Thursday, February 6, 2025
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बाहरी नेताओं के लिए उपजाऊ साबित हुई है यूपी की चुनावी जमीन

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देश में उत्तर प्रदेश राजनीति का सबसे बड़ा गलियारा है. यह एक ऐसा गलियारा है जिसकी मिट्टी न केवल स्थानीय बल्कि बाहरी नेताओं को भी जमकर रास आयी. यहां की जनता ने न केवल बाहर से आए नेताओं को सम्मान दिया बल्कि उनका कद बढ़ा उन्हें सातवें शिखर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा दी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी, हेमा मालिनी, मो अजहरुद्दीन, उमा भारती और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनमें प्रमुख नाम हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही बाहरी नेताओं के बारे में जिनकी सियासत की चमक को यूपी ने तराशा.

अटल बिहारी बाजपेयी :
ग्वालियर, मध्य प्रदेश में जन्में अटल बिहारी बाजपेयी 1984 में अपने गृह क्षेत्र से लोकसभा चुनाव हार गए थे. इसके बाद उन्होंने यूपी का रूख किया और यहीं से प्रधानमंत्री पद तक का सफर तय किया. 1984 के बाद से प्रधानमंत्री बनने तक अटल लगातार लखनऊ के सांसद रहे. लखनऊ को कर्मभूमि बनाते हुए उन्होंने यहां लम्बे समय तक अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया.

उमा भारती :
उमा भारती ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत मध्य प्रदेश से की और वहां की मुख्यमंत्री भी रहीं. 2012 के यूपी विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने उमा भारती को महोबा की चरखारी सीट से चुनाव लड़ाया जहां उन्होंने ​जीत दर्ज की. 2014 में उन्होंने झांसी लोकसभा सीट से चुनाव जीता.

मोहम्मद अजहरऊद्दीन :
हैदराबाद में जन्में पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने अपनी सियासी पारी की शुरूआत उत्तर प्रदेश की सरजीं से की. उन्होंने अपना पहला चुनाव 2009 में यूपी के मुरादाबाद से कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और सांसद बने।

नरेंद्र मोदी :
वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए नरेंद्र मोदी 1985 में बीजेपी से जुड़े और 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने. 4 बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के बाद नरेंद्र मोदी यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी जीत दर्ज कर संसद संसद पहुंचे और देश के प्रधानमंत्री बनें. 2019 में फिर वह वाराणसी सीट से ही लोकसभा के प्रत्याशी हैं.

हेमा मालिनी :
यूं तो ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी का जन्म अमंकुदी, तमिलनाडु में हुआ लेकिन उनकी कर्म स्थली मुम्बई रही. 4 दशक का लंबा सफर फिल्मी ​दुनिया में बिताने के बाद वह राजनीति में आईं और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से राज्य सभा की सदस्य बनीं. 2014 में बीजेपी ने उन्हें यूपी की मथुरा लोकसभा सीट से मैदान में उतारा जहां उन्होंने रालोद नेता जयंत चौधरी को धूल चटाते हुए जीत दर्ज की. 2019 में उन्हें फिर से मथुरा से बीजेपी चेहरा बनाया गया है.

जया प्रदा :
एक और फिल्मी अदाकारा जया प्रदा भी यूपी की रामपुर लोकसभा सीट से लगातार दो बार सांसद रहीं. हालांकि उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत एन.टी. रामराव के नेतृत्व में की. बाद में वह चंद्रबाबू नायडु वाले गुट में शामिल हो गईं और 1996 में वह आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने के लिए राज्य सभा में मनोनीत हुईं. नायडू से मतभेदों के चलते जया प्रदा आंध्र की राजनीति छोड़ यूपी की राजनीति में सक्रिय हुईं.  समाजवादी पार्टी की नेता रहीं जया प्रदा ने हाल ही में भाजपा का दामन थामा है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें रामपुर लोकसभा सीट से भाजपा चेहरा बनाया जा सकता है.

सुचेता कृपलानी :
पंजाब के अम्बाला में पली-बढ़ी सुचेता कृपलानी यूपी आने से पहले दिल्ली से लोकसभा सदस्य थी. उन्होंने यहां आने के बाद बस्ती जिले की मेंहदावल सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बनीं. बाद में गोंडा से बतौर सांसद चुनी गई. सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.

यूपी में मजबूत हुआ महागठबंधन, साथ आईं दो नई पार्टियां

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उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन में दो नई पार्टियां भी शामिल हो गई हैं. निषाद पार्टी और जनवादी पार्टी इस गठबंधन में शामिल हुई हैं. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा चीफ अखिलेश यादव ने यह जानकारी दी. यह दोनों पार्टियां समाजवार्दी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल एलाइंस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेगी.

