कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार घोषित करने के बाद बीजेपी उनके सामने शिवराज सिंह को उतारने पर विचार कर रही है. कांग्रेस के दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारे जाने के बाद लगने लगा है कि तीन दशक से बीजेपी की गढ़ रही भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस इस बार किसी भी तरह बीजेपी को वॉकओवर देने के मूड में नहीं है. बीजेपी ने भी इस सीट पर दिग्विजय सिंह का तोड़ तलाशना तेज कर दिया है.
बता दें कि भोपाल लोकसभा सीट पिछले 30 सालों से यानी 1989 से बीजेपी के पास है. पूर्व नौकरशाह रहे सुशील चंद्र वर्मा से लेकर उमा भारती और कैलाश जोशी सभी भोपाल से सांसद बने. यहां से वर्तमान में आलोक संजर बीजेपी सांसद हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में संजर ने कांग्रेस के पीसी शर्मा को 3 लाख 70 हजार के भारी वोट अंतर से शिकस्त दी थी. इन सालों में कांग्रेस के लाख जतन करने के बाद भी यह सीट बीजेपी पाले में ही रही.
कांग्रेस के ‘दिग्विजयी दांव’ के बाद बीजेपी में मंथन तेज हो गया है. बदले हुए समीकरण के लिहाज से बीजेपी ने इसका तोड़ तलाशना तेज कर दिया है. बताया जा रहा है कि पार्टी शिवराज के नाम पर ही विचार कर रही है. इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर चुके हैं. बता दें कि भोपाल लोकसभा सीट पर कायस्थ, ब्राम्हण और मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं.
दिग्विजय सिंह के इस सीट पर उतरते ही शिवराज सिंह ने उनपर हमला बोलना शुरू कर दिया है. तंज कसते हुए उन्होंने दिग्विजय सिंह को बंटाधार रिटर्न बताते हुए कहा कि बीजेपी के सामने कोई चुनौती नहीं है और मैं किसी व्यक्ति को इतना महत्व नही देता हूं. उन्होंने कहा कि भोपाल ही नहीं, मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर बीजेपी की जीत होगी.
हालांकि शिवराज सिंह के अलावा भी बीजेपी की तरफ से कई उम्मीदवारों के नाम सामने आ रहे हैं जिसमें सबसे उपर साध्वी प्रज्ञा भारती हैं. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि दिग्विजय को हारने के लिए कुछ भी कर सकती हैं. राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. इस मामले में बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि ‘मिस्टर बंटाधार’ के राज में सड़क, बिजली, पानी और कर्मचारियों की नाराजगी के साथ ही तुष्टिकरण की सियासत को हवा दी जाएगी.’
वहीं भोपाल के स्थानीय बीजेपी नेताओं के अनुसार इस सीट पर किसी स्थानीय उम्मीदवार को ही टिकट मिलना चाहिए. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज बीजेपी नेता बाबूलाल गौर ने बयान भी दिया है कि भोपाल से बीजेपी ही जीतेगी, लेकिन पार्टी को सोच-समझकर उम्मीदवार उतारना चाहिए.
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भोपाल लोकसभा सीट पर दिग्विजय सिंह को उतारा कांग्रेस ने न केवल इस सीट पर मुकाबले को दिलचस्प बनाया है, बल्कि बीजेपी को रणनीति बदलने के लिए मजबूर कर दिया है. अब यह देखना मजेदार रहेगा कि अपने गढ़ को बचाने के लिए बीजेपी किस महारथी को मैदान में उतारती है. शिवराज सिंह चौहान को टिकट मिलेगा या पार्टी किसी दूसरे नेता को मौका देगी.