होम ब्लॉग पेज 3227

ईवीएम विवाद: उदित राज का सुप्रीम कोर्ट पर विवादित बयान, कहा- धांधली में शामिल तो नहीं

politalks.news

लोकसभा चुनाव के दौरान तो आपने विवादित बयानों के चलते कई लोगों को अक्सर सुर्खियों में देखा होगा. तब बयानों में किसी नेता को लेकर टिप्पणी की जाती रही थी. अब चुनाव निपटने के बाद ईवीएम बवाल के बीच बयानबाजी सुप्रीम कोर्ट पर जा पहुंची है. बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले दलित नेता उदित राज ने ईवीएम मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं. उदित ने अपने सवालिया टिप्पणी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं चाहता कि ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाए. उन्होंने यह तक कह डाला कि कहीं सुप्रीम कोर्ट भी इस धांधली में शामिल तो नहीं है.

कांग्रेस नेता उदित राज भी देश में चल रहे ईवीएम विवाद में कूद पड़े हैं. उदित ने ईवीएम सुरक्षा को लेकर चुनाव आयोग के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट पर भी सवालिया बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों का मिलान क्यों नहीं चाहता है क्या वो भी इस धांधली में शामिल है. साथ ही कहा कि चुनावी प्रक्रिया में जब लगभग तीन महीने से सारे सरकारी काम बंद पड़े हुए हैं, तो वोटों की गिनती में दो-तीन दिन लग ही जाए तो क्या फर्क पड़ता है. उदित राज की ये सवालिया टिप्पणी सियासी गलियारों में खासी चर्चा बनी हुई है.

इसके अलावा कांग्रेस नेता उदित राज ने अपने ट्विटर हैंडल से एक और ट्वीट जारी किया है जिसमें बीजेपी पर सीधा हमला बोला है. उन्होंने लिखा है कि बीजेपी को जहां-जहां ईवीएम बदलनी थी, बदल ली होगी. इसीलिए तो चुनाव सात चरणों मे कराया गया. साथ ही उन्होंने ट्वीट में लिखा कि आप की कोई नहीं सुनेगा. चिल्लाते रहिए, लिखने से कुछ नहीं होगा, रोड पर आना पड़ेगा. अगर देश को इन अंग्रेजो के गुलामों से बचाना है, तो आन्दोलन करना पड़ेगा साहब, चुनाव आयोग बिक चुका है.

बता दें कि बीजेपी द्वारा उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से दोबारा टिकट न देने पर खफा उदित राज ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. बीजेपी ने यहां से पंजाबी गायक हंसराज हंस को मौका दिया है. इसके बाद उदित लगातार बीजेपी पर जुबानी हमले करने से नहीं चूक रहे हैं. उदित 2014 में उत्तर-पश्चिम दिल्ली से जीतकर सांसद बने थे. नतीजों से पहले आए एग्जिट पोल को लेकर उदित राज ने ट्वीट किया था कि केरल में बीजेपी आज तक एक भी सीट नही जीत पाई, जानते हैं क्यों ? क्योंकि वहां के लोग शिक्षित हैं, अंधभक्त नहीं.

गौरतलब है कि उदित राज बीजेपी को अलविदा कहने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक पर विवादित बयान दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि बीजेपी को दलितों की आवाज उठाने वाला दलित नेता नहीं चाहिए. पार्टी को सिर्फ रामनाथ कोविंद जैसा गूंगा-बहरा दलित नेता चाहिए. जो दलितों की आवाज न तो सुन सके और न उठा सके.

अगले 24 घंटे अहम, डरे नहीं और सतर्क रहें कार्यकर्ता: राहुल गांधी

politalks.news

लोकसभा चुनाव नतीजे आना अभी बाकी है लेकिन इससे पहले देश की सियासत में खासा उबाल देखा जा रहा है. विपक्ष लगातार ईवीएम मामले में सवाल खड़े कर रहा है. साथ ही चुनाव आयोग पर भी पक्षपात के आरोप लगाए जा रहे हैं. इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का सोशल मीडिया पर आया एक ट्वीट नई बहस लेकर आया है. अपने ट्वीटर हैंडल पर राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि अगलेे 24 घंटे काफी अहम है. इस दौरान आप सतर्क और तैयार रहे, हम सत्य के लिए लड़ रहे हैं. राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद राजनीतिक सरगर्मियां जोर पकड़ती जा रही है. सियासी पंडित इसके कई मायने निकालने में लगे हैं.

