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वसुंधरा राजे ने बीकानेर में अर्जुन मेघवाल के प्रचार से परहेज क्यों किया?

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‘मिशन-25’ के तहत राजस्थान की सभी सीटों पर जीत का दावा करने वाली बीजेपी भले ही मोदी के नाम पर वोट मांग कर एकजुटता का दावा करे, लेकिन बीकानेर में पार्टी का यह दावा खोखला साबित होता नजर आ रहा है. प्रदेश में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा होने के बावजूद वसुंधरा राजे ने बीकानेर में चुनाव प्रचार से पूरी तरह से दूरी बनाए रखी. वसुंधरा की इस दूरी ने सियासी हल्कों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है.

दरअसल, अर्जुनराम की गिनती प्रदेश के उन बीजेपी नेताओं में होती है, जिन्हें वसुंधरा के विरोधी खेमे और केंद्रीय नेतृत्व के नजदीक माना जाता है. केंद्र की राजनीति में अपने वरदहस्तों के चलते लगातार पायदान चढ़े अर्जुन के समर्थक भी उन्हें कभी मुख्यमंत्री तो कभी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में भी मान रहे थे. राजस्थान में एकबारगी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ के लिए उस वक्त उन्हें संभावित माना गया था जब अशोक परनामी को प्रदेशाध्यक्ष से हटाया गया और 75 दिन तक नया अध्यक्ष नहीं बन पाया.

इस दौरान जोधपुर के गजेंद्र सिंह शेखावत भी दावेदारों में शामिल थे. राजे ने जोधपुर में प्रचार से भी दूरी बनाए रखी, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के उनके सामने चुनाव लड़ने और राजपूत मतदाताओं के साथ ही क्षेत्र में वसुंधरा के प्रभाव को देखते हुए आलाकमान के दखल के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान राजे जोधपुर गईं. हालांकि यहां भी वे अलग से प्रचार करने की बजाय रोड शो तक ही सीमित रहीं.

वहीं, बीकानेर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा तय होने के बाद माना जा रहा था कि वसुंधरा राजे बीकानेर आएंगी, लेकिन राजे मोदी की सभा में भी बीकानेर नहीं आईं. ऐसे में कहीं ना कहीं इन कयासों को बल मिला कि राजे की अर्जुन मेघवाल से अदावत अब भी कायम है. इसका बीकानेर के चुनाव परिणाम पर क्या असर होगा, इसकी चर्चा सियासी गलियारों में हो रही है.

यही नहीं, वसुंधरा राजे के विश्वस्त माने जाने वाले नेताओं में शुमार देवी सिंह भाटी पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं. जिले के अन्य राजे समर्थक नेता भी पूरी तरह से चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं. राजनीतिक चर्चा तो यहां तक भी है कि खास व्यक्ति ने बीकानेर में कुछ लोगों को खास निर्देश भी दिए हैं. जिसके बाद प्रदेश की राजनीति में अपना चेहरा चमकाने की हसरत रखने वाले बीजेपी नेताओं ने पूरी तरह से चुनाव में औपचारिकता तक ही खुद को सीमित कर लिया है.

बीकानेर पूर्व से विधायक सिद्धी कुमारी पहले नामांकन और बाद में मोदी की सभा में मंच पर ही नजर आईं. खाजूवाला के पूर्व विधायक डॉ. विश्वनाथ मोदी की सभा में ही नजर आए, वहीं बीकानेर नगर विकास न्यास के पूर्व चैयरमैन महावीर रांका ने तो अर्जुन से दूरी बनाने के लिए पूरी तरह से खुद को श्रीगंगानगर में निहालचंद के चुनाव में व्यस्त कर लिया. हालांकि पार्टी ने उन्हें वहां भेजा ऐसा कुछ नहीं है.

वहीं, कुछ और नेता भी पूरे चुनाव प्रचार से दूर ही रहे हैं. अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि अर्जुन मेघवाल से राजे की अदावत क्या गुल खिलाती है. लेकिन इतना तय है कि पार्टी में अंसतोष और मेघवाल से राजे की दूरी की बात में कुछ सच्चाई तो जरूर है.

पांचवें चरण की 51 सीटों पर थमा प्रचार का शोर, 6 मई को मतदान

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देश में लोकसभा चुनाव के मतदान के चार चरण संपन्न हो चुके हैं. पांचवें चरण के लिए मतदान 6 मई को है जिसमें 7 राज्यों की 51 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. पांचवें चरण के लिए चुनाव प्रचार आज खत्म हो चुका है. मतदान का ये चरण अहम है क्योंकि इसी चरण में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी की किस्मत का फैसला होगा. इस चरण में उत्तर प्रदेश की अमेठी, रायबरेली, लखनऊ, धौरहरा, सीतापुर, मोहनलाल-गंज, बांदा, फतेहपुर, कौशाम्बी, बाराबंकी, फैजाबाद, बहराइच, कैसरगंज, गोंडा और बिहार की सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण, हाजीपुर सीट पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला इसी चरण में होगा.

राजस्थान की श्रीगंगानगर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, जयपुर (ग्रामीण), जयपुर (शहर), अलवर, भरतपुर, दौसा, नागौर, करौली-धौलपुर सीट पर भी चुनाव पांचवे चरण में है.

मध्य प्रदेश की टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद और बेतूल और जम्मु-कश्मीर की अनंतनाग, लद्दाख, झारखंड की हजारीबाग, खूंटी, कोडरमा, रांची में मतदान इसी चरण में है.

पश्चिम बंगाल की बनगांव, बराकपुर, हावडा, उलुबेरिया, सीरमपुर, हुगली, आरामबाग सीटों के उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला भी इसी चरण में होगा.

