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अलीगढ़ में मासूम की हत्या मामले को योगी के कैबिनेट मंत्री ने बताई छोटी घटना

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अलीगढ़ में ढाई साल की मासूम बच्ची ट्विंकल की हत्या के बाद जहां एक तरफ पूरे देश में गुस्से का माहौल है, वहीं इस घटना को लेकर यूपी की योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने शर्मनाक बयान दिया है. मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इस जघन्य अपराध को महज छोटी घटना बताया है. उन्होंने इस मामले में कहा कि ऐसी घटनाएं इतने बड़े प्रदेश में होती रहती है. इन छुटपुट घटनाओं पर हम कार्रवाई करते हैं.

सूर्यप्रताप शाही के दिए बयान पर अब विवाद छिड़ गया है. लोग सोशल प्लेटफार्म पर उनके बयान की कड़ी निंदा कर रहे है और योगी आदित्यनाथ से उन पर कारवाई करने की मांग भी कर रहे हैं. साथ ही लोग ये भी कह रहे हैं कि जब कैबिनेट मंत्री ही ऐसे गंभीर मामलों पर इस तरह के शर्मनाक बयान देंगे तो इन घटनाओं पर कैसे लगाम लगेगी.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ढाई साल की बच्ची ट्विंकल की निर्मम हत्या कर दी गई थी. 30 मई को ट्विंकल अपने घर से अचानक गायब हो गई. काफी समय तक घरवालों ने उसकी तलाश की, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला. बाद में घरवालों ने इसकी जानकारी पुलिस की दी, लेकिन पुलिस के भी हाथ खाली रहे.

आखिरकार 2 जून को उसका शव घर से 100 मीटर दूर कचरे में बुरी हालात में मिला. पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इस घटना को लेकर पूरे देश में गुस्से का माहौल है. लोग इस इस जघन्य अपराध के लिए दोषियों के फांसी देने की मांग कर रहे है.

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केरल के त्रिसूर पहुंचे पीएम मोदी, गुरुवायूर मंदिर में की पूजा-अर्चना

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प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अपनी पहली यात्रा पर हैं. पीएम मोदी आज केरल के त्रिसूर पहुंचे और यहां प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर में भगवान के दर्शन किए. यहां उन्होंने विशेष पूजा-अर्चना की और भगवान का आशीर्वाद लिया. मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद पीएम मोदी बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित भी करेंगे.

बता दें, गुरुवायूर मंदिर इतिहास काफी पुराना है. मंदिर के गर्भगृह में श्रीकृष्ण की मूर्ति है. पीएम शुक्रवार रात से ही केरल दौरे पर है. वो रात में ही कोच्चि पहुंच गये थे. आज सुबह वो नेवी के हेलीकॉप्टर से मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे. मंदिर में पूजा अर्चना के बाद पीएम मोदी त्रिसूर के एचएस मैदान में सभा को संबोधित करेंगे. सभा को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे. इसके बाद मोदी आज ही मालदीव और श्रीलंका यात्रा के लिए रवाना होंगे.

राजस्थान कांग्रेस के नेताओं में अब कमरों के लिए जंग, वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने दिखाया टशन

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राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच बंटे विधायकों की बयानबाजी के बाद अब पीसीसी पदाधिकारियों में भी पावरगेम शुरु हो गया है. आलम ये है कि अब सीएम और डिप्टी सीएम के पदाधिकारियों के बीच जंग शुरु हो गई है. पीसीसी में हाल का बदला नजारा बहुत कुछ बयां कर गया. दरअसल पीसीसी उपाध्यक्ष मुमताज मसीह जिस कमरे में पिछले 20 साल से बैठते आए थे, रातोरात उन्हें उस कमरे से रुखसत कर दिया गया. उनके पुराने वाले रुम को वरिष्ठ उपाध्यक्ष कक्ष में तब्दील कर दिया गया. इतना ही नहीं, रातोंरात कमरे के आगे नई प्लेट भी लगा दी गई.

