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पीएम मोदी ने महाराष्ट्र में खेला जाति कार्ड, कहा- पिछड़ा हूं इसलिए कह रहे चोर

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा कथित ‘सभी मोदी चोर हैं ‘ बयान पर देश की सियासत गर्माती जा रही है एक ओर सुशील मोदी ने कानूनी पेच के जरिए राहुल गांधी को घेरने की कोशिश की है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी नेताओं ने भी राहुल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जिससे कांग्रेस अध्यक्ष की मुश्किलें लगातार थमने की बजाए और बढ़ती नजर आ रहीं हैं. इसी बीच पीएम मोदी ने महाराष्ट्र में राहुल गांधी को घेरते हुए जाति कार्ड खेल दिया है. पीएम मोदी ने यहां माढा में चुनावी सभा से राहुल गांधी पर देश के चौकीदारों और पिछड़े समाज को गाली देने का सीधा आरोप लगाया है.

पीएम मोदी ने महाराष्ट्र में तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करते हुए माढा में चुनावी सभा को संबोधित किया. पीएम ने यहां कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कई सीधे हमले किये. पीएम मोदी ने यहां रैली में संबोधन के दौरान राहुल गांधी को घेरते हुए जाति कार्ड खेल दिया है. पीएम ने कहा कि, कांग्रेस के नामदार मुझे गाली देने के साथ-साथ चौकीदारों और पिछड़े समाज को चोर कह रहे हैं. पीएम मोदी के इस जाति कार्ड के बाद देश की सियासत नई करवट लेने की ओर है.

इस अवसर पर पीएम मोदी ने सबसे पहले प्राकृतिक आपदा से पहुंचे नुकसान पर अपनी संवेदना प्रकट की और सरकार की हर संभव मदद का ऐलान किया. साथ ही कहा कि हमने सभी अफसरों को तुरंत मदद करने के लिए निर्देश दे दिए हैं. वहीं पीएम मोदी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश को मजबूत होना जरूरी है और उसके लिए मजबूत नेता भी जरूरी है. साथ ही उन्होंने कहा कि एक समय था जब मुंबई आतंकियों के लिए स्वर्ग बन गया था, लेकिन हमने अब घर में घुसकर मारने का काम किया है.

कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि, विपक्ष सिर्फ मोदी हटाओ की ही बात कर रहे हैं, उनके पास दूसरा कोई मुद्दा ही नहीं है. पांच साल हमने बिना किसी दाग के सरकार चलाई है, लेकिन झूठ बोलने वाले को हम रोक नहीं सकते हैं. कांग्रेस के नामदार कभी देश के सभी चौकीदारों को चोर कहते हैं तो कभी कह रहे हैं कि देश के सारे मोदी चोर हैं. राहुल को चेताते हुए उन्होंने कहा कि, नामदार मेरी पिछड़ी जाति से होने के कारण मुझे निशाना बना रहे हैं. वे बार-बार मुझे मेरी हैसियत बताते रहते हैं. लेकिन अब पूरे समाज को चोर बताया जा रहा है, गाली दी जा रही है. मोदी समुदाय ये अब कतई बर्दाश्त नहीं करने वाला है.

कांग्रेस के अलावा देश के अन्य राजनीतिक दलों को भी निशाने पर लेते हुए पीएम मोदी बोले कि कुछ दलों को ये कतई रास नहीं आ रहा है कि मैं उनके इरादों को कामयाब होने दूंगा और उनके लिए एक रूकावट पैदा करने वाली एक दीवार बनकर खड़ा रहूंगा. लेकिन ये उनकी अपनी मानसिकता है. उन्होंने कहा कि विश्व के शक्तिशाली देश आज हमारे भारत के साथ गर्व का अनुभव करते हुए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.

पीएम मोदी ने जनसभा में भावुकता के साथ कहा कि, मैं जो आज जिंदगी जी रहा हूं वह भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की प्रेरणा से अपना परिवार आगे बढ़ा रहा हूं लेकिन शरद पवार मेरे परिवार को लेकर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें ऐसी बात करने का हक है. हमने देश में पांच साल तक साफ छवि रखते हुए सरकार चलाई है और इसी का परिणाम है कि देश की जनता भी आज सरकार के साथ है और मोदी के हाथ फिर अपना देश देने के लिए खुद प्रचार में लगी है.

