सुप्रिया सुले ने कांग्रेस के ज़ख्म कुरेदा, लगाया सलाह का मलहम; गठबंधन पर असर पड़ना स्वाभाविक!

कांग्रेस की रणनीति पर उठे सवाल, बिहार के नतीजों ने खोली गठबंधन की दरारें जबकि सुले की टिप्पणी से बढ़ी गठबंधन राजनीति की गर्मी

supriya sule vs rahul gandhi after bihar elections 2025
supriya sule vs rahul gandhi after bihar elections 2025

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद इंडिया गठबंधन के भीतर सबकुछ सामान्य नहीं दिख रहा. बिहार में हुई करारी हार का ठीकरा लगातार कांग्रेस पर फोड़ा जा रहा है. गठबंधन के कई सहयोगी दल अब कांग्रेस और राहुल गांधी की रणनीतियों पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं. इसी कड़ी में एनसीपी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने भी कांग्रेस और राहुल गांधी के जख्म कुरेदते हुए सलाहनुमा बयान देकर राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है. उनके ताज़ा बयान से यह साफ़ है कि इसका असर इंडिया ब्लॉक के साथ ही महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी गठबंधन पर भी दिख सकता है.

दरअसल, चुनावी नतीजों के बाद कई सहयोगी पार्टियों ने कहा है कि गठबंधन को अपनी रणनीति, नेतृत्व और आपसी तालमेल पर पुनर्विचार की जरूरत है. इसी बीच सुप्रिया सुले ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व की जमकर तारीफ की और कांग्रेस की नीतियों व राहुल गांधी की प्राथमिकताओं पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया.

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सुले ने कहा,

बिहार में एनडीए की जीत नीतीश कुमार के नाम पर मिली, लेकिन कांग्रेस अभी भी SIR–SIR कर रही है.”

उन्होंने आगे कहा कि बिहार के परिणाम इस बात का संकेत हैं कि इंडिया गठबंधन को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है, लेकिन कांग्रेस अगले हफ्ते जिस बैठक की तैयारी कर रही है, उसमें भी चर्चा का केंद्र ‘SIR’ ही रहने वाला है, जबकि ज़रूरत अंदर झांकने और रणनीति सुधारने की है.

सियासी दृष्टि से देखें तो सुप्रिया सुले का यह बयान राहुल गांधी पर अप्रत्यक्ष हमला माना जा रहा है. खासकर इसलिए भी क्योंकि जब नीतीश कुमार इंडिया अलायंस का हिस्सा थे, तब उन्हें गठबंधन का को-ऑर्डिनेटर बनाने का प्रस्ताव सामने आया था, मगर कांग्रेस की आपत्तियों के चलते यह संभव नहीं हो पाया. इसके बाद नीतीश ने गठबंधन छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया. इसके साथ ही बिहार में गठबंधन सरकार भी गिर गई, जिसका ठीकरा भी कांग्रेस पर ही फोड़ा गया.

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गौरतलब है कि बिहार में हार की सबसे प्रमुख वजह कांग्रेस का कमजोर प्रचार और राहुल गांधी का ‘SIR’ मुद्दे पर अनावश्यक जोर माना जा रहा है. इसे कुछ लोग राहुल गांधी की वही रणनीतिक भूल बता रहे हैं, जैसी उन्होंने जीएसटी लागू होने के दौरान की थी-जो जनता से सीधे तौर पर जुड़े मुद्दों से दूरी बनाकर सुर्खियों में रहने वाली रणनीति मानी गई.

अब बड़ा सवाल यह है कि-

बिहार की हार के बाद उठ रहे इन सवालों का असर महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की एकजुटता पर कितना पड़ेगा?

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