बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद, कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के महागठबंधन को जनता ने फर्श पर ला दिया. अब सभी पार्टियों में समीक्षा और आत्म मंथन का दौर चल रहा है. वहीं परिणामों के बाद महागठबंधन में दरार तो पहले से पड़ी गयी थी. अब टूट की संभावनाएं भी घर करने लगी है. अगर दोनों पार्टियों के आलाकमान की दखलअंजादी न हुई तो राजद और कांग्रेस को तो गठबंधन टूटना निश्चित है. राजद के प्रदेशाध्यक्ष मंगनी लाल मंडल के बयानों से तो ऐसा ही कुछ लग रहा है. मंगना ने स्पष्ट किया कि अगर कोई अलग होना चाहता है तो कोई रोक नहीं रहा. इसके पलटवार में कांग्रेस ने जो बयान दिया, उससे तो लग रहा है कि महागठबंधन के भविष्य पर सस्पेंस बरकरार है.
क्या है पूरा मामला, जिससे उठ रहा विवाद
दरअसल, दिल्ली में कांग्रेस की हार समीक्षा बैठक में हार का ठीकरा राजद के सिर फोड़ने के आरोपों ने विवाद को भड़का दिया. इससे नाराज होकर राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को जितनी भी सीटों पर विधानसभा चुनाव में जीत और वोट मिले हैं, वह राजद के कारण. कांग्रेस पार्टी अलग राजनीति करना चाहती है तो कर ले, उनको अपनी ताकत का पता चल जाएगा.’
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मंडल ने आगे कहा कि बिहार में राजद का मजबूत जनाधार है जो सहयोगी दलों को फायदा पहुंचाता है. 2020 में कांग्रेस ने 72 सीटें मांगी थीं, लेकिन 19 पर जीत हु,ई वह भी राजद की बदौलत.
कांग्रेस ने किया आड़े हाथ
मंगनी लाल मंडल के बयान पर कांग्रेस ने तुरंत पलटवार किया. कांग्रेस की ओर से प्रदेश प्रवक्ता असितनाथ तिवारी ने कहा, ‘अगर कांग्रेस की कोई ताकत नहीं है तो राजद गठबंधन में साथ क्यों है? हार की जिम्मेदारी सबकी है, न कि सिर्फ एक दल की.’ कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता ज्ञान रंजन ने मंडल को निशाने पर लेते हुए कहा कि मंडल जी को कुछ कहना है तो महागठबंधन की ऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव से कहें. मीडिया में बयान देने का क्या मतलब है?.
बेगानी में अब्दुल्ला दीवाना बन रही बीजेपी
इस बीच, सत्ताधारी एनडीए सरकार में शामिल बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने तंज कसते हुए कहा, ‘दोनों दल चुनाव से पहले भी आपस में लड़ रहे थे, चुनाव बाद भी लड़ रहे हैं.’
बिहार की राजनीति का अब क्या
बिहार में महागठबंधन की करारी हार और आरोप प्रत्यारोप के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह गठबंधन टूट की कगार पर पहुंच गया है? कांग्रेस का प्रदर्शन बिहार चुनावों में गिरता जा रहा है, इसमें कोई शक नहीं है. इस बार भी कांग्रेस केवल 6 सीटें जीत पायी है. ऐसे में एक दूसरे पर आरोप मढ़ना एक दूसरे पर भविष्य में गतिरोध पैदा करने का संकेत दे रहा है. बीजेपी इसे विपक्ष की कमजोरी के रूप में पेश कर रही है. यह तकरार एनडीए के लिए भी फायदेमंद साबित होगी. बर्शतेहाल बिहार की सियासत में अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह छोटी-मोटी नोंकझोंक है या गठबंधन टूटने का संकेत?



