चुनाव के इस चरण कुछ वीआईपी सीटें शामिल हैं. इनमें पहले नंबर पर यूपी की अमेठी सीट है जहां मुकाबला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बीच है. यहां सपा-बसपा-रालोद ने प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है. वहीं रायबरेली में मुकाबला यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह के बीच है. बता दें कि दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस की तरफ से विधानपरिषद सदस्य चुने गए थे लेकिन वो चुनाव से पूर्व बीजेपी में शामिल हो गए.

लखनऊ में भी इस बार मुकाबला दिलचस्प है, गृहमंत्री राजनाथ सिंह का मुकाबला गठबंधन की प्रत्याशी पूनम सिन्हा और कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद कृष्णम से है. बता दे कि पूनम सिन्हा हाल ही बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा की धर्मपत्नी है.

बहराइच लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है. यहां की वर्तमान सांसद सावित्री फूले ने चुनाव से पूर्व बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इस बार वो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में है. उनका सामना गठबंधन के शब्बीर वाल्मिकी और बीजेपी के अक्षयवर लाल गौड़ से है.

बिहार की सारण लोकसभा सीट पर मुकाबला बीजेपी के राजीव प्रताप रुडी और महागठबंधन में राजद के उम्मीदवार चंद्रिका राय के बीच है. चंद्रिका राय लालु यादव के पुत्र तेजप्रताप यादव के ससूर है. चंद्रिका राय को टिकट देने का तेजप्रताप ने खुलकर विरोध किया था और उनके खिलाफ प्रत्याशी उतारने का भी एलान किया था . बताते चलें कि साल 2009 के चुनाव में लालु यादव यहां से सांसद चुने गए थे. लेकिन 2014 के चुनाव में उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को बीजेपी के राजीव प्रताप रुडी से हार का सामना करना पड़ा था.

हाजीपुर लोकसभा सीट पर मुकाबला लोजपा और राजद के मध्य देखने को मिल रहा है. लोजपा ने यहां बिहार सरकार के मंत्री पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया है, मुकाबला राजद के शिवराम से है. बता दें कि पशुपति पारस केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के भाई है. रामविलास पासवान इस सीट से 8बार सांसद चुने गए है. लेकिन इस बार उन्होंने चुनाव नही लड़ने का फैसला लिया है.

बीकानेर में मुकाबला दो भाइयों के बीच है. बीजेपी से केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और कांग्रेस की तरफ से मदन मेघवाल मैदान में है. ये दोनो ब्यूरोक्रेट रह चुके है. साथ ही मौसेरे भाई भी है. अर्जुनराम 2009 और 2014 में यहां से सांसद रह चुके हैं. इस बार उन्हें स्थानीय नेता देवी सिंह भाटी के विरोध का सामना करना पड़ रहा है जो उनके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

जयपुर ग्रामीण में मुकाबला दो ओलंपियनंस के बीच है. बीजेपी की तरफ से एंथेस ओलंपिक के रजत पदक विजेता और वर्तमान सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को चुनावी समर में हैं. कांग्रेस ने सादुलपुर विधायक कृष्णा पूनिया पर दांव खेला है.

सतना बीजेपी का किला है. यहां बीजेपी साल 1998 से लगातार चुनाव जीतती आ रही है. सतना में मुकाबला बीजेपी के गणेश सिंह और कांग्रेस के राजा राम त्रिपाठी के बीच है. गणेश सिंह इस सीट से लगातार तीन बार से सांसद है. 2014 में कांग्रेस को यहां सिर्फ 9 हजार वोटों से हार झेलनी पड़ी थी. इस बार यहां मुकाबला कड़ा होगा, इसमें कोई दोराय नहीं है.

हजारीबाग में मुकाबला केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा और कांग्रेस के गोपाल साहु के बीच है. जयंत सिन्हा बीजेपी के दिग्गज नेता रहे यशवंत सिन्हा के पुत्र है. वो इस सीट से 2014 में सांसद चुने गए थे. उन्होंने कांग्रेस के सौरभ नारायण सिंह को करीब एक लाख 59 हजार वोटों से हराया था.

बिहार में पीएम मोदी ने AFSPA पर जताई राय, नीतीश की जमकर तारीफ

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लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण के लिए धुंआधार प्रचार के चलते पीएम नरेंद्र मोदी शनिवार को बिहार के दौरे पर रहे. यहां उन्होंने पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में आयोजित चुनावी सभाओं को संबोधित किया और विपक्ष सहित क्षेत्रीय गठबंधन पर कई वार किए. पीएम ने प्रदेश के चंपारण, रामनगर, बस्ती व प्रतापगढ़ में चुनावी सभाओं में अपना संबोधन दिया. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने बिहार सीएम नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की और कहा कि उन्होंने बिहार के घर-घर से लालटेन हटाने का काम किया है.

चुनावी रैली में संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने एक शेर बोला –

न मैं गिरा ना मेरी उम्मीदों के मीनार गिरे, पर कुछ लोग मुझे गिराने में कई बार गिरे.

रैली में संबोधन के दौरान पीएम मोदी हाल ही में यूएन द्वारा ग्लोबल आतंकी घोषित किए गए मसूद अजहर को लेकर भी बोले. उन्होंने कहा कि आतंकवाद और नक्सलवाद को खत्म करने लिए हमारी नीति साफ है. रोज होने वाले बम धमाके अब बंद हो चुके हैं. सुरक्षा एजेंसियां आज चौकन्नी होकर काम कर रही हैं और मैंने आदेश दिया है कि सेना के हाथ बांधे नहीं जाएंगे. हमारी नीति और रणनीति का दम आज पूरी दुनिया देख रही है. देश में आतंकवाद पर लगाम लग गई है.

