कांग्रेस पार्टी के लिए कर्नाटक में नेतृत्व का मसला अब किसी से छिपा नहीं है. राज्य के सीएम सिद्दारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार के बीच खींचतान का यह मामला अब केंद्रीय संगठन नेतृत्व तक भी जा पहुंचा है. दोनों नेता दबे स्वरों में बयानबाजी को हवा भी दे रहे हैं, साथ ही साथ पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को साधने में लगे हैं. एक तरफ शिवकुमार सीक्रेट डील का हवाला देकर पहले सीएम की कुर्सी चाहते हैं. वहीं सिद्दारमैया अपने साथ विधायकों के होने की दुहाई दे रहे हैं. इधर, डीके समर्थक कुछ विधायकों ने दिल्ली में डेरा डाल कोरोना समय में राजस्थान में हुई ऐतिहासिक राजनीतिक घटना का रिपीट टेलिकास्ट करने की तैयारी सी कर ली है.
2019 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद जैसे ही सत्ता की कुर्सी अशोक गहलोत के पास आयी, नाराज सचिन पायलट अपने करीब 18-19 विधायकों को लेकर दिल्ली जा पहुंचे और पर्दे के पीछे से सत्ता बदलने की मांग की. पायलट और गहलोत में कुर्सी को लेकर खींचतान पहले से चल रही थी लेकिन गहलोत को वरिष्ठता का लाभ देते हुए मुख्यमंत्री पद दे दिया गया. उस वक्त पायलट राज्य के डिप्टी सीएम होने के साथ प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष भी थे. बाद में उन्हें सभी पदों से निष्काषित किया गया था. यह भी एक संयोग ही है कि डीके भी इस वक्त कर्नाटक के डिप्टी सीएम और राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं.
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राज्य के सीएम और डिप्टी सीएम के बीच की खाई पाटने के लिए मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्किार्जुन खड़गे ने डीके और सिद्दारमैया के आवास पहुंचाकर उनसे मुलाकात की और अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी को पेश की. रिपोर्ट के आधार पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस मसले पर अंतिम फैसला लेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि संसद के मानसून सत्र से पहले ये दोनों नेता एक साथ दिल्ली दरबार में तलब किए जा सकते हैं. इन दोनों नेताओं से सोनिया और राहुल गांधी एक साथ बात करेंगे. मीटिंग की यह तारीख 28 या 29 नवंबर हो सकती है.
अब इस मसले पर खुद डीके शिवकुमार भी खुलकर मैदान में आ गए हैं और सार्वजनिक तौर पर बयान दे रहे हैं. डीके का कहना है ‘जो सीक्रेट डील हुई थी उसमें पार्टी के टॉप पांच-छह नेता शामिल थे और अब उन्हीं पांच-छह नेताओं को फैसला लेना है.’ इसी बयान का हवाला देते हुए डीके शिवकुमार कैंप के कुछ विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. वे पार्टी नेतृत्व पर डीके शिवकुमार को सीएम बनाने का दबाव बना रहे हैं और वे खुलेआम कह रहे हैं कि 200 फीसदी डीके ही राज्य के मुख्यमंत्री गसीएम बनेंगे. हालांकि इनका ये भी कहना है कि हाईकमान ही फैसला करेगा और हम उसका सम्मान करेंगे. उधर, विधायक दल की इन गतिविधियों पर प्रतिक्रिया देते हुए डिप्टी सीएम शिवकुमार ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
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खैर, फैसला जो भी हो लेकिन कर्नाटक की मौजूदा परिस्थितियां पार्टी को नुकसान पहुंचा रही है और इस पर तुरंत निर्णय भी होना चाहिए. कुल मिलाकर, कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर उथल-पुथल बढ़ती दिख रही है और सबकी निगाहें हाईकमान के अंतिम फैसले पर टिक गई हैं. हालांकि कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के बीच पूर्व में घटित ‘राजस्थान में राजनीतिक उथल पुथल’ के संकेत भी स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगे हैं.



