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटेें हैं. सपा और बसपा 38-38 सीटों के साथ चुनावी मैदान में हैं. आरएडी 3 और कांग्रेस के लिए 2 सीटें छोड़ी गई हैं. अब निषाद पार्टी और जनवादी पार्टी को दोनों पार्टियों को गठबंधन अपने-अपने पेठे से लोकसभा सीट देगा।

जानें, सूबे की किस सीट पर किस चरण में होना है मतदान…

सहारनपुर –  11 अप्रैल
कैराना – 11 अप्रैल
मुजफ्फरनगर – 11 अप्रैल
बिजनौर – 11 अप्रैल
नगीना (SC) – 18 अप्रैल
मुरादाबाद – 23 अप्रैल
रामपुर – 23 अप्रैल
संभल – 23 अप्रैल
अमरोहा – 18 अप्रैल
मेरठ – 11 अप्रैल
बागपत – 11 अप्रैल
गाजियाबाद – 11 अप्रैल
गौतमबुद्ध नगर – 11 अप्रैल
बुलंदशहर (SC) – 18 अप्रैल
अलीगढ़ – 18 अप्रैल
हाथरस – 18 अप्रैल
मथुरा – 18 अप्रैल
आगरा – 18 अप्रैल
फतेहपुर सीकरी – 18 अप्रैल
फिरोजाबाद – 23 अप्रैल
मैनपुरी – 23 अप्रैल
एटा – 23 अप्रैल
बदायूं – 23 अप्रैल
आंवला – 23 अप्रैल
बरेली – 23 अप्रैल
पीलीभीत – 23 अप्रैल
शाहजहांपुर (SC) – 29 अप्रैल
खीरी – 29 अप्रैल
धौरहरा – 6 मई
सीतापुर – 6 मई
हरदोई – 29 अप्रैल
मिसरिख – 29 अप्रैल
उन्नाव – 29 अप्रैल
मोहनलालगंज – 6 मई
लखनऊ – 6 मई
रायबरेली – 6 मई
अमेठी – 6 मई
सुल्तानपुर – 12 मई
प्रतापगढ़ – 12 मई
फर्रुखाबाद – 29 अप्रैल
इटावा – 29 अप्रैल
कन्नौज – 29 अप्रैल
कानपुर – 29 अप्रैल
अकबरपुर – 29 अप्रैल
जालौन – 29 अप्रैल
झांसी – 29 अप्रैल
हमीरपुर – 29 अप्रैल
बांदा – 6 मई
फतेहपुर – 6 मई
कौशांबी – 6 मई
फूलपुर – 12 मई
इलाहाबाद – 12 मई
बाराबंकी – 6 मई
फैजाबाद – 6 मई
अंबेडकरनगर – 6 मई
बहराइच – 6 मई
कैसरगंज – 6 मई
श्रावस्ती – 12 मई
गोंडा – 6 मई
डुमरियागंज – 12 मई
बस्ती – 12 मई
संत कबीर नगर – 12 मई
महाराजगंज – 19 मई
गोरखपुर – 19 मई
कुशीनगर – 19 मई
देवरिया – 19 मई
बांसगांव (SC) – 19 मई
लालगंज (SC) – 12 मई
आजमगढ़ – 12 मई
घोसी – 19 मई
सलेमपुर – 19 मई
बलिया – 19 मई
जौनपुर – 12 मई
मछलीशहर (SC) – 12 मई
गाजीपुर – 19 मई
चंदौली – 19 मई
वाराणसी – 19 मई
भदोही – 12 मई
मिर्जापुर – 19 मई
रॉबर्ट्सगंज (SC) – 19 मई

राहुल गांधी का न्याय, महिलाओं के खाते में जमा होंगे सालाना 72 हजार रुपये

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कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि न्याय योजना के तहत गरीब परिवारों को मिलने वाले 72 हजार रुपये सालाना केवल महिलाओं के खाते में जमा कराए जाएंगे. इस योजना के तहत देश के सबसे गरीब 5 करोड़ परिवारों सहित 25 करोड़ लोगों को फायदा पहुंचेगा. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सुरजेवाला ने बताया कि यह कोई टॉप अप स्कीम नहीं है. शहर और गांव के गरीब परिवार इस योजना के तहत शामिल होंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस के सत्ता में आने पर देश से गरीबी मिटाने के लिए ‘न्यूनतम आय योजना’ (NYAY-न्याय) शुरू करने की घोषणा की थी. सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी आज इस स्कीम का विरोध कर रही है. पाखंडी नरेंद्र मोदी अमीरों का कर्ज तो माफ कर रहे हैं लेकिन गरीबों को फायदा पहुंचाने वाली इस स्कीम का विरोध कर रहे हैं. अभी देश में जो 22 फीसदी गरीबी है जो इस योजना से खत्म हो जाएगी.