वहीं पीएम मोदी ने एक बार फिर दोहराया कि भारत अब आतंकी हमलों को सहन करने वाला नहीं है और न ही चुप चाप हाथ पर हाथ धर बैठे रहने वाला है. उन्होंने गरजते हुए कहा कि जो भी हम पर बुरी नजर डालेगा उस पर उतनी ही सख्ती से वार किया जाएगा. आतंकी हो या आतंक के मददगार घर में घुसकर मारा जाएगा. वो गोली चलाएंगे तो मोदी गोला चलाएगा. इस जोशिले संबोधन के दौरान चुनावी सभा के पूरे पांडाल से मोदी-मोदी के नारे लगे.

उन्होंने कहा कि सत्ता हमारे लिए सेवा का माध्यम है, वहीं विरोधी दलों के लिए यह मेवा कमाने का जरिया. पीएम मोदी ने कहा कि चार चरणों के मतदान होने के बाद विपक्ष ने हार का बहाना ढूंढ़ना शुरू कर दिया है. पहले मुझे दिन-रात गाली देने वाले लोग अब ईवीएम और चुनाव आयोग को गाली दे रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि विरोधी दलों के नेताओं ने अब प्रधानमंत्री पद का सपना देखना बंद कर दिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि विपक्ष को याद रखना चाहिए कि कम से कम 54 सीटें विपक्ष के नेता बनने के लिए चाहिए, जबकि 2014 में जनता ने इस लायक भी नहीं छोड़ा था.

इसके अलावा पीएम मोदी ने कांग्रेस व उनके सहयोगी दलों की सोच को लेकर हमला बोला और कहा कि ये लोग देशद्रोह कानून खत्म करना चाहते हैं. सेना को दिए गए विशेषाधिकार (AFSPA) वापस लेना चाहते हैं. ये सुनकर मेरा खून गर्म हो जाता है कि 70 साल तक राज करने वाली पार्टी इतना नीचे कैसे गिर गई. पीएम ने चेताते हुए कहा कि जनता देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करने वाली है. देश को एक मजबूत सरकार की दरकार है न कि एक मजबूर सरकार. पीएम मोदी ने कहा कि देश में चार चरणों के मतदान के बाद सारे महामिलावटी दलों के झूठे दावों की पोल खुल गई है.

मसूद अजहर पर बैन की कार्रवाई हमने शुरू की, क्रेडिट ले रही बीजेपी: कांग्रेस

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देश में लोकसभा चुनाव के बीच यूएन द्वारा जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने राजनीति में उबाल देखा जा रहा है. एक तरफ पीएम मोदी के साथ-साथ पूरी बीजेपी इसका श्रेय लेने में जुटी है तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने भड़कते हुए इसे यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई कार्रवाई का नतीजा बताया है. कांग्रेस का कहना है कि मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की कोशिश 2009 में शुरू की गई थी, जिसका नतीजा है कि आज यह कामयाबी मिल सकी है.

पूर्व गृहमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने प्रेसवार्ता आयोजित कर आंतकी मसूद अजहर मामले में बीजेपी द्वारा श्रेय लेने पर कड़ी आपत्ति जताई है. चिदंबरम ने कहा कि मोदी जी जनता को स्टोरी का अंतिम सीन बता रहे है जबकि ये नहीं बताया जा रहा कि इस संबध में यूपीए सरकार के दौरान साल 2009 से कोशिश शुरू की गई थी. 10 साल चली लंबी प्रक्रिया का ही नतीजा है कि आज यह सफलता मिल सकी है. उन्होंने कहा कि यह ऐसे है जैसे की पूरी मूवी देख ली जाए और जिक्र सिर्फ अंतिम सीन का हो. पूरी फिल्म का फिर क्या?

साथ ही पी. चिदंबरम ने पीएम मोदी से सवाल किया कि हाफिज सईद को वैश्विक आतंकी किसने घोषित करवाया? वैश्विक आतंकी घोषित होने वाला मसूद अजहर पहला व्यक्ति नहीं है. क्या आप लखवी को भूल गए हो? जब कांग्रेस सत्ता में थी तब दो आतंकियों को वैश्विक आतंकी घोषित कराया गया. चिदंबरम ने इसके अलावा पीएम मोदी पर देश की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि वे अधूरी सच्चाई ही जनता को बता रहे हैं. जिसका कोई औचित्य नहीं रह जाता.

गौरतलब है कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया था. इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा अपनी हर चुनावी रैली के संबोधन में इसका क्रेडिट लेने वाली भाषा का प्रयोग किया जाता है. भाषणों में पीएम द्वारा आतंकवाद और नक्सलवाद को खत्म करने के लिए साफ नीति का दावा किया जाता है. बीते शनिवार को भी एक चुनाव रैली में पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में भारत को आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में बहुत बड़ी सफलता हाथ लगी है.

रोड शो में अरविंद केजरीवाल को मारा थप्पड़, मचा बवाल

आप प्रमुख व दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में रोड शो के दौरान एक शख्स ने जोरदार थप्पड़ जड़ दिया. सीएम केजरीवाल नई दिल्ली प्रत्याशी बृजेश गोयल के समर्थन में एक खुली जीप में सवार होकर रोड शो कर रहे थे. तभी अचानक लाल टी शर्ट पहने एक युवक भीड़ में से निकला और जीप पर चढ़कर उनके गाल पर तमाचा रसीद कर दिया. जिसके बाद पूरे रोड शो में बवाल मच गया. थप्पड़ मारने वाले शख्स को हिरासत में ले लिया गया है.