बेगूसराय सीट पर कन्हैया, गिरिराज और तनवीर में से कौन मारेगा बाजी?

PoliTalks news

लोकसभा चुनाव का रोमांच चरम पर है. पहले चरण का मतदान हो चुका है और 18 अप्रैल को दूसरे चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. चुनाव के नतीजों पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. एक तबका यह कह रहा है कि मोदी फिर से सत्ता में आ रहे हैं जबकि दूसरा तबका उनके बहुमत से दूर रहने का दावा कर रहा है. इस कयासबाजी के बीच कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर सबकी नजर हैं. बिहार की बेगूसराय सीट इनमें से एक है.

बेगूसराय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. यहां एनडीए की तरफ से बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह मैदान में हैं. गिरिराज वर्तमान में नवादा सीट से सांसद हैं, लेकिन इस बार यह एनडीए के सहयोगी लोजपा के खाते मे आई है. इसलिए गिरिराज का बेगूसराय से मैदान में उतरना पड़ा. उनका मुकाबला सीपीआई के कन्हैया कुमार और राजद के तनवीर हसन से है.

बेगूसराय को वामपंथ का गढ़ कहा जाता है, लेकिन पिछले चुनावों के नतीजे इसकी ओर इशारा नहीं करते. सीपीआई यहां वोट तो हासिल करती है मगर 1967 के चुनाव के बाद पार्टी ने जीत का स्वाद नहीं चखा. 2014 में भाजापा के भोला सिंह यहां से सांसद चुने गए थे. उन्होंने राजद के तनवीर हसन को लगभग 56000 वोटों से मात दी थी.

इस सीट के जातिगत समीकरणों पर तो बेगूसराय में भूमिहार लगभग 5 लाख की तादाद में हैं. वहीं, मुसलमान 3 लाख के करीब हैं. राजनीतिक दलों ने टिकट भी इसी आधार पर बांटे हैं. बीजेपी और सीपीएम के प्रत्याशी भूमिहार जाति से आते हैं जबकि राजद प्रत्याशी मुस्लिम हैं. गिरिराज सिंह अपने बयानों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहते है और कभी-कभी इनके बयान बीजेपी के लिए भी परेशानी के सबब बन जाते हैं.

कन्हैया कुमार जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके है और यहां कथित तौर पर लगे देश विरोधी नारों की वजह से सुर्खियों में आए थे. इस प्रकरण में कन्हैया कुमार को आरोपी बनाया गया है. इस मामले में वे जेल भी जा चुके हैं. कन्हैया कुमार अपने बयानों में मोदी सरकार को घेरते नजर आए हैं. तनवीर हसन मिडिया के लिए नया चेहरा हैं, लेकिन बेगूसराय की राजनीति में उनकी पकड़ पुरानी है. इस बात का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि जिस मोदी लहर में एनडीए प्रत्याशियों के सामने उम्मीदवार लाखों वोटों के अंतर से हार रहे थे, वहां तनवीर हसन की हार का अंतर केवल 56 हजार रहा.

बेगूसराय सीट पर एनडीए प्रत्याशी गिरिराज सिंह हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता हैं और इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं. कन्हैया कुमार को भूमिहार और मुस्लिम वोट बैंक से काफी आस है, लेकिन तनवीर हसन उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा हैं. वहीं, तनवीर हसन को राजद के परंपरागत मुस्लिम, यादव और दलित गठजौड़ से उम्मीदें हैं. अब 23 मई को ही पता चलेगा कि बेगूसराय किस उम्मीदवार के माथे पर राजतिलक करेगा.