बता दें, कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा था कि न्याय योजना के तहत देश के 20 फीसदी गरीब परिवारों को 6 हजार रुपये प्रति महीना यानी सालाना 72 हजार रुपये दिए जाएंगे. यह रकम सीधे उनके खाते में जमा होगी.

राहुल गांधी ने कहा है कि योजना को लागू करने के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं. पार्टी के सत्ता में आने के बाद इसे लागू किया जाएगा. राहुल गांधी ने कहा कि दुनिया के किसी देश में इस प्रकार की योजना नहीं है. बता दें कि राहुल गांधी ने इसी साल जनवरी में छत्तीसगढ़ में आयोजित एक रैली में गरीबों को ‘मिनिमन इनकम गारंटी’ देने का पहली बार जिक्र किया था. तब से ही इसके विवरण का इंतजार किया जा रहा था.

राजनीति के जानकारों के अनुसार कांग्रेस ने इस योजना के जरिए सीधे तौर पर देश के 25 करोड़ लोगों को साधने की कोशिश की है, जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं. बता दें कि कांग्रेस किसान के कर्जमाफी एलान के जरिए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रही थी. इन राज्यों के परिणाम आने के आद ही राहुल गांधी ने ‘मिनिमन इनकम गारंटी’ का जिक्र किया था.

आडवाणी के बाद जोशी का पत्ता साफ, बीजेपी को भारी न पड़ जाए दिग्गजों की नाराजगी

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सत्ता में वापसी करने के लिए बीजेपी आलाकमान एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है. यही वजह है कि पार्टी सोच विचार कर प्रत्याशियों को लोकसभा चुनावी दंगल में उतार रही है. इस रणनीति से पार्टी को जरूर फायदा हो सकता है, लेकिन कुछ दिग्गज नेताओं की नाराजगी भी बीजेपी को झेलनी पड़ रही है. लालकृष्ण आडवाणी के बाद अब पार्टी ने वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को भी टिकट न देने का मन बना लिया है, जिस बात पर जोशी नाराज हो गए हैं.

दरअसल, बीजेपी के संगठन महासचिव रामलाल ने जोशी से मुलाकात कर उन्हें जानकारी दी कि पार्टी आपको चुनाव नहीं लड़वाना चाहती. पार्टी यह भी चाहती है कि आप पार्टी ऑफिस आकर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करें. इस बात को सुनकर जोशी नाराज हो गए और पार्टी की इस अपील को साफ तौर पर नकार दिया.

जोशी ने बेबाक अंदाज में कहा कि यह पार्टी के संस्कार नहीं हैं. वह पार्टी दफ्तर आकर चुनाव न लड़ने का ऐलान नहीं करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव न लड़वाने का फैसला हुआ है तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को हमें आकर सूचित करना चाहिए.

बता दें कि इससे पहले लालकृष्ण आडवाणी का गांधीनगर से टिकट कटने पर काफी बवाल हुआ था. इस सीट पर आडवाणी की जगह अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं. आडवाणी का टिकट कटने पर पार्टी के कई नेताओं ने सवाल खड़े किए थे.

यूपी में हार के डर से सीट छोड़ भाग रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता

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यूपी में टिकट मिलने के बाद भी कांग्रेस के दिग्गज नेता लगातार अपनी-अपनी सीटों पर उम्मीदवारी छोड़ पार्टी की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. इसका ताजा उदाहरण है कांग्रेस के बड़े नेता राशिद अल्वी, जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अमरोहा सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. ध्यान देने वाली बात यह है कि अल्वी खुद इस सीट पर कई महीनों से सक्रीय रहे. अब उनकी जगह सचिन चौधरी इस सीट से चुनाव लड़ेंगे.

