोक्ताओं को सब्सिडी नहीं दी जा रही
सीएम गहलोत ने अपने पत्र में आंकड़ों के हवाले से बताया कि, ‘वर्ष 2013 के जनवरी माह में घरेलू गैस के एक सिलेंडर की कीमत 865 रुपये थी, जिस पर 477 रुपये की सब्सिडी मिल रही थी. उस समय एक गैस सिलेंडर के लिए उपभोक्ता को मात्र 388 रुपये ही खर्च करने होते थे. बीते 18 माह से उपभोक्ताओं को सब्सिडी नहीं दी जा रही है. मजबूरन गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों की महिलाएं खाना पकाने के लिए लकड़ी एवं अन्य परम्परागत ईंधन का उपयोग कर रही हैं. इससे उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है’. गहलोत ने कहा कि, ‘जनवरी 2013 में पेट्रोल की कीमत 70 रुपये 81 पैसे प्रति लीटर तथा डीजल की कीमत 49 रुपये 33 पैसे प्रति लीटर थी, जो वर्तमान में क्रमशः 108 रुपये 21 पैसे तथा 99 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है’.
महंगाई के चलते घर का खर्च चलाना हो गया मुश्किल
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी के लिए घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. परिवहन लागत में वृद्धि से माल एवं सेवाओं की लागत भी बढ़ गई है. खुदरा महंगाई दर पिछले समय में 6 फीसदी से अधिक है, जिसकी मुख्य वजह पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि, ‘रसोई गैस तथा पेट्रोल एवं डीजल के बढ़ते आर्थिक भार से आम जनता में असंतोष है. इनकी बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार उचित कदम उठाए और कोविड के कारण पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों को राहत प्रदान करे