 

भाटी के गढ़ में गायब हुई बीजेपी, नहीं दिख रहे पार्टी के झंडे-बैनर

लोकसभा चुनावों को लेकर राजस्थान में बीजेपी के सबसे बड़े अंसतोष की बात की जाए तो वो बीकानेर में देखने को मिला, जहां पार्टी ने अर्जुन मेघवाल को तीसरी बार टिकट दिया तो इसके विरोध में कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी ने एक बार फिर पार्टी को अलविदा कह दिया. इन दिनों बीकानेर सहित पूरे राजस्थान में मौसम का पारा तो गर्म है ही साथ ही राजनीति का पारा भी कुछ ज्यादा ही गर्मी दे रहा है. भाटी के बीजेपी छोड़ने के बाद अब भाटी के गढ़ कोलायत में पार्टी की स्थिति लचर नजर रही है, आलम ये है कि कहीं भी पार्टी का झंडा-बैनर तक नजर नहीं आ रहा है.

भारत-पाक सीमा के करीब स्थित गांव बरसलपुर के सरपंच बनकर अपने राजनीतिक सफर जीवन की शुरुआत करने वाले देवी सिंह भाटी कई बार सुर्खियों में रहे. कुश्ती के अखाड़े में सूमो पहलवान की तरह राजनीति के पिच पर भी इसने अपने ढंग से पारी खेली. भैरो सिंह शेखावत की सरकार में मंत्री रहने के दौरान अपने ही विभाग के आईएएस केपी सिंह देव पर हाथ उठाने की घटना पर मंत्री पद छोड़ने वाले शख़्स देवी सिंह भाटी का इससे पहले और बाद में अंदाज बदल गया हो ऐसा नहीं दिखा.

राजस्थान की राजनीति के मशहूर बिरले नामों में से भाटी को एक कहा जाए तो गलत नहीं होगा. अपने कानून-कायदों और अपनी ही ठसक में रहने वाले कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी इसी वजह से शायद यहां विशेष पहचान रखते हैं और यही कारण भी रहा कि पार्टी का ओरा कभी उन पर हावी नहीं हुआ. साल 1980 से 2008 तक लगातार सात विधानसभा चुनाव में पार्टी की बजाय हमेशा देवी सिंह भाटी जीते, यह कहना गलत नही होगा.

पहला चुनाव जनता पार्टी (जेपी), दूसरा जनता पार्टी और तीसरा जनता दल से जीतने के बाद देवी सिंह भाटी बीजेपी में शामिल हुए और साल 1993 में पहली बार कोलायत में कमल खिलाया. इसके बाद हुए 1998 के चुनाव में फिर भाटी बीजेपी से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. लेकिन एक बार फिर सामाजिक आरक्षण व्यवस्था को लेकर भाटी ने सामाजिक न्याय मंच का गठन कर उसके बैनर तले चुनाव लड़े और जीते. करीब सात-आठ साल पार्टी से बाहर रहे भाटी की 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले घर वापसी हुई और फिर से भाटी के बूते बीजेपी कोलायत में जीती.

साल 2013 में आठवीं बार भाटी का विजयीरथ युवा भंवर सिंह भाटी ने रोका. कोलायत की आबोहवा कुछ बदल चुकी थी और इस बार महज 1100 वोटों के अंतर से देवी सिंह भाटी चुनाव हार गए. लेकिन इसके बाद भी भाटी का जोश खत्म नहीं हुआ. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में खुद नहीं लड़कर अपनी पुत्रवधु पूनम कंवर को भाटी ने अपनी जगह मैदान में उतारा लेकिन वो भी 11000 के करीब वोटों से चुनाव हार गई.

साल 2013 में खुद और 2018 में पुत्रवधु के विधानसभा चुनाव हारने के बाद से यहां राजनीतिक रूप से भाटी का चुनावी ग्राफ जरूर नीचे आया, लेकिन लगातार सात चुनावों की एकछत्र जीत के चलते आज भी भाटी का कोलायत ही नहीं, जिले की अन्य सीटों पर थोड़ा ही सही लेकिन प्रभाव जरूर है. रही बात पांच सालों में 2 चुनाव हारने की तो इसके पीछे कई राजनीतिक पहेलियां भी हैं, जिनको सुलझाने के लिए भाटी अभी बीकानेर लोकसभा की गलियों में घूमते नजर आ रहे हैं.

