भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न आरोप मामले राहत प्रदान की है. कोर्ट की तीन सदस्यीय इन हाउस कमेटी ने यौन उत्पीड़न के आरोप झेल रहे सीजेआई गोगोई को में क्लीन चिट दे दी है. कमेटी की ओर से कहा गया कि पूरे मामले की जांच के बाद यह निकल कर सामने आया है कि चीफ जस्टिस गोगोई पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है. साथ ही इन आरोपों में कमेटी को उनके खिलाफ कोई साक्ष्य ही नहीं मिले हैं.
इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उनपर लगे आरोपों पर अपना पक्ष रखा था जिसमें उन्होंने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए इसे कोई बड़ी साजिश बताया था. उन्होंने कहा था कि कोई सीजेआई कार्यालय को निष्क्रिय करने की मंशा लिए बड़ी साजिश रच रहा है. इसके लिए कोई बड़ी ताकत काम कर रही है. इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की कमेटी ने मामले की जांच करनी शुरू की. जिसमें जस्टिस गोगोई पहले ही अपना पक्ष रख चुके हैं.
सीजेआई गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीडन के आरोपों की जांच जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी ने की है. कमेटी ने जस्टिस गोगोई पर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें क्लीन चिट दे दी है. सुप्रीम कोर्ट की इस इन हाउस कमेटी में जस्टिस बोबड़े के अलावा दो अन्य सदस्य जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी शामिल हैं. इस कमेटी ने पूरे मामले पर जांच के बाद अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है जो सीजेआई के अलावा वरिष्ठ न्यायाधीशों को भी दी गई है.
वहीं दूसरी ओर सीजेआई गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला ने सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस कमेटी पर ही सवाल खड़े किए थे. जिसमें महिला कमेटी पर यौन उत्पीड़न अधिनियम के नियम-कायदों को ताक पर रखने का आरोप लगा चुकी है. जिसमें महिला ने कहा कि जांच कमेटी द्वारा उससे बार-बार यही पूछा जा रहा था कि उनसे यौन उत्पीड़न की शिकायत करने में कितना समय क्यों लगाया. इधर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील भी सवाल उठा रहे हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कमेटी की रिपोर्ट को जनहित में सार्वजनिक करने की मांग करते हुए इसे घोटाला बताया है. इस पर उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर एक ट्विट पोस्ट किया है.
#NotInMyName
This is a scandal
Indira Jaising v Supreme Court of India was also a case of sexual harassment by a sitting High Court of Karnataka.It is a pre RTI case and is bad in law
Demand the disclosure of the findings of the enquiry committee in public interest https://t.co/Saw07mBPhV— indira jaising (@IJaising) May 6, 2019
बता दें कि इससे पहले सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए गठित तीन जजों की आंतरिक जांच समिति पर आरोप लगाने वाली महिला ने सवाल उठाए थे. जिसके बाद जस्टिस एनवी रमण ने खुद को जांच समिति से अलग कर लिया था. दरअसल, आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी ने जस्टिस एनवी रमण को जांच समिति में शामिल करने पर ऐतराज जताया था.
गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला कर्मचारी ने शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को आरोप लगाने वाला यह पत्र भेजा था. पूरे मामले की सुनवाई के लिए इन हाउस कमेटी का गठन किया गया था. जिसके बाद कमेटी ने पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सीजेआई सहित सुप्रीम कोर्ट के जजों को सौंप दी है. इसमें जस्टिस गोगोई पहले ही अपनी सफाई पेश कर चुके थे.