चुनाव आयोग का विपक्ष को झटका, EVM-VVPAT मिलान याचिका रद्द

politalks.news

लोकसभा चुनाव की समाप्ति के बाद अब हर कोई नतीजों के इंतजार में है तो वहीं ईवीएम को लेकर राजनीतिक दलों में खासी गहमागहमी देखी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा विपक्ष की ईवीएम के 50 फीसदी वोटिंग आंकड़ों के साथ वीवीपैट की पर्चियों के मिलान की मांग को नकारने के बाद अब निर्वाचन आयोग ने विपक्ष को करारा झटका दिया है. आयोग ने वीवीपैट से ईवीएम के 50 फीसदी वोटिंग आंकड़ों के मिलान से इनकार कर दिया है. मंगलवार को 22 विपक्षी दलों ने आयोग से मुलाकात की थी. इस दौरान विपक्ष द्वारा ईवीएम की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं.

चुनाव आयोग ने बुधवार को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा की मौजुदगी में बैठक के दौरान विपक्ष की याचिका पर विचार किया. इस संबध में निर्णय लिया गया कि वीवीपैट-ईवीएम के वोटिंग आंकड़ों के मिलान की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. आयोग ने विपक्ष की इस मांग को ठुकरा दिया है जिसमें कहा गया था कि ईवीएम से वीवीपैट की 50 फीसदी पर्चियों के मिलान किया जाए.

बता दें कि अभी आयोग द्वारा प्रति विधानसभा क्षेत्र से 5 ईवीएम और वीवीपैट मशीनों के वोटिंग आंकड़ों का मिलान किया जाता है लेकिन विपक्ष मतदान के 50 फीसदी आंकड़ों का ईवीएम-वीपीपैट पर्चियों के मिलान की मांग कर रहा है. इससे पहले विपक्ष की इस मांग को सुप्रीम कोर्ट सिरे से खारिज कर चुका है और इस पर चुनाव आयोग द्वारा ही कोई फैसला लेने की बात कही.

चुनाव आयोग का एक किस्सा, ‘नेता दो ही चीज से डरते हैं- भगवान और शेषन’

दिल्ली के अशोक रोड से गुजरते हैं तो एक बड़ी सरकारी इमारत नजर आती है. नाम है निर्वाचन आयोग. यही से चलता है भारत का चुनाव आयोग. पिछले कुछ समय से चुनाव आयोग पर सरकार के इशारे पर काम करने के आरोप लग रहे हैं. पहले तो ये आरोप विपक्षी दल के नेता लगा रहे थे लेकिन हाल में चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने ही आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए.

इसके दूसरी ओर, ईवीएम की विश्वसनीयता पर भी काफी समय से विपक्षी नेता सवाल उठा रहे हैं. इस पर बयान देते हुए देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘मैं मतदाताओं के फैसले के साथ कथित छेड़छाड़ की खबरों को लेकर चिंतित हूं. ईवीएम की सुरक्षा चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है.’

खैर…. वैसे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों के बीच हमें टी.एन. शेषन के दौर को याद कर लेना चाहिए. शेषन के समय में चुनाव आयोग का वह रुप देखने को मिला जिसमें चुनाव के नियमों का कड़ाई से पालन हुआ. हम उस दौर के कुछ रोचक किस्से बताने जा रहे हैं.

साल था 1994 और बिहार चुनाव की अधिसूचना जारी की गई थी. बिहार चुनाव शेषन के लिए सबसे बडी परीक्षा वाले दिन होने वाले थे क्योंकि उन दिनों बिहार के चुनाव में बूथ कैप्चरिंग, हिंसा और हत्याएं आम बात थी. दोनालियों से गोली निकलते सैकंड नहीं लगता था. बिहार में साफ-सुथरे चुनाव कराना उस दौर में हर चुनाव आयुक्त के लिए सपना था. लेकिन शेषन यह सपना यूपी में पहले ही साकार करके दिखा चुके थे.

शेषन का अगला टार्गेट बिहार विधानसभा चुनाव थे. शेषन ने सबसे पहले पूरे बिहार को पैरामिलिट्री फोर्स से पाट दिया. जहां देखो वहां फोर्स ही दिखाई देती थी. बिहार के नेता इतनी भारी सुरक्षा व्यवस्थाओं से परेशान थे.