वर्तमान हालात की बात करें तो भले ही 10 साल तक बीकानेर से सांसद अर्जुन मेघवाल, देवी सिंह भाटी के विरोध पर प्रतिक्रियात्मक प्रहार करने की बजाय अपने चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. लेकिन मजे की बात यह है कि भाटी के गढ़ कोलायत में वो किसके सहारे घुसेंगे इसका जवाब उन्हें अभी तक नहीं मिल पाया है. दरअसल 1980 के बाद कोलायत में बीजेपी का कोई नेता नहीं बना जो भाटी के कद का मुकाबला कर सके और जो खड़ा हुआ वो भाटी के वरदहस्त से उनका समर्थक बनकर.

ऐसे में मेघवाल को साथ लेकर चुनाव प्रचार में कोलायत कौन घूमेगा यह एक बड़ा सवाल है. यह भी एक संयोग है कि जब भाटी बीजेपी से बाहर थे और उस वक्त प्रदेश में बीजेपी के गुलाबचंद कटारिया नेता प्रतिपक्ष थे और कोलायत दौरे में उनके साथ मारपीट की घटना हुई. ऐसे में उस घटना को आंखों से देखने और सुनने वालों को लगता है कि कोलायत जाना ठीक नहीं है. अब इस बीच विश्व की सबसे पार्टी का चुनाव में कोलायत बूथ पर कौन सदस्य बैठेगा यह तो अलग बात है लेकिन उससे पहले मतदाताओं से वोट कौन मांगेगा यह सवाल बीजेपी को अंदरखाने में सताया जा रहा है.

कोलायत को छोड़ अर्जुन मेघवाल अपने प्रचार में लगे हैं. क्या यही कारण है कि केवल एक बार कोलायत में औपचारिकता निभाते हुए अर्जुन मेघवाल घूमे हैं लेकिन प्रचार जैसी बात अभी नज़र नही आई है. हालांकि अंदरखाने में मेघवाल का खुद का एक विशेष वोटबैंक भी कोलायत में है जिसको लेकर ही भाटी की मेघवाल से नाराजगी है. क्योंकि उनको लगता है कि मेघवाल की वजह से ही पिछले विधानसभा चुनाव में यह वोट उनको नहीं मिले. लेकिन इन सबके बीच देखने वाली बात है कि अब मेघवाल और बीजेपी कब कोलायत का रूख करते हैं.

एनडी तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी की संदिग्ध मौत, घर में मिले थे अचेत

यूपी और उत्तराखंड के पूर्व सीएम रहे स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई है. रोहित नई दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में स्थित अपने घर में अचेत अवस्था में पाये गए. इसके बाद वहां से उन्हें फौरन हॉस्पीटल ले जाया गया. जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया. अभी तक उनकी मौत का कारण साफ नहीं हो सका है.

देश की राजनीति में बड़ा नाम रखने वाले दिग्गज नेता दिवंगत एनडी तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी की संदिग्ध मौत हो गई है. मौत के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है. ज्वाइंट कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव के अनुसार, रोहित शेखर के नाक से खून निकल रहा था. घर पर मौजूद नौकरों द्वारा शेखर की मां को भी फोन किया गया था, जो उस समय चेकअप के लिए हॉस्पीटल गई हुईं थीं. सूचना के तुरन्त बाद रोहित की मां अस्पताल से डिफेंस कालोनी घर पहुंची और एम्बुलेंस से रोहित को हॉस्पीटल लाया गया. जहां डाक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया.

बता दें कि, 2008 में रोहित शेखर नाम के एक शख्स ने कोर्ट में तिवारी को अपना ‘बॉयलॉजिकल फादर’ (जैविक पिता) घोषित करने का मुकदमा किया था. कोर्ट के निर्देश पर एनडी का डीएनए टेस्ट कराया गया, जो उनके बेटे रोहित से मैच कर गया. 27 जुलाई 2012 को कोर्ट ने डीएनए टेस्ट का रिजल्ट देखने के बाद फैसला रोहित शेखर के पक्ष में दिया और कोर्ट ने माना कि नारायण दत्त तिवारी रोहित के ‘बॉयलॉजिकल फादर’ हैं और उज्जवला शर्मा ‘बॉयलॉजिकल मदर’. इसके बाद काफी लंबे समय तक इंकार के बाद आखिरकार 3 मार्च 2014 को तिवारी ने यह बात मान ही ली की वे रोहित के ‘बॉयलॉजिकल फादर’ हैं.

