झारखंड में सियासी पारा हाई: सोरेन-एनडीए गठबंधन की अटकलों का बाजार हो रहा गर्म

बिहार चुनाव की नाराजगी कहीं भारी न पड़ जाए कांग्रेस और राजद को, सीएम सोरेन का दिल्ली में होना दे रहा दाल में कुछ काला होने का संकेत, फिलहाल कुछ भी कह पाना थोड़ा मुश्किल

jharkhand politics
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Jharkhand Politics: बिहार विधानसभा चुनाव की तस्वीर साफ होते ही अब सभी की नजर झारखंड पर आ टिकी है. वैसे तो झारखंड में पिछले साल ही चुनाव संपन्न हुए हैं और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यहां इंडिया ब्लॉक की सरकार है. हालांकि बिहार विस चुनाव के दौरान हेमंत सोरेन की सीट बंटवारे की बात को अनसुना कर राजद और कांग्रेस ने अपने लिए मुश्किले खड़ी कर ली है. राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ कांग्रेस भी गठबंधन में है लेकिन अब सियासी पारा नए राजनीतिक समीकरणों के तवे पर गर्म होता दिख रहा है. दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक से मोह भंग हो चुका है और अब सोरेन बीजेपी के साथ मिलकर झारखंड में नई सरकार का गठन करने जा रहे हैं.

राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पत्नी कल्पना सोरेन संग दिल्ली दौरा और उसके ठीक बाद राज्यपाल का अमित शाह से मिलना इस ओर संकेत कर रहा है. हालांकि पार्टी की ओर से इन अफवाहों का खंडन किया जा रहा है लेकिन बिहार में जो कांग्रेस की दयनीय हालत है और बिहार विस चुनाव में जिस तरह से झामुमो को गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद जिस तरह से साइड लाइन किया गया है, उससे सोरेन खफा बताए जा रहे हैं.

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दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेने की झामुमो ने महागठबंधन में सात सीटो की मांग रखी थी. हेमंत सोरेन अपनी पार्टी के सिम्बल पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहते थे. पार्टी ने बिहार में चकाई, धमदाहा, कटोरिया, पिरपैंती, मनीहारी, जमुई के साथ झारखंड बिहार से सटे बॉर्डर इलाके की एक सीट की चाहत रखी थी.
हालांकि तेजस्वी यादव ने इस मांग को ठुकरा दिया था. यहां तक कि कांग्रेस ने भी सोरेन की मांग को तूल नहीं दिया. ऐसे में सोरेन के महागठबंधन से नाराज होने की खबरें आयी थी, जबकि झारखंड चुनावों में झामुमो ने राजद को अपने कोटे से सीटें दी थीं. माना यही जा रहा है तभी से झारखंड के गठबंधन सरकार में खटास आ गयी थी.

उसके बाद घटनाक्रम कुछ यूं घूमा कि सोरेन के कैबिनेट में कई ऐसे मौके आये, जब एक साथ कैबिनेट हॉल में मौजूद रहने और आमने सामने होने बाद भी कांग्रेस और राजद के मंत्रियों से सीएम हेमंत सोरेन की कोई बात नही हुई. मोराबादी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में राजद और कांग्रेस की फोटो न होने से भी गठबंधन में दरार की खबरों को बल मिला. हाल में दुमका में एक कार्यक्रम में राजद और कांग्रेस के मंत्री नदारद दिखे थे. ये सभी घटनाक्रम अब झारखंड में होने वाले संभावित खेला की ओर इशारा कर रहे हैं.

अटकलों के पीछे की कहानी

झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं. बहुमत के लिए 41 विधायकों का समर्थन जरूरी है. वर्तमान में सत्तारूढ़ गठबंधन में झामुमो के पास 34, कांग्रेस के 16, राजद के 4 और वामपंथी दलों के 2 विधायकों सहित कुल 56 सीटें है. वहीं बीजेपी के पास 21 और एनडीए सहयोगियों के पास तीन सीटें हैं. अगर झामुमो और एनडीए में सत्ता का नया समीकरण बनता है तो कुल सीटों का आंकड़ा 58 का होगा. चूंकि इंडिया ब्लॉक और कांग्रेस इस वक्त हासिए पर हैं, ऐसे में झामुमो को भविष्य में एनडीए का फायदा होना निश्चित है. अब देखना ये होगा कि झारखंड में उठ रही ये अफवाहें महज अफवाहें ही साबित होंगी या झामुमो बिहार में नरजअंदाजगी कांग्रेस और राजद को भारी पड़ेगी.

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