दरअसल, अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से आप प्रत्याशी बृजेश गोयल के समर्थन में रोड शो में हिस्सा लेने पहुंचे थे. जहां केजरीवाल एक खुली जीप में खड़े होकर भाषण देने के साथ उपस्थित लोगों का अभिनंदन स्वीकार रहे थे. इस दौरान जब रोड शो मोतीनगर इलाके में आया तो यहां एक शख्स भीड़ में से अचानक निकला और जीप पर चढ़कर केजरीवाल को जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया.

जिसके तुरंत बाद आप वॉलिन्टियर व सुरक्षाकर्मियों ने युवक को दबोच लिया. आरोपी युवक दिल्ली में मोतीनगर के कैलाश पार्क का निवासी बताया जा रहा है. जानकारी के अनुसार सुरेश नाम का ये शख्स केजरीवाल सरकार से नाराज था और इसकी यहीं स्थानीय मार्केट में स्पेयर-पार्ट्स की दुकान है.घटना के बाद आरोपी युवक को मोतीनगर थाने ले जाया गया, जहां उससे गहन पूछताछ की जा रही है.

बता दें कि इससे पहले भी अरविंद केजरीवाल को एक युवक ने रोड शो के दौरान ही माला पहनाते समय थपड़ मारा था. एक मुख्यमंत्री पर ऐसा हमला होना बड़ी शर्मनाक बात है क्योंकि ऐसी घटनाओं के बाद आम आदमी की सुरक्षा को लेकर कहा ही क्या जा सकता है.

राजस्थान: अलवर में एक संन्यासी और राजा में रोचक जंग

करीब डेढ़ साल पहले अलवर लोकसभा के उपचुनाव में लाखों वोटों से जीतने वाली कांग्रेस के लिए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पैदा हुआ सियासी माहौल पूरी तरह बदल गया है. यही वजह है कि दोबारा शुरु हुई मोदी लहर के बीच कांग्रेस के लिए जीत बरकरार रखना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है. अलवर के चुनावी रण में मुकाबला एक संन्यासी और एक राजा के बीच है. इस सीट से बीजेपी ने योगी बालकनाथ को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर पूर्व अलवर राजघराने के भंवर जितेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है. लेकिन यहां का मुकाबला एक बार फिर यादव बनाम अन्य जातियों के बीच बनता जा रहा है.

बीजेपी के बालकनाथ को महंत चांदनाथ के सांसद रहने के दौरान बीमारी के चलते निष्क्रिय रहने की खामी और बाहरी होने के चलते खतरा मंडरा रहा है. इससे बचने के लिए बालकनाथ हर सभा में ‘मोदी मोदी’ के नारे लगवा रहे हैं और ‘मोदी को मिल गया जोगी’ गाना बजवा रहे हैं. वहीं भंवर जितेंद्र सिंह 2009 में केंद्र में मंत्री रहते हुए अलवर में कराए गए विकास कार्यों को गिनाते हुए मोदी लहर को कम करने में लगे हैं.

बसपा ने यहां अपना प्रत्याशी खड़ा करके कांग्रेस की धड़कने बढ़ा दी हैं. हालांकि मुकाबले में बसपा, कांग्रेस के मेव मुस्लिम और एससी वोट बैंक में सेंध लगाती नहीं दिख रही. यह तय है कि यादव एकतरफा बालकनाथ को वोट देंगे तो मेव मुस्लिम और मीणा कांग्रेस के साथ जाएंगे. ऐसे में जनरल, ओबीसी और दलित वोट बैंक का पलड़ा जिस तरफ भारी रहेगा, नतीजा उसी पर निर्भर करेगा.

सियासी समीकरण
अलवर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा आती है. डेढ़ साल पहले महंत चांदनाथ के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने 1.96 लाख वोटों से यह सीट जीती थी लेकिन विधानासभा चुनाव में पार्टी ने यह बढ़त खो दी. कांग्रेस को यहां से विधानसभा चुनाव में महज तीन सीटें मिली. दो-दो सीटें बीजेपी, बसपा और एक निर्दलीय के खाते में गई.

विधानसभा चुनाव के परिणामों के हिसाब से बात की जाए तो कांग्रेस अलवर ग्रामीण और राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ में अच्छी लीड हासिल करेगी. वहीं बीजेपी बहरोड़ और मुंडावर में बढ़त बनाएगी. बीजेपी किशनगढ़बास और अलवर शहर से भी आगे रह सकती है. रामगढ़ सीट पर कांग्रेस खुद को मजबूत मानकर चल रही है लेकिन तिजारा से बसपा विधायक होने के चलते टेंशन में दिख रही है.

जातिगत समीकरण
अलवर का चुनाव मोदी लहर और जातिगत होने के कारण कांटे का हो गया है. पिछले नौ चुनाव में बीजेपी ने लोकसभा मेंं सात बार यादव जाति के नेता को टिकट दिया है. इस बार भी पार्टी ने यादव उम्मीदवार पर दांव खेला है. लिहाजा एक बार फिर मुकाबला यादव बनाम अन्य जातियों के बीच बनता दिख रहा है. अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस की जीत की राह मजबूत हो जाएगी. लेकिन बालकनाथ इस समीकरण को भांपते हुए यादवों के अलावा अन्य वोटों को हासिल करने के लिए मोदी लहर पर सवार हो गए है और मोदी मोदी की माला जप रहे है.

अलवर में करीब 18 लाख 62 हजार 400 मतदाता है जिनमें करीब 3.6 लाख यादव, 4.5 लाख दलित, 3.35 लाख मेव मुस्लिम, 1.4 लाख जाट, 1.15 लाख ब्राह्मण, एक लाख वैश्य और बाकी अन्य जातियों के वोट बैंक है. सबसे अहम निर्णायक वोट दलित वोट बैंक है. जो इन वोटों को साध पाएगा, जीत उसी की हो जाएगी.