गौरतलब है कि, यूपी और उत्तराखंड के सीएम रहे दिवंगत नारायण दत्त तिवारी द्वारा रोहित शेखर को अपना बेटा मानने के बाद वे मई 2014 में भी मीडिया की सुर्खियों में रहे. दरअसल, 22 मई 2014 को यूपी की राजधानी लखनऊ में 89 वर्षीय नारायण दत्त तिवारी ने रोहित की मां उज्ज्वला शर्मा से विधिवत विवाह किया था. अपने इस हक के लिए उज्ज्वला शर्मा और उनके बेटे रोहित शेखर को एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी.

वर्तमान राजनीति पर क्या बोले सचिन पायलट-Exclusive

पॉलीटॉक्स के पॉलिटिकल एडिटर दिनेश डांगी ने राजस्थान के डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ सचिन पायलट से खास बातचीत की. अपने खास इंटरव्यू में सचिन ने बताया कि बीजेपी की हालत प्रदेश और देशभर में बहुत ज्यादा खराब है. राजस्थान में मिशन 25 की सफलता पर भी उन्होंने पूरी तरह भरोसा जताते हुए केन्द्र में कांग्रेस सरकार बनने का विश्वास जताया. उन्होंने बीजेपी सरकार को घमंडी सरकार भी बताया. सेना पर हो रही राजनीति और चुनाव आयोग की नेताओं पर की गई कार्रवाई पर भी उन्होंने खुलकर बात की.

आइए जानते हैं सचिन पायलट से हुई बातचीत के संपादित अंश-

1. लोकसभा चुनाव में किस तरह का कांग्रेस को रेसपोंस मिल रहा है?
बदलाव की लहर प्रदेश और पूरे देश में है. हाल ही में तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनी है. दक्षिणी राज्यों में बीजेपी का खाता भी नहीं खुलेगा और उत्तर भारतीय राज्यों में भाजपा का आंकडा कम होगा. जाहिर सी बात है कि कांग्रेस को लाभ मिलेगा. राहुल गांधीजी ने पार्टी को जो नेतृत्व दिया है, उसका राजनीतिक फायदा कांग्रेस को जरूर मिलेगा.

2. मिशन 25 के तहत कुछ कमजोर उम्मीदवारों को उतारा गया है, ऐसा लोगों का कहना है?
कमजोर तो बीजेपी के सेनापति हैं. टिकट काटने पड़ गए. बाहर के प्रत्याशियों को लेकर आए हैं. कई सीटों पर विरोधाभास की स्थिति है जैसे दौसा लोकसभा सीट. इस सीट पर बीजेपी के नेताओं के बीच ही इतना झगड़ा हो चुका है कि चुनाव बन ही नहीं पाएगा. बीजेपी अभी भी घमंड एवं अहंकार में है और उसे इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा.

3. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद क्या देश का माहौल बदला है?
बालाकोट की स्ट्राइक किसी पार्टी ने तो की नहीं थी, वह तो भारतीय सेना ने की थी. इनपर हमें फखर है. सैनिकों की शहादत को हम सलाम करते हैं. सेना देश की होती है किसी दल या पार्टी की नहीं होती. मुझे लगता है कि इस तरह का राजनीतिक फायदा जो दल लेने की कोशिश करते हैं उनको जमीन, किसान, नौजवान, महंगाई, भष्टाचार, अर्थव्यवस्था और रोजगार के सवालों का जवाब देना चाहिए.

4. इस बार चुनाव आयोग ने चार नेताओं पर प्रचार करने से प्रतिबंध लगाया है, क्या आयोग अच्छा काम कर रहा है?
क्या अच्छा काम है. यह कार्रवाई बहुत ज्यादा देरी से की गई है. अगर सच में नेताओं को दंडित करना था तो ठीक से करते जो एक उदाहरण बनता. एक या दो दिन किसी को प्रतिबंधित कर भी दिया जाए तो मुझे नहीं लगता कि जो नेता बदजुबानी की बाते करते हैं या जो राजनीति में अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करते हैं, इससे कोई संदेश जाने वाला है.

