Politalks.News/Rajasthan. केन्द्र की मोदी सरकार ने राजस्थान की गहलोत सरकार के निर्णय पर वीटो कर दिया है. राजस्थान में बनी 4 स्मार्ट सिटी कंपनियों में केंद्रीय मंत्रालय के बिना अनुमति स्वतंत्र निदेशक नियुक्ति के मामले में अशोक गहलोत सरकार को बड़ा झटका लगा है. 15 जुलाई को राज्य सरकार ने आदेश जारी करते हुए जयपुर, कोटा, उदयपुर और अजमेर स्मार्ट सिटी में 7 नए इंडिपेंडेंट डायरेक्टर नियुक्त किए थे. इन नियुक्तियों पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने रोक लगा दी है.
जानकार सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार के पास इस मामले की शिकायत भी गई थी. अब सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि इस फैसले के पीछे कौन है? राजनीतिक नियुक्तियों को रोकने की परंपरा हमारे यहां की राजनीति में नहीं रही है. हाल ही में जयपुर में तो जयपुर ग्रेटर की मेयर के निलंबन के बाद बीजेपी की पार्षद को ही कार्यवाहक मेयर बनाया है और अब केन्द्र सरकार गहलोत सरकार को फैसले को बदलकर क्या मैसेज देना चाहती है?
केन्द्र की मोदी सरकार की ओर से बताया गया है कि जिन लोगों की नियुक्ति स्मार्ट सिटी में स्वतंत्र निदेशक के तौर पर की थी, उनका टाउन प्लानिंग या शहरी विकास से जुड़े मामले कोई खास अनुभव नहीं था. हालांकि मंत्रालय की ओर से जो आदेश जारी किए गए हैं, उसमें मंत्रालय ने अनुमति नहीं लेने का हवाला दिया है. मंत्रालय ने अपने आदेश के मुताबिक इन नियुक्तियों संबंधी जांच होने तक रोक लगा दी है. अब इस फैसले को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.
आपको बता दें, 15 जुलाई को स्वायत्त शासन निदेशालय के सचिव ने एक आदेश जारी करते हुए जयपुर स्मार्ट सिटी और कोटा स्मार्ट सिटी में वाइस चेयरमैन की नियुक्ति की थी. इस आदेश में कंपनी एक्ट 2013 का हवाला देते हुए चारों शहरों में बनी स्मार्ट सिटी जयपुर, उदयपुर, अजमेर और कोटा में 7 स्वतंत्र निदेशकों की भी नियुक्ति की गई थी. इसमें स्मार्ट सिटी जयपुर में जय आकड़, डॉ. पूनम शर्मा, स्मार्ट सिटी कोटा में रविन्द्र त्यागी, रजनी गुप्ता, स्मार्ट सिटी उदयपुर में सज्जन कटारा और स्मार्ट सिटी अजमेर में डॉ. गोपाल बाहेती और राजकुमार जयपाल को नियुक्त किया था.
यह भी पढ़ें: जब गहलोत ही ‘सबकुछ’ हैं और माकन ही ‘दिल्ली’ हैं तो आलाकमान के नाम पर ये सियासी नौटंकी क्यों?
स्मार्ट सिटी में की गई डायरेक्टर्स की नियुक्ति में गहलोत सरकार ने अपनों को जगह दी थी. बताया जा रहा है कि ये नियुक्तियां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सिपहसालार मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर की गई थी. आपको बता दें, इन नियुक्तियों में दो तो पूर्व विधायक हैं. सज्जन कटारा और डॉ. गोपाल बाहेती पूर्व विधायक रह चुके हैं. कोटा में नियुक्त हुई रजनी गुप्ता राज्य बिजली निगम में सीएमडी रहे ए.के. गुप्ता की पत्नी हैं. गुप्ता की नियुक्ति पर तो कोटा के कई कांग्रेसियों ने चुटकी भी ली थी. जयपुर में डॉ. पूनम शर्मा पूर्व शिक्षा मंत्री बृजकिशोर शर्मा की बहू हैं.
दरअसल, स्मार्ट सिटी मिशन केन्द्र सरकार का कंसेप्ट है और इस पर खर्च राशि का आधा हिस्सा केन्द्र सरकार वहन कर रही है. चर्चा यह है कि केन्द्र सरकार अपने इस प्रोजेक्ट में किसी तरह का राजनीतिक दखल नहीं चाहती है, राजस्थान में कांग्रेस सरकार है और सरकार ने ही स्वतंत्र निदेशक बनाए हैं. इसके अलावा स्वतंत्र निदेशकों की पृष्ठभूमि विशेषज्ञ की बजाय राजनैतिक ज्यादा है. लेकिन इस तरह राज्य सरकार द्वारा जारी आदेशों के बाद केंद्र द्वारा रोक लगाने के बाद दोनों सरकारों के बीच टकराव बढ़ना तय ही.
यह भी पढ़ें: पहले माकन-वेणुगोपाल और अब शैलजा, सोनिया की खास ‘सिपहसालार’ देकर गईं ‘सीक्रैट’ मैसेज!
आपको बता दें कि राजस्थान को स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 36 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की ऑनलाइन रैंकिंग में देश में प्रथम स्थान मिला है. इससे पहले राजस्थान दूसरे स्थान पर था. स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 15 जुलाई की स्थिति अनुसार रैंकिंग में राजस्थान पहले स्थान पर है. देश के 100 शहरों की रैंकिंग में उदयपुर 5वें, कोटा 10वें, अजमेर 22वें एवं जयपुर 28वें स्थान पर हैं. राजस्थान के प्रथम स्थान प्राप्त करने पर शांति धारीवाल ने परियोजना से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई दी और कार्यो की गति को निरंतर बनाए रखने हेतु निर्देश दिए थे. अब केन्द्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी कंपनियों के स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्तियों पर रोक लगाकर कर केन्द्र औऱ राज्य सरकार में टकराव के हालात पैदा कर दिए हैं.