बालकनाथ यादव हैै और कांग्रेस ने उपचुनाव में नाइट वाचमैन की तर्ज पर उतारे गए मौजूदा सांसद करण सिंह यादव का टिकट काट दिया लिहाजा यादव वोटर्स कांग्रेस से खफा है. बहरोड़ में यादवों के एकतरफा बालकनाथ के साथ जाने की पूरी संभावना है. कांग्रेस प्रत्याशी को इस नुकसान का पूरा ज्ञान भी है. मुंडावर में जाट भाजपा विधायक मंजीत चौधरी के चलते बीजेपी के पाले में जाने की की संभावना है. लिहाजा भंवर जितेन्द्र सिंह को मेव मुस्लिम और मीणावाटी राजगढ़ में मीणा मतदाताओं के एकतरफा वोट लेने होंगे.

बसपा से होने वाले नुकसान की भरपाई में जुटे जितेंद्र सिंह
विधानसभा चुनाव में बसपा अलवर में बड़ी ताकत बनकर उभरी थी. बसपा ने तिजारा और किशनगढ़बास सीट पर जीत दर्ज की थी जबकी मुंडावर में दूूसरे नंबर पर रही थी. इस बार बसपा ने इमरान खान को यहां से टिकट दिया है. इमरान सीधे रुप से कांग्रेस के मेव मुस्लिम औऱ एससी वोटों में सेंध लगाने की कोशिश करेंगे. हालांकि लेकिन धरातल पर फिलहाल ऐसा नजर नहीं आ रहा.

मुस्लिम वोटर्स इमरान और बसपा दोनों में रुचि नहीं दिखा रहे. मुस्लिम वोटर्स इमरान को वोट देने से मोदी राज में कांग्रेस को होने वाले नुकसान से भलीभांंति परिचित है. लिहाजा जानकारों और मुस्लिम वोटर्स का मिजाज देखें तो वो कांग्रेस के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. दलितों के वोट जरुर बसपा लेते दिख रही है. ऐसे में भंवर जितेंद्र सिंह बसपा से होने वाले नुकसान को कवर करने में जुटे हुए हैं.

चुनाव में तीसरा पहलू कर रहा है काम
इन तमाम सियासी और जातिगत समीकरणों के बीच अलवर के कईं मतदाताओं का मिजाज बहुत कुछ बयां करता है. लोगों का कहना है कि साधु और संन्यासियों को धार्मिक कार्यों में रुचि दिखाई चाहिए न की सियासत में. लोगों ने कहा कि महंत चांदनाथ को सांसद चुना तो उन्होंने कुछ नहीं किया. वहींं कुछ वोटर्स ने कहा कि बालकनाथ जीतते है तो फिर हमें यहां से काम के लिए उनके पास हरियाणा जाना होगा. ऐसे में साफ है कि लोगों में बाहरी होने का मुद्दा काम कर रहा है.

एक चौंकाने वाली बात निकलकर यह भी आई है कि लोग 2009 में भंंवर जितेंद्र सिंह के केंद्र में मंत्री रहतेे हुए अलवर में कराए गए कामों को अब भी याद कर रहे हैं. जितेंद्र सिंह की साफ सुथरी छवि भी लोगों को रास आ रही है. इन सबके बीच साइलेंट वोटर्स के मूड को भांपना बहुत कठिन है लेकिन तमाम फैक्टर और समीकरणों के बीच मोदी लहर अब भी बरकार है.

वित्त मंत्री अरूण जेटली की PC, राहुल गांधी रहे निशाना

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लोकसभा चुनाव के समर में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इस बयानबाजी के दंगल में दोनों राजनीतिक दलों के अलावा अन्य पार्टियों के शीर्ष नेता भी कूद पड़े हैं. इसी क्रम में बीजेपी के वरिष्ठ नेता व वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता कर राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोला है. नागरिकता मामले के बाद अब बीजेपी ने राहुल को बैकॉप्स कंपनी में उनकी हिस्सेदारी और मालिकाना हक को लेकर घेरने की कोशिश की है.

बीजेपी मुख्यालय दिल्ली में प्रेसवार्ता के दौरान वित्त मंत्री अरूण जेटली ने राहुल गांधी पर जमकर वार किए. इस दौरान जेटली ने राहुल को सही मुद्दे पर चुप रहने वाला बताया और कहा कि चुप रहने का अधिकार किसी क्रिमिनल केस में मुलजिम को होता है, राजनीतिक नेताओं को ये अधिकार उपलब्ध नहीं है. साथ ही जेटली ने राहुल पर कड़ा वार करते हुए कहा कि जो रक्षा सौदागर बनने की ख्वाहिश रखता था, वो आज भारत का प्रधानमंत्री बनने की चाह रखते हैं. इस दौरान जेटली ने राहुल पर रक्षा सौदे में दलाली करने वाली कंपनी के हिस्सेदार रहने की बात कही और इस कंपनी में उनके 65 प्रतिशत शेयर भी बताए.

वित्त मंत्री जेटली ने राहुल व प्रियंका गांधी को बैकॉप्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को लेकर घेरा. दोनों को निशाना बनाते हुए कहा कि भारत में 28 मई 2002 को बनी बैकऑप्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी डायरेक्टर हैं. जेटली ने आगे बताया कि इसी नाम से ब्रिटेन में 21 अगस्त 2003 को एक कंपनी बनाई जाती है लेकिन उसके डायरेक्टर राहुल गांधी व एक अमेरिकी नागरिक हैं. ये कंपनी भारत में केवल काम के बदले पैसा बनाने के उद्देश्य से ही खड़ी की गई थी.