शेषन ने विधानसभा चुनाव 4 चरण में कराने का निर्णय लिया. अफसरों को सख्त निर्देश दिए गए थे कि आचार संहिता उल्लंघन की थोड़ी भी भनक लगते ही उस इलाके का चुनाव रद्द कर दिया जाए. शेषन के खौफ के कारण अफसरों ने आदेशों का कठोरता से पालन किया. बिहार विधानसभा चुनाव चार बार रद्द् किए गए. चुनाव की प्रकिया तीन महीने तक चली. नेता-वोटर सब थक गए, बस एक केवल शख्स था जो नहीं थका, वह थे – टीएन शेषन.

8 दिसंबर, 1994 को शुरु हुई चुनावी प्रकिया आखिरकार 28 मार्च, 1995 को समाप्त हुई. चुनाव के दौरान बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव भी टीएन शेषन के प्रति चुनाव प्रचार में हमलवार रहे. वो हर सभा में विपक्षी नेताओं को कम, शेषन पर ज्यादा निशाना साधते थे. एक बार तो एक चुनावी सभा में लालू यादव ने कह दिया था, ‘इ शेषनवा को भैंसिया पर चढ़ा करके गंगाजी में हेला देंगे.’ हालांकि लालू उपरी मन से ही शेषन को कोसते थे, क्योंकि उन्हें यह अहसास था कि लंबी चुनावी प्रकिया का फायदा उनकी पार्टी ‘राजद’ को ही होगा.

हुआ भी कुछ ऐसा ही. लालू यादव की पार्टी को भारी बहुमत से जीत हासिल हुई. कारण रहा कि इतने बड़े चुनाव में लालू के विरोधी तो पहले ही थक-हार कर बैठ गए. इस दौरान लालू बिहार के सुदूर इलाकों में प्रचार करते रहे. शेषन का खौफ ऐसा था कि नेता चुनाव के दौरान अफसरों से मिलने से डरते थे. शेषन के खौफ को लेकर एक कहावत मशहूर थी ‘भारत के नेता दो ही चीज से डरते हैं- पहला भगवान और दूसरा शेषन.

पंजाब के अमृतसर में एक बूथ पर फिर से वोटिंग, मतदान की गोपनीयता हुई थी भंग

politalks.news

लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब हर कोई कल 23 मई को आने वाले नतीजों को लेकर टकटकी लगाए बैठा है. चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग का आदर्श आचार संहिता की कड़ाई से पालना के साथ-साथ शांतिपूर्व, निष्पक्ष व पारदर्शी मतदान पर सख्त रवैया देखने को मिला. इसी बीच पंजाब के अमृतसर लोकसभा क्षेत्र में बूथ संख्या 123 पर फिर से मतदान हो रहा है. वोटर्स को एक सर्टिफिकेट भी दिया जा रहा है. यहां चुनावी प्रक्रिया का सही ढंग से पालन नहीं किए जाने व मतदान की गोपनियता भंग होने की स्थिति में मतदान रद्द कर दिया गया था.

अमृतसर संसदीय क्षेत्र की राजासांसी विधानसभा के पोलिंग बूथ संख्यां 123 पर मतदान के दौरान चुनाव प्रक्रिया की सही पालना नहीं होने की जानकारी मिली थी. बूथ पर लगे वेब कास्टिंग कैमरों से निर्वाचन अधिकारियों को पता चला कि यहां साफ तौर से वोट प्राइवेसी का उल्लंघन हुआ है. जहां मतदान कंपार्टमेंट में एक से अधिक लोगों को खड़ा पाया गया. हांलाकि किसी राजनीतिक दल की ओर से इस संबध में कोई शिकायत नहीं मिली लेकिन निर्वाचन विभाग इस पर स्वयं संज्ञान लेते हुए यहां पुर्नमतदान का आदेश दिया था.

आदेश के बाद आज राजासांसी विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर 123 पर दोबारा मतदान हो रहा है. इसके साथ ही निर्वाचन विभाग द्वारा मतदाताओं को प्रमाण पत्र भी जारी किया जा रहा है. बता दें कि सोमवार को हिमाचल प्रदेश में भी वोटिंग के दौरान लापरवाही को लेकर निर्वाचन आयोग ने पांच पीठासीन अधिकारियों सहित 20 मतदान कर्मियों के निलंबन के आदेश जारी किए हैं.