ऐसा ही कुछ यूपी की मुरादाबाद सीट पर भी देखने को मिला था यहां से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर को प्रत्याशी घोषित किया गया था, लेकिन अब वह ये सीट छोड़कर फतेहपुर सीकरी पहुंच गए. कांग्रेस के दिग्गजों के इस तरह अपनी सीट छोड़कर भागने या सीट बदलने की वजह मानी जा रही है बसपा-सपा गठबंधन ‘साथी’. अधिकतर नेता यही मानकर चल रहे थे कि यूपी में बीजेपी की मौजूदा स्थिति देखते हुए कांग्रेस-बसपा-सपा का गठबंधन हो जाएगा, लेकिन बसपा-सपा ने 38-38 सीटों पर गठबंधन करते हुए कांग्रेस को केवल 2 सीटों पर भागीदार बनाया है. ऐसे में गठबंधन प्रत्याशियों की मजबूत ​दावेदारी को देखते हुए दिग्गज भी घबराने लगे हैं. यही उनके सीट बदलने या छोड़ने की प्रमुख वजह है.

जैसा कि राज बब्बर के साथ हुआ है. मुरादाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी किसी मुस्लिम प्रत्याशी को उतार सकती है. ऐसे में राज बब्बर को यह आभास तो हुआ ही होगा कि उन्हें मुस्लिम वोट नहीं मिल रहे. ऐसे में उन्होंने फतेहपुर सीकरी सीट चुनी जहां तीनों प्रत्याशी हिंदू हैं और मुस्लिम वोट बैंक की कोई भूमिका नहीं है.

ऐसी ही कुछ कहानी है कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद की जो धरहरा सीट पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते. वजह है यहां से बहुजन समाज पार्टी ने एक मुस्लिम लेकिन मजबूत प्रत्याशी उतारा है. ऐसे में अपना गढ़ होने के बावजूद जितिन प्रसाद को हार का डर सता रहा है. जितिन प्रसाद पिछला चुनाव यही से हारे थे. चर्चा है कि वह अब लखनऊ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं.

‘चौकीदारी में दिलचस्पी है तो मैं उन्हें चौकीदार की टोपी और सीटी भेंट करूंगा’

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‘चौकीदारी में दिलचस्पी है तो मैं उन्हें चौकीदार की टोपी और सीटी भेंट करूंगा’

– अकबरुद्दीन ओवैसी

हैदराबाद से AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. ओवैसी ने कहा, ‘मैंने ट्विटर पर ‘चौकीदार नरेंद्र मोदी’ देखा है. उन्हें उसे अपने आधार कार्ड और पासपोर्ट में भी ‘चौकीदार’ का भी उल्लेख करना चाहिए. और पीएम चाहिए, चायवाला पकौड़ेवाला नहीं. अगर मोदी को दिलचस्पी है तो उन्हें मेरे पास आना चाहिए. मैं उन्हें चौकीदार की टोपी और सीटी भेंट करूंगा.

‘चौकीदार चोर है, चौकीदार फ्रॉड भी है’

– फिरदौस टाक

प्रधानमंत्री मोदी के बारे में बयान देते हुए जम्मू-कश्मीर पिपुल्स डमोक्रेटिक पार्टी के फिरदौस टाक ने कहा, चौकीदार चोर है क्योंकि कितने ही लोग देश को लूट कर चले गए. चौकीदार फ्रॉड भी है. मैं राफेल डील की बात कर रहा हूं. चौकीदार कातिल भी है. मैं अखलाक की बात कर रहा हूं. चौकीदार रेपिस्ट भी है. मैं आसिफा की बात कर रहा हूं.

भोपाल में होगी बिग फाइट, दिग्विजय के सामने ताल ठोकेंगे शिवराज!

कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार घोषित करने के बाद बीजेपी उनके सामने शिवराज सिंह को उतारने पर विचार कर रही है. कांग्रेस के दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारे जाने के बाद लगने लगा है कि तीन दशक से बीजेपी की गढ़ रही भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस इस बार किसी भी तरह बीजेपी को वॉकओवर देने के मूड में नहीं है. बीजेपी ने भी इस सीट पर दिग्विजय सिंह का तोड़ तलाशना तेज कर दिया है.

बता दें कि भोपाल लोकसभा सीट पिछले 30 सालों से यानी 1989 से बीजेपी के पास है. पूर्व नौकरशाह रहे सुशील चंद्र वर्मा से लेकर उमा भारती और कैलाश जोशी सभी भोपाल से सांसद बने. यहां से वर्तमान में आलोक संजर बीजेपी सांसद हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में संजर ने कांग्रेस के पीसी शर्मा को 3 लाख 70 हजार के भारी वोट अंतर से शिकस्त दी थी. इन सालों में कांग्रेस के लाख जतन करने के बाद भी यह सीट बीजेपी पाले में ही रही.