जेटली ने कंपनी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रेसवार्ता में शेयर करते हुए बताया कि इस कंपनी की कोई मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट नहीं है. ये कंपनी एक तरह से लाइजनिंग करने के मूल उद्देश्य से ही बनाई गई है. उन्होंने चुटकी ली कि जैसे हम प्रभाव से आपका काम कराएंगे और बदले में पैसा लेंगे. यही इस बैकॉप्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का एकमात्र उद्देश्य था.

प्रेसवार्ता में अरुण जेटली ने बताया कि भारतीय कंपनी में एक पूर्व विंग कमांडर मट्टू थे. लंदन में कंपनी के दोनों डायरेक्टर का एड्रेस एक था. कंपनी के एड्रेस के इस घर का साल 2003 में मालिक अजिताभ बच्चन और उनकी पत्नी रोमाला बच्चन थे. साल 2009 में राहुल गांधी के इस ब्रिटिश कंपनी से बाहर निकलने के बाद 2010 में भारतीय कंपनी भी काम बंद कर देती है लेकिन अमेरिकी नागरिक अपना काम अन्य कंपनियों के नाम से जारी रखते हैं.

बता दें कि वित्त मंत्री अरूण जेटली से पीएम नरेंद्र मोदी व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी रक्षा सौदे मामले पर निशाने पर ले चुके हैं. पीएम मोदी ने राजीव गांधी के बहाने राहुल को निशाना बनाते हुए कहा कि आपके पिताजी को आपके राज दरबारियों ने ‘मिस्टर क्लीन’ बना दिया था, लेकिन देखते ही देखते भ्रष्टाचारी नंबर वन के रूप में उनका जीवनकाल समाप्त हो गया. नामदार यह अहंकार आपको खा जाएगा. ये देश गलतियां माफ करता है, मगर धोखेबाजी को कभी माफ नहीं करता.

वहीं अमित शाह भी राहुल को पर रक्षा सौदे मामले में टिप्पणी करने से नहीं चूके थे. शाह ने राहुल पर तंज कसते हुए अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा कि राहुल गांधी के ‘मिडास टच’ के साथ कोई भी सौदा बहुत ज्यादा नहीं है. जब वह सत्ता में थे, उनके कारोबारी साझेदार फायदा उठा रहे थे. इससे फर्क नहीं पड़ता कि भारत को इसका परिणाम भुगतना पड़े. इस तरह बीजेपी राहुल गांधी को रक्षा मुद्दे पर हर तरह से घेरती नजर आ रही है.

क्या नागौर में जाट-राजपूत एकता की नई मिसाल देखने को मिल सकती है?

देशभर में हो रहे लोकसभा चुनाव का पांचवा चरण 6 मई को संपन्न होगा. राजस्थान में भी इस बार 2 चरणों में चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो रही है. पहले चरण के चुनाव 29 अप्रैल हो चुके हैं, जिसमें प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई. बाकी बची 12 सीटों पर 6 मई को वोट डाले जाएंगे. इन 12 सीटों में नागौर सीट पर सबसे दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है.

नागौर में जहां एक और मिर्धा परिवार की राजनीतिक दांव पर है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की राजनीति में अपने बूते अलग तरह की धाक रखने वाले हनुमान बेनीवाल के राजनीतिक कौशल की भी परीक्षा है. आपको बता दें कि कांग्रेस ने नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा को नागौर के चुनावी रण में उतारा है जबकि बीजेपी ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी यानी आरएलपी के साथ गठबंधन करते हुए हनुमान बेनीवाल को मौका दिया है.

दोनों उम्मीदवार धुंआधार प्रचार में लगे हुए हैं. हनुमान बेनीवाल खुद की छवि और नरेंद्र मोदी का नाम लेकर वोट मांग रहे हैं तो ज्योति मिर्धा सांसद रहते हुए करवाए विकास कार्यों को गिनाकर वोट मांग रही हैं. प्रचार के इस प्रपंच के बावजूद चुनाव जाति की जाजम पर पसरता हुआ दिखाई दे रहा है. सबकी निगाह जाट और राजपूत समाज पर टिकी हुई हैं. राजनीति के जानकार यह मानकर चल रहे हैं कि इन दोनों जातियों का रुख ही इस चुनाव में हार-जीत तय करेगा.

दोनों उम्मीदवार जाट और राजपूतों को अपने-अपने पाले में लाने की मशक्कत कर रहे हैं. इस बीच यह सवाल भी नागौर की जनता के मन में उठ रहा है कि क्या एक बार फिर जाट और राजपूत एक मंच पर आकर राजनीति का नया अध्याय लिखेंगे. आपको बता दें कि प्रदेश की राजनीति में दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा और कल्याण सिंह कालवी पहले भी दोनों जातियों को एक पाले में ला चुके हैं.

आमतौर पर जाट और राजपूत जातियों के बीच हमेशा तनाव की स्थिति रहती है, लेकिन राजनीति में कभी कोई स्थाई शत्रु और मित्र नहीं होता. क्या इस चुनाव में भी जाट और राजपूत एक जाजम पर बैठने वाले हैं? बता दें कि नागौर सीट पर लगभग 2 लाख राजपूत मतदाता हैं. वैसे तो राजपूतों को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है, लेकिन इस बार बीजेपी ने आरएलपी से गठबंधन कर हनुमान बेनीवाल को मैदान में उतारा है, जिनकी छवि कट्टर जाट नेता की रही है.