फिर बोतल से बाहर निकला ‘EVM’ का जिन्न, कहा ‘क्या हुकुम है मेरे आका’

PoliTalks news

लोकसभा चुनाव जैसे ही खत्म हुआ, मानो ऐसा लगा जैसे ‘ईवीएम’ नाम जिन्न गुफा से बाहर निकल आया हो और बीजेपी के पक्ष में कह रहा हो ‘क्या हुकुम है मेरे आका’. उस जिन्न से नरेंद्र मोदी ने कहा ‘हे ईवीएम जिन्न, मेरी सरकार बना दो’. इस पर जिन्न ने कहा, ‘जो हुकुम मेरे आका’. इसके बाद जो हुआ, वह सब के सामने है, करीब-करीब सभी एग्ज़िट पोल ने एनडीए की सरकार बना दी.

अब इस ईवीएम रूपी जिन्न से डरकर सभी विपक्षी दलों ने पहले सुप्रीम कोर्ट और वहां से दुतकारे जाने के बाद लामबंध होकर चुनाव आयोग के दरवाजे पर अपनी हाजिरी देने पहुंच गए. इस दल में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू, दिल्ली मुख्यमंत्री अर​विंद केजरीवाल, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और टीएमसी के डिरेक ओ ब्रायन सहित कई दिग्गज नेता और कई राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे.

‘ईवीएम रूपी जिन्न’ के बारे में बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा है कि एग्जिट पोल से विपक्ष इतना हताश और निराश क्यों? विपक्ष को ईवीएम से नहीं बल्कि जनता के मिजाज से डर लग रहा है. मुद्दा विहीन विपक्ष ने मोदी को गाली देकर वोट मांगा और हमने मोदी के काम को आगे रख कर. आम जनता में मोदी के विश्वसनीयता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मोदी के एक अपील पर हिंदुस्तान के करोड़ों जनता ने सब्सिडी लेना छोड़ दिया. वहीं मीडिया को दिए गए स्टेटमेंट में उन्होंने कहा कि ‘जब राजस्थान-एमपी में जीते तो EVM बड़ा अच्छा, मीठा-मीठा गप-गप, तीखा-तीखा थूं-थूं’.

अब ऐसा नहीं है कि यह जिन्न इतना शक्तिशाली है कि विपक्ष की लंबी फौज का सामना कर सके. इसके बचाव के लिए चुनाव आयोग ने भी पूरी मुस्तैदी से अपनी फिल्डिंग जमा रखी है. पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से वीवीपैट की पर्चियों के मिलान पर होने वाली सुनवाई से मना कर दिया. बाद में चुनाव आयोग ने भी इसपर विचार करने के लिए समय मांगा है.

एग्ज़िट पोल आने के बाद वैसे ही विपक्ष डरा हुआ है. वहीं जब चुनाव के परिणाम आ जाएंगे, उसके बाद ईवीएम पर सुनवाई हो या न हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. वहीं कांग्रेस और बीजेपी ने इस बोटल वाले जिन्न की सुरक्षा के लिए रात्री जागरण करना शुरू कर दिया है. भोपाल में कार्यकर्ता अंताक्षरी खेल ईवीएम मशीनों पर नजर रख रहे हैं. तरीका थोड़ा अजीब है लेकिन मतलब साफ है कि किसी भी हालत में इसे कुछ हो न जाए. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी कार्यकर्ताओं को एग्ज़िट पोल पर नजर रखने को कहा है.

वहीं आजमगढ़ में ईवीएम के खिलाफ मुहिम चलाने वाले सोशल मीडिया ग्रुप के एडमिन को गिरफ्तार कर लिया गया है. मतलब साफ है, पूरी तरह इस ईवीएम के जिन्न को बचाने की कोशिश की जा रही है. जब यह तय हो गया है कि यह जिन्न पूरी तरह से सुरक्षित है, ऐसे में यह तो पक्का है कि ईवीएम का जिन्न अपने आका नरेंद्र मोदी की जीत का ख्वाईश को हर तरीके से पूरा करेगा.

