बड़े भू-भाग पर कब्जा कर चुके चीन ने अरुणाचल में स्थानों के नाम बदलकर दी मोदी सरकार को चुनौती

शिकारी खुद यहां शिकार हो गया..क्या गजब हुआ! अरुणाचल प्रदेश में चीन ने कई जगहों के बदले नाम, विदेश मंत्रालय बोला-  'अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा, गढ़े गए नामों के कुछ नहीं होगा' केन्द्र सरकार के शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी समझ से परे

ड्रेगन की हरकत पर मोदी सरकार की चुप्पी समझ से परे!
ड्रेगन की हरकत पर मोदी सरकार की चुप्पी समझ से परे!

Politalks.News/Delhi. चीन (China) के भारत में बढ़ते दखल और मोदी सरकार की चुप्पी पर एक बार सियासत गरमाती नजर आ रही है. इस बार बीजेपी सरकार के खुद के वार पर ही पलटवार हुआ है. बात बात पर शहरों, सड़कों, गलियों, रेलवे स्टेशनों, जिलों आदि का नाम बदलने वाली मोदी सरकार को पड़ोसी देश चीन ने बड़ी चुनौती दी है. भारत के एक राज्य अरुणाचल प्रदेश (Arunachal) के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा जमा चुके चीन ने अब प्रदेश की कई जगहों के नाम बदल दिए हैं और इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह कि मोदी सरकार (Modi Goverment) की तरफ से एक सरकारी बयान के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई है. चीन को सबक सीखा देने की चेतावनी वाले अपने बयान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इतना ही कहा कि, ‘अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा, गढ़े गए नामों के कुछ नहीं होगा‘.

जबकि हकीकत तो यह है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदल दिए. चीन ने इन स्थानों की अक्षांश और देशांतर रेखाओं के आधार पर पहचान बताते हुए तिब्बती और रोमन वर्णमाला के हिसाब से नए नाम दिए. इस मामले को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि, केन्द्र सरकार के शीर्ष नेतृत्व को इस हरकत पर एतराज जताना चाहिए था, यही नहीं बल्कि चीनी राजदूत को बुलाकर फटकार लगाई जानी चाहिए थी. लेकिन मोदी सरकार इस मामले को लेकर अब तक भी मौन है, जिसके चलते सत्ताधारी पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है.

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आपको बता दें, पड़ौसी ड्रेगन चीन ने अरुणाचल प्रदेश के जिन इलाकों के नाम बदले हैं उनमें आठ रिहायशी इलाके हैं, जिनमें चार पहाड़ हैं, दो नदियां हैं और पहाड़ी दर्रा है. इससे पहले 2017 में जिस समय चीन और भारत के बीच डोकलाम का विवाद चल रहा था उस समय भी चीन ने हमारे छह स्थानों के नाम बदले थे लेकिन तब इसकी ज्यादा चर्चा नहीं हुई थी. अभी चूंकि चीन के साथ कई जगह विवाद चल रहा है और उसने नया लैंड बॉर्डर लॉ बनाया है, जिसे एक जनवरी से लागू किया गया है इसलिए 15 स्थानों के नाम बदले जाने की ज्यादा चर्चा हुई है. चीन के इस नए लैंड बॉर्डर लॉ से भारत की चिंता बढ़ी है.

आपको ध्यान दिला दें कि अब तक भारत में भाजपा सरकारों द्वारा कितनी जगहों के नाम बदले गए हैं और उस पर कैसा छाती पीट प्रदर्शन होता रहा है. मुस्लिम इतिहास की पहचान को मिटा कर हिंदू पहचान स्थापित करने के नाम पर इलाहाबाद से लेकर फैजाबाद और हबीबगंज से लेकर मुगलसराय तक के नाम बदले जा रहे हैं. लेकिन एक झटके में चीन ने भारत की संप्रभुता को चुनौती दे दी है. उसने हमारे एक राज्य पर अपना दावा करते हुए उसके जगहों के नाम बदल दिए. चीन पहले से कहता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बती है, जिसका चाइनीज नाम जंगनान है, लेकिन अब एक कदम आगे बढ़ कर चीन ने इसके जगहों के नाम बदलने शुरू कर दिए.

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इतना सब होने के बाद भी मोदी सरकार की चुप्पी समझ से परे है, अरे भई, यह चीन के विदेश मंत्रालय का कोई एक बयान नहीं है, जिसके जवाब में भारत का विदेश मंत्रालय जवाब देगा. यह चीन की सरकार का एक निर्णायक कदम है, जिसका सरकार के शीर्ष स्तर से प्रतिकार किया जाना चाहिए. भारत की ओर से इस बात का दबाव बढ़ाया जाना चाहिए कि चीन ने जिन जगहों के नाम बदले हैं, उन्हें ठीक करे. भारत ने 2017 में ऐसा नहीं किया था इसलिए चीन की हिम्मत बढ़ी. अगर अब भी कुछ नहीं किया गया तो चीन ने जिन जगहों के नाम बदले हैं उन पर वह अपना दावा मजबूत करेगा. भारत को तत्काल चीन के राजदूत को बुला कर सख्त शब्दों में चेतावनी देना चाहिए. कायदे से तो कूटनीतिक और कारोबारी संबंध खत्म होने चाहिए लेकिन भारत कारोबारी संबंध खत्म नहीं कर सकता है कि क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था चीन पर काफी हद तक निर्भर है.

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