बेनीवाल के मैदान में आने के बाद से नागौर के राजपूत बीजेपी से छिटकते हुए दिखाई दे रहे हैं. कई राजपूत संगठन हनुमान बेनीवाल का विरोध करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं. करणी सेना के लोकेंद्र सिंह कालवी भी बेनीवाल के खिलाफ वोट देने की अपील कर चुके हैं. दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत राजपूत समाज को बेनीवाल के पक्ष में करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं.

गौरतलब है कि गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. उनकी सीट पर पहले चरण में मतदान हो चुका है. हनुमान बेनीवाल ने उनके समर्थन में दो सभाओं को संबोधित करते हुए जाट समाज से गजेंद्र सिंह शेखावत के पक्ष में मतदान करने की अपील की थी. अब गजेंद्र सिंह शेखावत ने बेनीवाल का सियासी कर्ज उतारने के लिए नागौर में डेरा डाल रखा है.

गजेंद्र सिंह शेखावत हर भाषण में यह संदेश दे रहे हैं कि नागौर लोकसभा सीट से हनुमान बेनीवाल नहीं गजेंद्र सिंह शेखावत चुनाव लड़ रहा है. शेखावत भावुक अपील के जरिए एक बार फिर राजपूत समाज को भाजपा के पक्ष में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं. यदि उनकी अपील ने असर किया तो नागौर में जाट-राजपूत एकता की नई मिसाल देखने को मिल सकती है. बहरहाल, सबको 6 मई को वोटिंग और 23 मई को काउटिंग का इंतजार है.

बिना चुनाव लड़े देवी सिंह भाटी बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं?

बीकानेर लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. बीजेपी से अर्जुनराम मेघवाल और कांग्रेस से मदन गोपाल मेघवाल यहां से उम्मीदवार हैं. हालांकि बीजेपी के कद्दावर नेता रहे देवीसिंह भाटी का नाम इस लिस्ट में नहीं है. उसके बाद भी इस चुनाव को किसी ने सर्वाधिक प्रभावित किया है तो वो हैं- देवीसिंह भाटी. कहने को तो भाटी सिद्धांत की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि वो श्रीकोलायत में हुई भितरघात का हिसाब चुकता करने में लगे हैं. जितनी शिद्दत के साथ उनको श्रीकोलायत में हराने के लिए काम हुआ था, उससे कई गुना अधिक मेहनत व दृढ़शक्ति के साथ भाटी यहां बीजेपी प्रत्याशी को हराने में जुटे हैं.

भाटी श्रीकोलायत से सात बार विधायक रहे हैं लेकिन बीकानेर लोकसभा की आठों विधानसभा क्षेत्रों में उनका दखल है. कहीं ज्यादा-कहीं कम लेकिन उनका प्रभाव हर कहीं देखने को मिलेगा. इस दौरान भाटी ने अपने विरोध अभियान में कहीं भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध नहीं किया और न ही कभी बीजेपी के बारे में ज्यादा बोला है. वो सिर्फ और सिर्फ अर्जुनराम के विरोधी है. अगर वो पार्टी से निष्कासित नहीं होते तो शायद उनका विरोध श्रीकोलायत तक ही सीमित रहता लेकिन निष्कासन के बाद भाटी का विरोध पूरे संसदीय क्षेत्र में फैल रहा है.

दूसरी ओर, अर्जुनराम मेघवाल की टीम ने भाटी के विरोध को अपना हथियार बना लिया है. खासकर भाटी के बयान और उनके भाषण दलित वर्ग को बढ़ा-चढ़ाकर बताए जा रहे हैं ताकि भाटी के विरोध में उनका धुव्रीकरण हो सके. यह सफलता कितनी मिलती है, भविष्य के गर्त में है. वहीं भाटी के विरोध का कितना असर दिखेगा, यह भी बाद में ही पता चलेगा क्योंकि कुछ क्षेत्रों में खुद भाटी का विरोध हो रहा है.

बीकानेर पूर्व की सीट का बड़ा हिस्सा कभी श्रीकोलायत विधानसभा का क्षेत्र था. राजपूत बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां भाटी राजपूत समाज के लोगों को प्रभावित करने में काफी हद तक सफल हो रहे हैं. भाटी समर्थकों का यह दावा निराधार नहीं है कि वर्ष 2014 के चुनाव में जीत जाते तो सत्ता में राजपूत समाज की भागीदारी बढ़ जाती. यहां कांग्रेस प्रत्याशी की ओर से कोई ज्यादा प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं. यहां तक की सिद्धि कुमारी को कड़ी टक्कर देने वाले कन्हैयालाल झंवर भी कहीं नजर नहीं आए. बीजेपी के लिए चिंता का विषय है कि क्षेत्र से उनकी विधायक सिद्धि कुमारी भी वोट बटोरने का प्रयास नहीं कर रही है.

श्रीकोलायत
श्रीकोलायत विधानसभा क्षेत्र में देवीसिंह भाटी का असर आज भी कायम है. यहां वें बीजेपी को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं. राजपूत समाज पर भाटी का खासा प्रभाव है. हालांकि इस बार उनकी पुत्रवधु पूनम कंवर दस हजार से अधिक वोटों से हार गई लेकिन ब्राह्मण व अन्य समाजों के लोग आज भी भाटी के साथ हैं. कांग्रेस के भंवरसिंह भाटी सत्ता में राज्य मंत्री है और उनका व्यवहार हर किसी को प्रभावित करता है. भाटी देशनोक में बीजेपी को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में हैं.