राजस्थानः कांग्रेस को अब भी है सात से आठ सीटों पर जीत की उम्मीद

तमाम एग्ज़िट पोल भले ही राजस्थान में कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा छह सीटें मिलने का दावा कर रहे हों लेकिन कांग्रेस के टॉप नेताओं को अभी भी सात से आठ सीटें जीतने का भरोसा है. कांग्रेस करौली, टोंक, दौसा, नागौर, बाड़मेर, जोधपुर, अलवर और सीकर सीट पर जीत मानकर चल रही है.

खास बात यह भी है कि बाड़मेर, सीकर, टोंक और अलवर सीट पर कांग्रेस सिर्फ 25 हजार से लेकर 35 हजार के करीबी अंतर से ही जीत का दावा कर रही है. वहीं जोधपुर, करौली और दौसा में अच्छी जीत का भरोसा है. हालांकि 23 मई को साफ हो जाएगा कि एग्ज़िट पोल के दावे सही साबित होते हैं या कांग्रेस के खुद के दावे.
इन सीटों पर जीत तय मानकर चल रही है कांग्रेस
सीकर
कांग्रेस यहां से अपनी जीत को लेकर पूरी आश्वस्त नजर आ रही है. हालांकि मतदान से पहले कांग्रेस यहां से भारी जीत का दावा कर रही थी लेकिन अब कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष महरिया खुद 25 हजार से 35 हजार के अंतर से जीत का दावा कर रहे हैं. कांग्रेस शुरुआत में यहां से एक लाख के अंतर से जीत का सपना देख रही थी. लेकिन संघ ने बीजेपी प्रत्याशी सुमेधानंद सरस्वती के लिए जमकर मेहनत की.
उसके बाद नरेंद्र मोदी की सभा ने सुमेधानंद को टक्कर में ला दिया. महरिया के लिए यह चुनाव ‘करो या मरो’ जैसा हो गया है. इस हार के बाद महरिया के सियासी करियर पर ब्रेक भी लग सकता है इसलिए महरिया ने सारी ताकत जीतने में लगा दी. सीकर में एक भी विधायक बीजेपी का नहीं होने से कांग्रेस को खूब फायदा मिला है. हालांकि जानकार और सट्टा मार्केेट इसे बीजेपी की सीट मानकर चल रहे हैं.

नागौर
बीजेपी ने गठबंधन करते हुए आरएलपी के हनुमान बेनीवाल को इस सीट पर टिकट थमाया. इस गठबंधन के चलते कांग्रेस मुकाबले में आ गई. कांग्रेस के पक्ष में बताया जा रहा है कि मुस्लिम और दलित समाज के अच्छे वोट आए हैं. वहीं राजपूत समाज ने भी ज्योति मिर्धा का साथ दिया. हनुमान का माइनस पॉइंट बताया जा रहा है कि बीजेपी का परम्परागत वोट उन्हें नहीं मिला.

वहीं खींवसर से बेनीवाल की लीड भी ज्यादा मिलती नहीं दिख रही. युनूस खान और सीआर चौधरी भी बेनीवाल के साथ मन से नहीं लगे. हालांकि सट्टा मार्केट और एग्ज़िट पोल इस सीट पर बेनीवाल की जीत का दावा कर रहे हैं.

टोंक
चुनाव से पहले कांग्रेस इस सीट पर बेहद मजबूत स्थिति में थी. खुद बीजेपी भी टोंक को कांग्रेस के खाते में मानकर चल रही थी लेकिन मतदान के बाद नमोनारायण मीणा के मुश्किल से सीट निकालने के समीकरण सामने आ रहे है. गुर्जर समाज की एकतरफा वोटिंग के बाद सामान्य वर्ग के मतदाताओं ने बीजेपी के पक्ष में जमकर मतदान किया है. इसके बावजूद मीणा करीब 25 हजार से अधिक वोटों से जीत मानकर चल रहे हैं. जानकार और एग्जिट पोल भी इस सीट पर कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे हैं.
बाड़मेर
इस सीट पर कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान बेहद मजबूत नजर आ रही थी. लेकिन मोदी की सभा और सनी देओल के रोड शो के बाद मानवेंद्र मुकाबले में फंस गए. हालांकि राजपूत, दलित और मुस्लिम वोटों की बदौलत मानवेंद्र मुकाबले मेें बढ़त बनाते दिखाई दिए. यहां कांग्रेस 25 हजार के करीब से जीत मानकर चल रही है. एग्ज़िट पोल में भी बाड़मेर में कांग्रेस की जीत बताई गई है.