कांग्रेस के ‘दिग्विजयी दांव’ के बाद बीजेपी में मंथन तेज हो गया है. बदले हुए समीकरण के लिहाज से बीजेपी ने इसका तोड़ तलाशना तेज कर दिया है. बताया जा रहा है कि पार्टी शिवराज के नाम पर ही विचार कर रही है. इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर चुके हैं. बता दें कि भोपाल लोकसभा सीट पर कायस्थ, ब्राम्हण और मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं.

दिग्विजय सिंह के इस सीट पर उतरते ही शिवराज सिंह ने उनपर हमला बोलना शुरू कर दिया है. तंज कसते हुए उन्होंने दिग्विजय सिंह को बंटाधार रिटर्न बताते हुए कहा कि बीजेपी के सामने कोई चुनौती नहीं है और मैं किसी व्यक्ति को इतना महत्व नही देता हूं. उन्होंने कहा कि भोपाल ही नहीं, मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर बीजेपी की जीत होगी.

हालांकि शिवराज सिंह के अलावा भी बीजेपी की तरफ से कई उम्मीदवारों के नाम सामने आ रहे हैं जिसमें सबसे उपर साध्वी प्रज्ञा भारती हैं. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि दिग्विजय को हारने के लिए कुछ भी कर सकती हैं. राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. इस मामले में बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि ‘मिस्टर बंटाधार’ के राज में सड़क, बिजली, पानी और कर्मचारियों की नाराजगी के साथ ही तुष्टिकरण की सियासत को हवा दी जाएगी.’

वहीं भोपाल के स्थानीय बीजेपी नेताओं के अनुसार इस सीट पर किसी स्थानीय उम्मीदवार को ही टिकट मिलना चाहिए. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज बीजेपी नेता बाबूलाल गौर ने बयान भी दिया है कि भोपाल से बीजेपी ही जीतेगी, लेकिन पार्टी को सोच-समझकर उम्मीदवार उतारना चाहिए.

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भोपाल लोकसभा सीट पर दिग्विजय सिंह को उतारा कांग्रेस ने न केवल इस सीट पर मुकाबले को दिलचस्प बनाया है, बल्कि बीजेपी को रणनीति बदलने के लिए मजबूर कर दिया है. अब यह देखना मजेदार रहेगा कि अपने गढ़ को बचाने के लिए बीजेपी किस महारथी को मैदान में उतारती है. शिवराज सिंह चौहान को टिकट मिलेगा या पार्टी किसी दूसरे नेता को मौका देगी.

BJP की वेबसाइट पर चोरी का टेम्पलेट, आंध्रप्रदेश की कंपनी ने लगाया आरोप

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आंध्र प्रदेश की एक वेब डिज़ाइन कंपनी ड्ब्ल्यू-3 लेआउट्स ने बीजेपी पर अपना एक टेम्पलेट चुराने का आरोप लगाया है. यह टेम्पलेट पार्टी की अधिकारिक वेबसाइट पर लगा हुआ है. स्टार्ट-अप कंपनी ड्ब्ल्यू-3 लेआउट्स ने आरोप लगाया है कि बीजेपी आईटी सेल ने कंपनी का टेम्पलेट का उपयोग किया है लेकिन बिना कोई क्रेडिट दिए.

कंपनी के मुता​बिक बीजेपी के आईटी सेल ने जानबूझकर बैकलिंक को हटा दिया है. इस बारे में लिखे एक ब्लॉग में कंपनी ने कहा, ‘हम शुरू में खुश और उत्साहित थे कि बीजेपी आईटी सेल हमारे डिजाइन का इस्तेमाल कर रही है. लेकिन जब हमे यह पता चला कि बीजेपी ने बिना कोई भुगतान किए और क्रेडिट दिए कंपनी के बैकलिंक को हटाकर इसे इस्तेमाल में ले लिया है तो हमे दुख हुआ.’

कंपनी ने ब्लॉग में आगे लिखा है, ‘हम आश्चर्यचकित हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल इस प्रकार की चोरी और सीनाजोरी कैसे कर सकता है. वह भी ऐसा दल जिसका नेतृत्व एक ऐसा नेता करता है जो खुद को देश का चौकीदार कहता है.’

हालांकि बीजेपी ने कंपनी के आरोप का खंडन किया है. पार्टी ने कहा, ‘यह टेम्पलेट उपयोग करने के लिए निशुल्क था. बैकलिंक पर जोर देने के बाद उनका कोड गिरा दिया गया. इसमें चोरी जैसा कुछ भी नहीं है. हम कंपनी की ओर से बनाए गए टेम्पलेट का उपयोग नहीं कर रहे हैं.’

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