Wednesday, January 15, 2025
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छत्तीसगढ़: बिलासपुर में दांव पर लगी स्पीकर, प्रदेशाध्यक्ष, दो मंत्री और जोगी परिवार की प्रतिष्ठा

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग में 25 सीटों पर चुनावी जंग, इनमें से 12 सीटों पर कांग्रेस के विधायक विराजमान, यहां से दो सीएम चेहरों पर भी दांव, कई सीटों पर बन रहा त्रिकोणीय मुकाबला

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Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान आज हो रहा है. शाम 5 बजे तक मतदान किया जा सकेगा. दूसरे चरण में प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी. इन्हीं में से बिलासपुर विधानासभा क्षेत्र खास मायने रखता है. बिलासपुर क्षेत्र में 25 विधानसभा सीटें आती हैं जिन पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के स्पीकर, बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष, बघेल सरकार के दो मंत्री और पूर्व सीएम अजीत जोगी के प्रतिष्ठित जोगी परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इस क्षेत्र के शहरी इलाकों में गैरप्रांत और गांवों में पिछड़ा, आदिवासी एवं अनुसूचित जाति की बहुलता है. 2018 में यहां से 12 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. सात सीटों पर बीजेपी, तीन पर जेसीसीजे और दो पर बसपा को जीत मिली है. इस बार बलौदाबाजार जिले के बिलाईगढ़ और रायगढ़ के सारगढ़ को नया जिला बनाने से संभाग में सीटों की संख्या 25 हो गयी है.

प्रदेश में सबसे अधिक विधानसभा सीटों वाला बिलासपुर संभाग खनन उद्योगों के साथ विद्युत उत्पादन और सियासत का पावर हाउस भी रहा है. यहां से विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंग, बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव, सरकार में मंत्री उमेश पटेल एवं जयसिंह अग्रवाल, पूर्व सीएम अजीत जोगी की पत्नी डॉ.रेणु जोगी, बहू ऋचा जोगी, आईएसएस से नेता बने ओपी चौधरी और लखीराम अग्रवाल के पुत्र एवं पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. कई सीटों पर बसपा और जेसीसीजे के मजबूत दखल से मुकाबला त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है.

यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश का सियासी दंगल: दिग्गी राजा ने दी सीएम शिवराज सिंह को बड़ी नसीयत

जोगी परिवार की बादशाहत खतरे में 

जेसीसीजे से प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी कोटा सीट से चुनाव लड़ रही है. यहां से बीजेपी के दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र प्रबल प्रताप सिंह जूदेव और कांग्रेस ने अटल श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है. पिछले चुनाव में रेणु जोगी को एक करीबी मुकाबले में करीब तीन हजार वोटों से जीत मिली थी लेकिन इस बार उनकी जीत की राह आसान नहीं है. जोगी की बहू ऋचा जोगी अकलतरा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में है. उनके खिलाफ बीजेपी के विधायक सौरभ सिंह ताल ठोक रहे हैं. पिछले चुनाव में ऋचा भी करीबी मुकाबले में करीब 1800 वोटों से हार गयी थी. इस पर भी दोनों के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. पिछली बार कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे थे. अजीत जोगी के परिवार के सामने अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने की चुनौती है.

दो चेहरों में भविष्य का सीएम चेहरा 

बिलासपुर संभाग से दो चेहरों में प्रदेश की जनता भविष्य का मुख्यमंत्री का चेहरा तलाश रही है. सक्ती सीट पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत चुनावी मैदान में है. उनके सामने बीजेपी के खिलावन साहू है. पिछले चुनाव में महंत ने बीजेपी के मेधाराम साहू को करीब 30 हजार वोटों से मात दी थी. इस सीट पर ओबीसी मतदाता निर्णायक वोटर्स की भूमिका में है. इस बार भूपेश बघेल के साथ साथ डॉ. चरणदास महंत का नाम भी सीएम पद की दौड़ में शामिल है. वहीं लोरमी विधानसभा सीट से बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव मैदान में है. इनके खिलाफ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता थानेश्वर साहू मुकाबले में है. अरुण साव को बीजेपी के सीएम चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है. वैसे इन दोनों सीटों पर आमने सामने की लड़ाई है पर बड़े चेहरों से उम्मीद भी बड़ी लगाई जा रही है.

पूर्व आईएएस और सरकार के दो मंत्री भी कसौटी पर 

आईएएस से बीजेपी नेता बने ओपी चौधरी रायगढ़ सीट से मैदान में है. उनके सामने कांग्रेस के विधायक प्रकाश नायक उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. चौधरी को पिछले चुनाव में खरसिया से हार का सामना करना पड़ा है. इस बार चौधरी इस क्षेत्र में चर्चा में बने हुए है. प्रदेश के मंत्री उमेश पटेल इस बार खरसिया से और अन्य मंत्री जयसिंह अग्रवाल कोरबा सीट से चुनाव लड़ रहे है. बिलासपुर सीट से बीजेपी की रमन सरकार में मंत्री रह चुके अमर अग्रवाल एक बार फिर चुनावी मैदान में है. पिछले चुनाव में उत्तर प्रदेश और बिहार के मतदाताओं के सहारे 11 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी.

इलाके में रोजगार और प्रदूषण प्रमुख मुद्दे

इस क्षेत्र में शहरी रोजगार, मूलभूत सुविधाओं के विकास और घोटाले प्रमुख मुद्दे हैं. औद्योगिक संस्थानों में स्थानीय लोगों को रोजगार और उद्योगों का प्रदूषण बड़ा मुद्दा है. उद्योगों की जरूरत के अनुरूप कौशल विकास का कोई इंतजाम नहीं है. शहरों से गांवों की कनेक्टिविटी आज भी समस्या है. कई गांव ऐसे है जहां पहुंचाना आसान नहीं है. कांग्रेस की कर्जमाफी और मोदी की गारंटी चर्चा का विषय है

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