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लोकसभा चुनाव के दौरान तो आपने विवादित बयानों के चलते कई लोगों को अक्सर सुर्खियों में देखा होगा. तब बयानों में किसी नेता को लेकर टिप्पणी की जाती रही थी. अब चुनाव निपटने के बाद ईवीएम बवाल के बीच बयानबाजी सुप्रीम कोर्ट पर जा पहुंची है. बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले दलित नेता उदित राज ने ईवीएम मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं. उदित ने अपने सवालिया टिप्पणी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं चाहता कि ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाए. उन्होंने यह तक कह डाला कि कहीं सुप्रीम कोर्ट भी इस धांधली में शामिल तो नहीं है.

कांग्रेस नेता उदित राज भी देश में चल रहे ईवीएम विवाद में कूद पड़े हैं. उदित ने ईवीएम सुरक्षा को लेकर चुनाव आयोग के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट पर भी सवालिया बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों का मिलान क्यों नहीं चाहता है क्या वो भी इस धांधली में शामिल है. साथ ही कहा कि चुनावी प्रक्रिया में जब लगभग तीन महीने से सारे सरकारी काम बंद पड़े हुए हैं, तो वोटों की गिनती में दो-तीन दिन लग ही जाए तो क्या फर्क पड़ता है. उदित राज की ये सवालिया टिप्पणी सियासी गलियारों में खासी चर्चा बनी हुई है.

इसके अलावा कांग्रेस नेता उदित राज ने अपने ट्विटर हैंडल से एक और ट्वीट जारी किया है जिसमें बीजेपी पर सीधा हमला बोला है. उन्होंने लिखा है कि बीजेपी को जहां-जहां ईवीएम बदलनी थी, बदल ली होगी. इसीलिए तो चुनाव सात चरणों मे कराया गया. साथ ही उन्होंने ट्वीट में लिखा कि आप की कोई नहीं सुनेगा. चिल्लाते रहिए, लिखने से कुछ नहीं होगा, रोड पर आना पड़ेगा. अगर देश को इन अंग्रेजो के गुलामों से बचाना है, तो आन्दोलन करना पड़ेगा साहब, चुनाव आयोग बिक चुका है.

बता दें कि बीजेपी द्वारा उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से दोबारा टिकट न देने पर खफा उदित राज ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. बीजेपी ने यहां से पंजाबी गायक हंसराज हंस को मौका दिया है. इसके बाद उदित लगातार बीजेपी पर जुबानी हमले करने से नहीं चूक रहे हैं. उदित 2014 में उत्तर-पश्चिम दिल्ली से जीतकर सांसद बने थे. नतीजों से पहले आए एग्जिट पोल को लेकर उदित राज ने ट्वीट किया था कि केरल में बीजेपी आज तक एक भी सीट नही जीत पाई, जानते हैं क्यों ? क्योंकि वहां के लोग शिक्षित हैं, अंधभक्त नहीं.

गौरतलब है कि उदित राज बीजेपी को अलविदा कहने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक पर विवादित बयान दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि बीजेपी को दलितों की आवाज उठाने वाला दलित नेता नहीं चाहिए. पार्टी को सिर्फ रामनाथ कोविंद जैसा गूंगा-बहरा दलित नेता चाहिए. जो दलितों की आवाज न तो सुन सके और न उठा सके.

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