चिदंबरम (P.Chandamama) ने साबित कर दिया कि वह जेल जाने से बहुत डरते हैं. खुद सुप्रीम कोर्ट वकील हैं. देश के वित्त मंत्री और गृहमंत्री रह चुके हैं. उस समय वह इतने मगरूर थे कि कुछ भी कर डालने का आत्मविश्वास रखते थे. कानूनिविद होने के बावजूद उन्होंने कानूनों का अपने हिसाब से इस्तेमाल किया. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. ऊंट पड़ाड़ के नीचे आ चुका है और वह डर रहा है. उसका अभिमान चूर-चूर हो रहा है कि यह पहाड़ तो मुझसे बहुत ऊंचा है. जो भी इस तरह का अतिरिक्त आत्मविश्वास पाल लेता है, वह चिदंबरम हो जाता है. चिदंबरम अब कुछ दिन तिहाड़ जेल के बैरक नंबर सात में रहेंगे.
चिदंबरम ने जेल जाने से बचने की बहुत कोशिश की. इसके लिए उन्होंने अपनी हिरासत अवधि भी बढ़वा ली थी. उनके वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी पूरी ताकत लगाए हुए थे. उन्होंने यह साबित करने की पूरी कोशिश की कि जेल भेजने के कानून सब के लिए समान नहीं हैं. चिदंबरम को सीबीआई ने INX मीडिया (INX Media) मामले में गिरफ्तार किया था. उनकी रिमांड अवधि दो बार चार-चार दिन बढ़ी. उसके बाद सीबीआई ने अदालत से कहा कि अब रिमांड की जरूरत नहीं है. उसके बाद चिदंबरम को तिहाड़ जेल भेजा जाता. तिहाड़ जेल में रात गुजारने से बचने के लिए उन्होंने अदालत से मांग की कि उन्हें रिमांड में ही रहने दिया जाए. यह मांग इसलिए कि वह तिहाड़ जेल की कोठरी की बजाय सीबीआई के गेस्टहाउस में रह सकें.
चिदंबरम की सीबीआई हिरासत पांच सितंबर तक ही बढ़ सकी. इसके बाद वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) के शिकंजे में आ गए. उन्हें जिसका डर था, वही हुआ. वह गुरुवार शाम तक तिहाड़ जेल पहुंचा दिए गए. सिब्बल और सिंघवी ने अदालत में दलील दी कि चिदंबरम की उम्र और सेहत का ध्यान रखते हुए उन्हें तिहाड़ जेल न भेजा जाए. चिदंबरम की उम्र 76 साल है. हालांकि यह बात अलग है कि 70 पार कई बुजुर्ग तिहाड़ जेल में बंद हैं. गिरफ्तार होने के बाद रिमांड अवधि खत्म होने पर आरोपी को जेल भेज दिया जाता है. यह कानून सबके लिए समान बताया जाता है, लेकिन चिदंबरम इसके अपवाद साबित हो रहे थे. अदालत ने उनकी रिमांड अवधि बढ़ा दी थी.
इतनी कोशिशों के बाद भी भाग्य ने साथ नहीं दिया. माथे पर रखा अक्ल का टोकरा भी कोई काम न आया. सीबीआई से मुक्ति मिली तो ED ने पकड़ लिया और हिरासत मांगने की बजाय न्यायिक हिरासत में भेजने का अनुरोध कर दिया. पूछताछ बाद में होती रहेगी, फिलहाल चिदंबरम ने अपराध के मामले में जेल में दिन काटने वाले देश के पहले पूर्व गृहमंत्री होने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है. जब चिदंबरम गृहमंत्री थे, तब अमित शाह को तिहाड़ जेल में रहने का अनुभव प्राप्त हुआ था. अब अमित शाह गृहमंत्री है. चिदंबरम को भी जेल में रहने का अनुभव होना चाहिए.
चिदंबरम जब देश के गृहमंत्री थे, तब उन्होंने हिंदू आतंकवाद की फाइल तैयार करवाई थी. बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के निहत्थे सत्याग्रहियों पर आधी रात को पुलिस का हमला करवाया था. यह कार्रवाई उन्हें दिल्ली से रातोंरात खदेड़ने के लिए की गई थी. उस समय चिदंबरम के दिमाग में यह बात बिलकुल नहीं थी कि वह कुछ गलत कर रहे हैं. दुनिया में कई बड़े नेताओं को इस तरह की गलतफहमी होती रहती है. समय पलटने के बाद सारी गलतफहमी धरी रह जाती है, जैसा चिदंबरम के साथ हो रहा है.
चिदंबरम अगर जेल जाने से किसी भी तरह बचते रहते तो लोग यही समझते कि कानून सबके लिए समान नहीं है. अब यह आरोप नहीं लगेगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से पहले ही इनकार कर दिया था और उन्हें जमानत के लिए स्थानीय अदालत में अर्जी देने को कहा था. जिस कानून का विकट जानकार होने का दम भरते हुए चिदंबरम तीसमारखां बनते थे, आज वह खुद उसी कानून के शिकंजे में फंस चुके हैं. कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी उनके लिए वकालत कर रहे हैं. हकीकत यह है कि फिलहाल चिदंबरम जमानत के लिए तरस रहे हैं.