अब सिद्धू का विवादित बयान, मायावती की तरह ही मुस्लिमों से एकजुट मतदान को कहा

चुनाव आयोग की कार्रवाई के लपेटे में आ चुके यूपी सीएम योगी, बसपा सुप्रीमो मायावती, बीजेपी नेता मेनका गांधी व सपा नेता आजम खान के बाद अब ये सिलसिला और आगे बढ़ता नजर आ रहा है. विवादित बयानों की कड़ी में भला नवजोत सिंह सिद्धू कहां पीछे रहने वाले थे, सिद्धू ने बिहार की कटिहार लोकसभा सीट क्षेत्र में बलरामपुर विधानसभा में आयोजित एक जनसभा में मुस्लिम समुदाय को संबोधित करते हुए विवादित बयान दिया है. सिद्धू का ये बयान सियासी गलियारों की सुर्खियां बना हुआ है. बता दें कि, सिद्धू का ये बयान बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा दिए गए बयान से मिलता-जुलता है.

वोट बटोलने के लिए अपने बयानों के जरिए जाति-धर्म का जहर घोलने वाले नेताओं पर चुनाव आयोग की सख्ती लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन फिर भी नेता विवादित बयान देने से बाज नहीं आते दिख रहे हैं. अब कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कटिहार के बलरामपुर में मुस्लिमों को संबोधित करते हुए एक विवादित बयान दे दिया है, जिसमें वे एकजुट होकर कांग्रेस के समर्थन में वोट करने की बात कह रहे हैं. इसके अलावा भी सिद्धू ने इस रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर लेते हुए पीएम मोदी की तुलना फेंकू से कर डाली.

सिद्धू ने कहा कि आपकी कटिहार सीट ऐसी लोकसभा सीट है जहां अल्पसंख्यक भी बहुसंख्यक है, इसलिए आप अगर एकजुटता दिखाते हैं तो तारिक अनवर को हराने वाला कोई नहीं है. बता दें कि मायावती ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था जिसपर चुनाव आयोग ने उनके चुनाव प्रचार पर 48 घंटे के लिए रोक लगा दी. इसके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू ने रैली में कहा कि, ‘इस क्षेत्र में आपका वर्चस्व 62 फीसदी का है और ये बीजेपी वाले षडयंत्रकारी लोग आपको बांटने का प्रयास करेंगे, आप इकठ्ठे रहें तो कांग्रेस को दुनिया की कोई ताकत हरा नहीं सकेगी.’

कुछ ऐसा ही बयान दिया था मायावती ने
बता दें कि, हाल ही में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कुछ इसी तरह का बयान मुस्लिम समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए दिया था, जिस पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई करते हुए इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए 48 घंटे के लिए उनपर प्रचार-प्रसार के लिए पाबंदी लगा दी है. मायावती ने ये बयान देवबंद की रैली में दिया था और एकजुट होकर महागठबंधन के लिए मतदान करने को कहा था.

गौरतलब है कि, निर्वाचन आयोग की आदर्श आचार संहिता के नियमों के मुताबिक कोई भी नेता, प्रत्याशी या पार्टी धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकता है और ना ही किसी एक समुदाय से इस प्रकार एकजुट मतदान की अपील कर सकता है. बता दें कि, इस तरह के बयान देकर आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों में केवल मायावती ही शामिल नहीं है. इनके अलावा यूपी सीएम आदित्यनाथ भी अली-बजरंगबली वाला बयान देकर चुनाव आयोग की 72 घंटे प्रचार पर रोक की कार्रवाई झेल रहे हैं. अब इस तरह के बयान के बाद सिद्धू पर भी चुनाव आयोग की तलवार लटकती दिख रही है.

‘असली-नकली’ प्रत्याशी के फेर में बिहार की बांका लोकसभा सीट, त्रिकोणीय मुकाबला !

