पॉलीटॉक्स के पॉलिटिकल एडिटर दिनेश डांगी ने राजस्थान के डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ सचिन पायलट से खास बातचीत की. अपने खास इंटरव्यू में सचिन ने बताया कि बीजेपी की हालत प्रदेश और देशभर में बहुत ज्यादा खराब है. राजस्थान में मिशन 25 की सफलता पर भी उन्होंने पूरी तरह भरोसा जताते हुए केन्द्र में कांग्रेस सरकार बनने का विश्वास जताया. उन्होंने बीजेपी सरकार को घमंडी सरकार भी बताया. सेना पर हो रही राजनीति और चुनाव आयोग की नेताओं पर की गई कार्रवाई पर भी उन्होंने खुलकर बात की.
आइए जानते हैं सचिन पायलट से हुई बातचीत के संपादित अंश-
1. लोकसभा चुनाव में किस तरह का कांग्रेस को रेसपोंस मिल रहा है?
बदलाव की लहर प्रदेश और पूरे देश में है. हाल ही में तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनी है. दक्षिणी राज्यों में बीजेपी का खाता भी नहीं खुलेगा और उत्तर भारतीय राज्यों में भाजपा का आंकडा कम होगा. जाहिर सी बात है कि कांग्रेस को लाभ मिलेगा. राहुल गांधीजी ने पार्टी को जो नेतृत्व दिया है, उसका राजनीतिक फायदा कांग्रेस को जरूर मिलेगा.
2. मिशन 25 के तहत कुछ कमजोर उम्मीदवारों को उतारा गया है, ऐसा लोगों का कहना है?
कमजोर तो बीजेपी के सेनापति हैं. टिकट काटने पड़ गए. बाहर के प्रत्याशियों को लेकर आए हैं. कई सीटों पर विरोधाभास की स्थिति है जैसे दौसा लोकसभा सीट. इस सीट पर बीजेपी के नेताओं के बीच ही इतना झगड़ा हो चुका है कि चुनाव बन ही नहीं पाएगा. बीजेपी अभी भी घमंड एवं अहंकार में है और उसे इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा.
3. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद क्या देश का माहौल बदला है?
बालाकोट की स्ट्राइक किसी पार्टी ने तो की नहीं थी, वह तो भारतीय सेना ने की थी. इनपर हमें फखर है. सैनिकों की शहादत को हम सलाम करते हैं. सेना देश की होती है किसी दल या पार्टी की नहीं होती. मुझे लगता है कि इस तरह का राजनीतिक फायदा जो दल लेने की कोशिश करते हैं उनको जमीन, किसान, नौजवान, महंगाई, भष्टाचार, अर्थव्यवस्था और रोजगार के सवालों का जवाब देना चाहिए.
4. इस बार चुनाव आयोग ने चार नेताओं पर प्रचार करने से प्रतिबंध लगाया है, क्या आयोग अच्छा काम कर रहा है?
क्या अच्छा काम है. यह कार्रवाई बहुत ज्यादा देरी से की गई है. अगर सच में नेताओं को दंडित करना था तो ठीक से करते जो एक उदाहरण बनता. एक या दो दिन किसी को प्रतिबंधित कर भी दिया जाए तो मुझे नहीं लगता कि जो नेता बदजुबानी की बाते करते हैं या जो राजनीति में अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करते हैं, इससे कोई संदेश जाने वाला है.