नोखा
नोखा में भाटी का विशेष असर फिलहाल नहीं दिख रहा लेकिन उन्होंने यहां बीजेपी के बिहारीलाल बिश्रोई को जीत दिलाने में भूमिका निभाई थी. अब बिहारी स्वयं देहात बीजेपी के अध्यक्ष है. नोखा में राजपूत समाज के वोट हैं और भाटी के समर्थक भी है लेकिन अर्जुनराम की खिलाफत का झंडा उठाने वाले लोग ज्यादा नहीं हैं. कभी देवीसिंह के खेमे में रहने वाले कन्हैयालाल झंवर भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. गौर करने वाली बात यह है कि झंवर न तो कांग्रेस के लिए प्रचार करते नजर आ रहे हैं और न बीजेपी प्रत्याशी की खिलाफ करते.

बीकानेर पश्चिम
देवीसिंह भाटी यहां जगह-जगह अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ सभाएं कर चुके हैं. बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भाटी का मजबूत स्तंभ पूर्व शहर अध्यक्ष रामकिशन आचार्य है. आचार्य और उनकी पूरी टीम शिद्दत के साथ भाटी के साथ लगी हुई है. यानि सीधे तौर पर बीजेपी प्रत्याशी का विरोध है. दूसरी ओर, युवा मतदाता ‘मोदी-मोदी’ का नारा लगा रहे हैं.

श्रीडूंगरगढ़
श्रीडूंगरगढ़ में स्वयं मेघवाल का विरोध है. ऐसे में विरोधियों को भाटी का समर्थन मिल गया है. बीजेपी प्रत्याशी रहे ताराचंद सारस्वत स्वयं मजबूत स्थिति में नहीं है. ऐसे में पार्टी को यहां संघर्ष करना पड़ेगा. पूर्व विधायक किशनाराम नाई यहां चुनाव को प्रभावित करते हैं लेकिन वो किसके साथ है, यह देखना होगा.

खाजूवाला
खाजूवाला में भी भाटी का अपना प्रभाव है. कांग्रेस यहां से पहले ही 30 हजार वोटों से बढ़त बना चुकी है. इतनी बढ़त तोड़ पाना बीजेपी के लिए चुनौती है. भाटी के खास रहे पूर्व विधायक डॉ.विश्वनाथ यहां से दो बार जीते लेकिन इस बार वो हार गए. अब वे अपनी पार्टी को कितना सहयोग कर पाएंगे, यह 23 मई को ही पता चल पाएगा.

लूणकरनसर
लूणकरनसर में भी स्थिति नोखा जैसी ही है. यहां विजयी रहे बीजेपी के सुमित गोदारा को भाटी का समर्थन मिला था लेकिन उन्हें भी पार्टी लाइन से आगे जाने की इजाजत नहीं है. सुमित गोदारा अपने बूते पर बीजेपी के लिए जी जान लगा रहे हैं. उनका यह प्रयास बीजेपी को कितनी बढ़त दिला पाता है, यह भविष्य के गर्त में छिपा है.

अनूपगढ़
श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल का विरोध है तो कांग्रेस प्रत्याशी मदन गोपाल मेघवाल से भी नाराजगी है. यहां भाटी की दखलंदाजी साफ नजर आ रही है. भाटी सिंचाई मंत्री काल के अपने संबंधों को अर्जुनराम की खिलाफत के लिए काम में ले रहे हैं.

सुब्रमण्यम स्वामी का मोदी सरकार पर ग्रेड वार, आ​र्थिक विकास में बताया फिसड्डी

Politalks

बीजेपी के दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने ही रहते हैं. खासकर पीएम मोदी व केंद्र सरकार पर दिए गए उनके बयान चौकाने वाले रहते हैं. आज राज्यसभा सांसद स्वामी ने पीएम नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार को ग्रेडिंग देकर सबको फिर चौका दिया है. अपने ट्विटर हैंडल से उन्होंने एक ट्वीट कर मोदी सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले पर ए, भ्रष्टाचार से लड़ाई में बी प्लस व मैक्रो आर्थिक विकास पर सी ग्रेड दी है. स्वामी के इस ट्वीट के बाद सियासी गलियारों में खलबली मच गई है. क्योंकि खुद मोदी सरकार स्वामी की इस ग्रेडिंग के विपरित प्रचार में जुटी है.

दिग्गज बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि बीजेपी को इस बार लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा और पार्टी को केवल 220 से 230 सीटें मिलेंगी. ऐसे में पीएम पद का उम्मीदवार सहयोगियों की पसंद पर निर्भर करेगा. सुब्रमण्यम स्वामी अक्सर अपने बयानों के कारण चर्चा में रहते है. उनका अंदाज यही है कि बेबाक किसी के बारे में टिप्पणी कर देते है. कई बार तो उनके बयान खुद बीजेपी के लिए ही गले की फांस बन जाते है.

इस लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा पूरी सरकार व बीजेपी उनके कार्यकाल को सबसे बेहतर बनाने में लगे हैं. इस बीच सुब्रमण्यम की ये ग्रेडिंग फिर बीजेपी की टेंशन बढ़ाने वाली है.

इस इंटरव्यू के दौरान नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर स्वामी ने कहा कि बीजेपी के पुराने सहयोगी बीजद सुप्रीमो नवीन पटनायक पहले ही नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य मान चुके है. इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत के लिए 30 से 40 सीटों की जरुरत पड़ेगी. ऐसे में सहयोगियों पर निर्भर करता है कि वो प्रधानमंत्री पद के लिए किस नेता को पसंद करते है.

उन्होंने कहा था कि ऐसी स्थिति में बीएसपी सुप्रामो मायावती चुनाव के बाद एनडीए को नेतृत्व बदलने की सूरत में समर्थन दे सकती है जिसके बाद भी बीजेपी में अंदरखाने काफी हलचल देखी गई थी.

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