देश में चल रहे चुनावी समर में हर प्रत्याशी अपने तरीके से चुनाव प्रचार में लगा है. कोई नई योजना लाने के साथ मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के वादे करता दिख रहा है तो कोई स्थानीय मुद्दों को शीर्ष तक पहुंचाने का भरोसा दिला मतदाताओं का मन जीतने में लगा है लेकिन बिहार की एक लोकसभा सीट की राजनीति में नया ट्विस्ट सामने आया है. जहां एक निर्दलीय प्रत्याशी अपने आपको न सिर्फ केन्द्र के सत्ताधारी एलाइंस का केंडिडेट बताकर वोट मांग रही है बल्कि उनकी योजनाएं और करवाए गए विभिन्न कामों को भी गिना रहीं है. इस पसोपेश में केवल एनडीए का असली प्रत्याशी ही नहीं बल्कि मतदाता भी हैं कि आखिर असली और नकली कौन है.

हम बात कर रहे हैं बिहार की बांका लोकसभा सीट की जहां इस बार महागठबंधन और एनडीए में सीधा मुकाबले के बीच कई सीटें ऐसी भी हैं जहां संघर्ष त्रिकोणीय नजर आ रहा है. यहां एक ओर जेडी (यू) के प्रत्याशी विधायक गिरिधारी यादव एनडीए के घोषित प्रत्याशी हैं तो वहीं निर्दलीय पुतुल कुमारी खुद को ‘एनडीए का असली कैंडिडेट’ बता सबको असमंजस में डाल रहीं हैं. दिलचस्प बात ये है कि यहां दोनों ही प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लोगों से वोट मांगने में लगे हैं. यहां से बिहार के महागठबंधन ने राजद प्रत्याशी और सांसद जयप्रकाश नारायण यादव को फिर भरोसा जताते हुए मौका दिया है.

बता दें कि, इस बार के चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे एनडीए के घोषित प्रत्याशी गिरीधारी यादव, निर्दलीय पुतुल कुमारी व महागठबंधन के हिस्से राजद से प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव, तीनों ही प्रत्याशी बांका से सांसद रह चुके हैं. हुआ यूं कि बिहार एनडीए में हुए सीट शेयरिंग में बांका की सीट जदयू के खाते में चली गई, जिसके चलते साल 2014 में बीजेपी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने वाली पुतुल कुमारी बेटिकट हो गईं. जिसके बाद पुतुल कुमारी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. गौरतलब है कि, पिछले लोकसभा चुनावों में जयप्रकाश नारायण यादव ने पुतुल कुमारी को दस हजार वोटों से शिकस्त दी थी.

खुद को एनडीए का उम्मीदवार बताते हुए पुतुल जनता के बीच जा रही है और समर्थन मांगने के साथ वोट देने की अपील कर रहीं है. पुतुल कुमारी का कहना है कि वे निर्दलीय लड़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थीं, लेकिन कुछ परिस्थितियां ही ऐसी बन गईं कि ये फैसला लेना पड़ा. इसी बीच यहां गठबंधन का प्रत्याशी मैदान में होने के कारण पार्टी (बीजेपी) का दवाब भी था कि मैं चुनाव न लडूं. वहीं पार्टी को असहज स्थिति से बचाने के लिए उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया है.

वहीं, एनडीए की योजना और देश में करवाए गए विकास कार्यों को गिनाकर वोट मांग रहीं पुतुल कुमारी कहती हैं कि, हमने लोगों के बीच उज्ज्वला चूल्हा शिविर लगा-लगा कर बंटवाया था. मेरा चुनाव चिन्ह भी गैस सिलिंडर है. कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली अंतरराष्ट्रीय शूटर और अर्जुन पुरस्कार प्राप्त श्रेयसी सिंह पुतुल कुमारी की छोटी बेटी हैं. वह भी पिछले कुछ सप्ताह से लगातार अपनी मां के लिए चुनाव प्रचार में लगी हैं.

हाल के दिनों में मशहूर हुए ‘ठीक है’ गाने की तर्ज़ पर प्रत्याशी अपने प्रचार गीत के द्वारा जनता से वोट बटोरने की जुगत में लगे हुए हैं. पुतुल कुमारी के चुनाव प्रचार से जुड़ा पैरोडी गाना ‘ठीक है’ भी खासा छाया हुआ है. वहीं एनडीए उम्मीदवार गिरिधारी यादव भी ठीक इसी तर्ज पर बने अपने पैरोडी गाने के जरिए मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं. पुतुल कुमारी के प्रचार गीत के बोल कुछ इस तरह से हैं, “गैस सिलिंडर छाप पर हमलोग बटन दबाएंगे… ठीक है… पुतुल कुमारी को ही इस बार हमलोग एमपी बनाएंगे…. ठीक है..” वहीं गिरधारी यादव कुछ इस अंदाज़ में समर्थन मांग रहे हैं, “हाथ से हाथ मिला के अपने कदम को आगे बढ़ाएंगे… ठीक है… तीर छाप पर बटन दबाएंगे गिरधारी जी को जिताएंगे… ठीक है…”