जोधपुर
सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव के कांग्रेस से चुनाव लड़ने पर यहां मुुकाबला बेहद रोचक हो गया. हालांकि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने मजबूती से उनके सामने अंत तक चुनाव लड़ा. अशोक गहलोत और कांग्रेस इस सीट पर जीत मानकर चल रहे हैं. यहां एग्ज़िट पोल किसी की हार-जीत का दावा नहीं कर रहे बल्कि कड़ी टक्कर बता रहे हैं. हालांंकि सट्टा मार्केट गजेंद्र सिंह की जीत का दावा ठोक चुका है.

करौली-धौलपुर
कांग्रेस इस सीट पर सबसे बड़ी जीत दर्ज मानकर चल रही है. बीजेपी नेता भी दबी जुबान में यहां हार स्वीकार कर रहे हैं. एग्ज़िट पोल में भी करौली सीट कांग्रेस के पाले में गिरती दिख रही है.

दौसा
दौसा सीट भी कांग्रेस अपने खाते में मानकर चल रही है. यहां मुकाबला दो महिलाओं के बीच में था. निर्णायक मीणा वोटर्स ने कांग्रेस की सविता मीणा के पक्ष में ज्यादा वोट डाले हैं. वहीं बीजेपी प्रत्याशी जसकौर मीणा को कद्दावर नेता किरोड़ी मीणा का भरपूर समर्थन नहीं मिला. कांग्रेस एससी और गुर्जर वोटर्स मिलने के चलते अभी भी अपनी जीत सुनिश्चित मानकर चल रही है.

अलवर
इस सीट पर अब भी कांग्रेस को जीत की आस है. कांग्रेस अलवर शहर के वोटर्स अपने पाले में मानते हुए जीत का दावा कर रही है. हालांकि सच यह है कि यहां टक्कर कड़ी है लेकिन बीजेपी का पलड़ा भारी दिख रहा है.

इस तरह से एग्ज़िट पोल के बाद भी कांग्रेस को प्रदेश में सात से आठ सीटें मिलने की पूरी उम्मीद है. हालांकि पहले कांग्रेस के नेता यहां से करीबन 12 सीटों पर जीत मानकर चल रहे थे लेकिन एग्ज़िट पोल के बाद उनका यह दावा अधिकतम आठ सीटों तक सिमट गया.

वैसे राजनीति के जानकार अभी भी कांग्रेस की केवल पांच से छह सीटें आने का दावा कर रहे हैं. इसके पीछे दलील केवल इतनी सी है कि लोकसभा चुनाव में महज़ 25 हजार की जीत का दावा कैसे टिक पाएगा.

कमलनाथ ने बीजेपी पर लगाया विधायकों को खरीदने का आरोप

PoliTalks news

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराना चाहती है. वो इसके लिए हमारे विधायकों को पद और पैसे का लालच दे रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के 10 विधायकों को इस संबंध में फोन किए गए हैं. आगे कमलनाथ ने कहा कि मुझे अपने पार्टी के विधायकों पर पूरा भरोसा है. वें बीजेपी के बहकावे में नहीं आएंगे. याद दिला दें, कुछ समय पूर्व प्रदेश सरकार के मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर ने भी बीजेपी नेताओं पर 50 करोड़ रुपये देकर कांग्रेस विधायकों को खरीदने की पेशकश का आरोप लगाया था.

एग्ज़िट पोल के नतीजों के बारे में एमपी मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सब एक्ज़िट पोल्स बीजेपी नेताओं के मनोरंजन के लिए सही हैं. वें इन्हें देखकर खुशी मना रहे है लेकिन जब उनके सामने असली नतीजे होंगे तो उनके पैरो तले जमीन खिसक जाएगी.

वहीं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की तरफ से की गई फ्लोर टेस्ट (विधानसभा में बहुमत साबित करने की मांग) पर कमलनाथ ने कहा कि वो मिडिया में बने रहने के लिए ऐसा बयान दे रहे है. हम पिछले चार महीनों में चार बार फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित कर चुके हैं. अगर बीजेपी अब भी चाहे तो कांग्रेस कभी भी बहुमत साबित कर सकती है.

Evden eve nakliyat şehirler arası nakliyat