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बिहार इन दिनों ‘चमकी बुखार’ की गिरफ्त में हैं. इस बुखार से अब तक करीब 135 बच्चे काल के ग्रास में समा चुके हैं. हालांकि प्रदेश का चिकित्सा विभाग अपनी पूरजोर कोशिशों में जुटा हुआ है लेकिन हालात हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे. ऐसे समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिल्ली दौरा सभी की समझ से परे हैं. सभी के लिए यह आलोचना का विषय बनता जा रहा है. इसी बीच जेडीयू के सांसद दुलार चंद्र गोस्वामी उनके समर्थन में उतर आए हैं लेकिन उनके इस बयान ने प्रदेशभर में गदर मचा दिया है.

गोस्वामी ने कहा, ‘हम मान रहे हैं कि​ स्थिति गंभीर है और सरकार इस पर तत्परता से काम कर रही है. नीतीश दिल्ली में है तो क्या हुआ. वह (नीतीश) हालात का जायजा लेने गए तो थे. स्वास्थ्य मंत्री भी हालात देखने गए थे. इस बात से कौन इनकार कर रहा है ऐसी घटना हुई है जो कि हमारे लिए भी दुखद है. स्थिति सुधर रही है.’

बता दें, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) की वजह से बिहार में अब तक 135 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है. चिकि​त्सा व्यवस्था पर स्थानीय लोगों का गुस्सा चरम पर है. यहां तक कि सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने नी​तीश कुमार को इस्तीफा देने की बात भी कही है. आलम यह है कि हाल ही में सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हालात का जायजा लेने पहुंचे थे, यहां उसके खिलाफ लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया. साथ ही ‘नीतीश वापस जाओ’ के नारे भी लगाए.

बिहार में ‘चमकी बुखार’ से मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. कोर्ट इस मामले पर सोमवार को सुनवाई करेगा. दो वकीलों ने इसे लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया कि सरकारी लापरवाही के कारण यह स्थिति पैदा हुई है क्योंकि उन्होंने इस बीमारी से हर साल होने वाली मौतों को नजरअंदाज किया. याचिका में एईएस को फैलने से रोकने के लिए सहायता और समीक्षा के लिए मेडिकल प्रोफेशनल्स की टीम भेजने का आदेश केंद्र को देने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया कि केंद्र और राज्य सरकार को स्थिति से निपटने के लिए जरूरी मेडिकल पेशेवरों के साथ तत्काल 500 आईसीयू की व्यवस्था करनी चाहिए.

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