बता दें कि, पुतुल कुमारी के चुनाव मैदान में उतरने के बाद से ही एनडीए वोटों में बिखराव तय है. आम तौर पर शहरी मतदाताओं का बड़ा हिस्सा एनडीए वोटबैंक कहा जाता है लेकिन बांका शहर में इन वोटर्स में बिखराव साफ दिख रहा है. चाय की थड़ियों से लेकर सैलून तो चौक की हथाईयों से लेकर पार्टीज डिस्कस में ये बातें सामने आ रहीं हैं. खैर, जो भी हो. एनडीए के असली और नकली के अलावा बिहार गठबंधन के प्रत्याशी भी जनता तक पहुंचने में अपना-अपना दम-खम लगा रहे हैं.

वहीं, एनडीए का ‘असली कैंडिडेट’ होने के दावों के बीच अबकी बार यहाँ का संघर्ष न केवल त्रिकोणीय और रोचक ही रहने वाला है बल्कि माना तो यहां तक जा रहा है कि इस बार यहां बहुत क़रीबी मुक़ाबला रहने के आसार है. ये बात बीते चुनावों के आंकड़े भी कहते हैं जिसमें बांका लोकसभा सीट पर बीते कुछ चुनावों में बहुत कम वोटों के अंतर से हार-जीत का फैसला होता रहा है.

लोकसभा चुनाव: आज थम जाएगा दूसरे चरण के चुनावी प्रचार का शोर

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लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 13 राज्यों की 97 सीटों पर चुनावी प्रचार का शोर आज शाम पांच बजे थम जाएगा. दूसरे चरण के चुनावी में तमिलनाडु की 39, कर्नाटक की 14, महाराष्ट्र की 10, यूपी की आठ, बिहार और ओडिशा की पांच-पांच, छतीसगढ़ की तीन, जम्मू-कश्मीर की दो और मणिपुर, त्रिपुरा और पुडुचेरी की एक-एक सीट पर मतदान होगा. बता दें, देश में कुल सात चरणों में लोकसभा चुनाव संपन्न होंगे. पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को हो चुका है.

बड़े नेताओं की किस्मत का होगा फैसला

चुनाव के दूसरे चरण में देश के बड़े नेताओं की किस्मत दांव पर है. मोदी सरकार के चार मंत्रियों की किस्मत का फैसला भी इसी चरण में होगा. इनमें बेंगलुरू नॉर्थ सीट से डीवी सदानंद गौड़़ा, ओडिशा के सुंदरगढ़ से जोएल ओराम, जम्मू-कश्मीर के उधमपुर से डॉक्टर जितेंद्र सिंह और तमिलनाडु की कन्याकुमारी से पी.राधाकृष्णन शामिल हैं. विपक्ष के कई बड़े चेहरों का फैसला भी इसी चरण में होगा. देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौडा की कर्नाटक की टुमकुर सीट, जम्मु-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की श्रीनगर सीट, महाराष्ट्र की नांदेड़ सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, सोलापुर सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, कर्नाटक की कोलार सीट से केएच मुनियप्पा, चिकबल्लापुर सीट से एम.वीरप्पा मोईली, बेंगलुरु साउथ सीट से कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद जैसे दिग्गजों की किस्मत का फैसला इसी चरण के चुनाव में होगा.

इसी प्रकार तमिलनाड़ु की शिवगंगा सीट से पी.चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव असम की सिल्चर सीट से, मथुरा सीट से अभिनेत्री और बीजेपी नेता हेमा मालिनी, फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर, आगरा से बीजेपी प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल, बांका सीट पर आरजेडी प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव और हाथरस में एसपी नेता रामजी लाल सुमन भी मैदान में हैं.

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