तमाम एग्ज़िट पोल भले ही राजस्थान में कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा छह सीटें मिलने का दावा कर रहे हों लेकिन कांग्रेस के टॉप नेताओं को अभी भी सात से आठ सीटें जीतने का भरोसा है. कांग्रेस करौली, टोंक, दौसा, नागौर, बाड़मेर, जोधपुर, अलवर और सीकर सीट पर जीत मानकर चल रही है.

खास बात यह भी है कि बाड़मेर, सीकर, टोंक और अलवर सीट पर कांग्रेस सिर्फ 25 हजार से लेकर 35 हजार के करीबी अंतर से ही जीत का दावा कर रही है. वहीं जोधपुर, करौली और दौसा में अच्छी जीत का भरोसा है. हालांकि 23 मई को साफ हो जाएगा कि एग्ज़िट पोल के दावे सही साबित होते हैं या कांग्रेस के खुद के दावे.
इन सीटों पर जीत तय मानकर चल रही है कांग्रेस
सीकर
कांग्रेस यहां से अपनी जीत को लेकर पूरी आश्वस्त नजर आ रही है. हालांकि मतदान से पहले कांग्रेस यहां से भारी जीत का दावा कर रही थी लेकिन अब कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष महरिया खुद 25 हजार से 35 हजार के अंतर से जीत का दावा कर रहे हैं. कांग्रेस शुरुआत में यहां से एक लाख के अंतर से जीत का सपना देख रही थी. लेकिन संघ ने बीजेपी प्रत्याशी सुमेधानंद सरस्वती के लिए जमकर मेहनत की.
उसके बाद नरेंद्र मोदी की सभा ने सुमेधानंद को टक्कर में ला दिया. महरिया के लिए यह चुनाव ‘करो या मरो’ जैसा हो गया है. इस हार के बाद महरिया के सियासी करियर पर ब्रेक भी लग सकता है इसलिए महरिया ने सारी ताकत जीतने में लगा दी. सीकर में एक भी विधायक बीजेपी का नहीं होने से कांग्रेस को खूब फायदा मिला है. हालांकि जानकार और सट्टा मार्केेट इसे बीजेपी की सीट मानकर चल रहे हैं.

नागौर
बीजेपी ने गठबंधन करते हुए आरएलपी के हनुमान बेनीवाल को इस सीट पर टिकट थमाया. इस गठबंधन के चलते कांग्रेस मुकाबले में आ गई. कांग्रेस के पक्ष में बताया जा रहा है कि मुस्लिम और दलित समाज के अच्छे वोट आए हैं. वहीं राजपूत समाज ने भी ज्योति मिर्धा का साथ दिया. हनुमान का माइनस पॉइंट बताया जा रहा है कि बीजेपी का परम्परागत वोट उन्हें नहीं मिला.

वहीं खींवसर से बेनीवाल की लीड भी ज्यादा मिलती नहीं दिख रही. युनूस खान और सीआर चौधरी भी बेनीवाल के साथ मन से नहीं लगे. हालांकि सट्टा मार्केट और एग्ज़िट पोल इस सीट पर बेनीवाल की जीत का दावा कर रहे हैं.

टोंक
चुनाव से पहले कांग्रेस इस सीट पर बेहद मजबूत स्थिति में थी. खुद बीजेपी भी टोंक को कांग्रेस के खाते में मानकर चल रही थी लेकिन मतदान के बाद नमोनारायण मीणा के मुश्किल से सीट निकालने के समीकरण सामने आ रहे है. गुर्जर समाज की एकतरफा वोटिंग के बाद सामान्य वर्ग के मतदाताओं ने बीजेपी के पक्ष में जमकर मतदान किया है. इसके बावजूद मीणा करीब 25 हजार से अधिक वोटों से जीत मानकर चल रहे हैं. जानकार और एग्जिट पोल भी इस सीट पर कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे हैं.
बाड़मेर
इस सीट पर कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान बेहद मजबूत नजर आ रही थी. लेकिन मोदी की सभा और सनी देओल के रोड शो के बाद मानवेंद्र मुकाबले में फंस गए. हालांकि राजपूत, दलित और मुस्लिम वोटों की बदौलत मानवेंद्र मुकाबले मेें बढ़त बनाते दिखाई दिए. यहां कांग्रेस 25 हजार के करीब से जीत मानकर चल रही है. एग्ज़िट पोल में भी बाड़मेर में कांग्रेस की जीत बताई गई है.

जोधपुर
सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव के कांग्रेस से चुनाव लड़ने पर यहां मुुकाबला बेहद रोचक हो गया. हालांकि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने मजबूती से उनके सामने अंत तक चुनाव लड़ा. अशोक गहलोत और कांग्रेस इस सीट पर जीत मानकर चल रहे हैं. यहां एग्ज़िट पोल किसी की हार-जीत का दावा नहीं कर रहे बल्कि कड़ी टक्कर बता रहे हैं. हालांंकि सट्टा मार्केट गजेंद्र सिंह की जीत का दावा ठोक चुका है.

करौली-धौलपुर
कांग्रेस इस सीट पर सबसे बड़ी जीत दर्ज मानकर चल रही है. बीजेपी नेता भी दबी जुबान में यहां हार स्वीकार कर रहे हैं. एग्ज़िट पोल में भी करौली सीट कांग्रेस के पाले में गिरती दिख रही है.

दौसा
दौसा सीट भी कांग्रेस अपने खाते में मानकर चल रही है. यहां मुकाबला दो महिलाओं के बीच में था. निर्णायक मीणा वोटर्स ने कांग्रेस की सविता मीणा के पक्ष में ज्यादा वोट डाले हैं. वहीं बीजेपी प्रत्याशी जसकौर मीणा को कद्दावर नेता किरोड़ी मीणा का भरपूर समर्थन नहीं मिला. कांग्रेस एससी और गुर्जर वोटर्स मिलने के चलते अभी भी अपनी जीत सुनिश्चित मानकर चल रही है.

अलवर
इस सीट पर अब भी कांग्रेस को जीत की आस है. कांग्रेस अलवर शहर के वोटर्स अपने पाले में मानते हुए जीत का दावा कर रही है. हालांकि सच यह है कि यहां टक्कर कड़ी है लेकिन बीजेपी का पलड़ा भारी दिख रहा है.

इस तरह से एग्ज़िट पोल के बाद भी कांग्रेस को प्रदेश में सात से आठ सीटें मिलने की पूरी उम्मीद है. हालांकि पहले कांग्रेस के नेता यहां से करीबन 12 सीटों पर जीत मानकर चल रहे थे लेकिन एग्ज़िट पोल के बाद उनका यह दावा अधिकतम आठ सीटों तक सिमट गया.

वैसे राजनीति के जानकार अभी भी कांग्रेस की केवल पांच से छह सीटें आने का दावा कर रहे हैं. इसके पीछे दलील केवल इतनी सी है कि लोकसभा चुनाव में महज़ 25 हजार की जीत का दावा कैसे टिक पाएगा.

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