खास बात ये है कि अपने निष्ठावान और वरिष्ठ पदाधिकारी को कमरा बदलने की सूचना तक नहीं दी गई. कांग्रेस भले ही इसे सामान्य घटनाक्रम बता रही है लेकिन करारी हार के बाद आए भूचाल के बीच यह जंग हल्के में नहीं मानी जा सकती.

20 साल बैठने वाले कमरे को नहीं भुला पाए मशीह
दिन हो रात या फिर कैसा भी मौसम हो, पीसीसी उपाध्यक्ष मुमताज मशीह पिछले 20 साल से इसी रुम में आकर बैठते थे. शुक्रवार को भी मशीह हमेशा की तरह पीसीसी आए और अपने रुम की तरफ बढ़ने लगे. इतने में किसी ने आकर मशीह को कमरा बदलने की सूचना दी. यह सुनकर मुमताज मशीह अचानक ठिठक गए.

सिर उठाकर देखा तो वाकई नेमप्लेट भी वरिष्ठ उपाध्यक्ष कक्ष की लगा दी गई और अंदर कुर्सी पर विराजमान थे वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोपाल सिंह ईडवा. इससे पहले यही ईडवा मशीह के सामने कुर्सी पर बैठे रहते थे. मुमताज मशीह का कहना है कि उन्हें कमरा बदलने की सूचना तक नहीं दी गई. वहीं ईडवा ने इसे सामान्य बदलाव बताया.

ईडवा पायलट के तो मशीह गहलोत के हैं खास
बात सामान्य बदलाव की होती तो मान लेते लेकिन दोनों वरिष्ठ नेता अपने-अपने नेताओं के कट्टर समर्थक हैं. मुमताज मसीह सीएम अशोक गहलोत के करीबी हैं और वरिष्ठ उपाध्यक्ष की नेम प्लेट लगाने वाले गोपाल सिंह ईडवा सचिन पायलट के खास हैं. ईडवा को हाल ही में पायलट के चलते चितौड़गढ़ का टिकट मिला था. वहीं गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में मशीह को राजनीतिक नियुक्ति दी थी.

मशीह पार्टी के निष्ठावान नेता हैं और कईं पीसीसी चीफ के साथ काम करते आ रहे हैं. यहां तक की कांग्रेस में जब दो फाड़ हो गई थी, तब भी उन्होंने एक पेड़ के नीचे बैठकर पार्टी का कामकाज देखा था. कांग्रेस गलियारों में दिनभर इस घटनाक्रम की चर्चा होती रही. जानकार इसे गुटबाजी से जोड़कर मानकर चल रहे हैं. लेकिन एक बात तो साफ है कि अगर कांग्रेस हार के कारणों पर मंथन के बजाय ऐसे ही आपस में लड़ती रही तो उसके लिए मुश्किलें और बढ़ती जाएगी.

‘चुनाव जिताने का तो पता नहीं, दीदी की बीजेपी से दोस्ती तो करा ही देंगे प्रशांत’

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सियासी गलियारों में खबर है कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए 2021 के विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करेंगे. दोनों की मुलाकात इस बात की पुख्ता पुष्टि भी करती दिखती है. इसमें कोई शक नहीं कि प्रशांत अपनी नई सोच और अनूठे तरीकों से चुनावी प्रचार को एक नई गति देने में माहिर हैं लेकिन जबसे ममता दीदी के चुनावी कैंपेन को संभालने की जिम्मेदारी प्रशां​त किशोर के पास आने की खबर आई है, सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है.

अलग-अलग यूज़र अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं. एक यूज़र ने तो यहां तक कहा है कि प्रशांत किशोर ममताजी को चुनाव न जितवा पाए तो हो सकता है कि उनकी बीजेपी से दोस्ती ही करवा दें!’

सोनिया गांधी से मिले संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, मेघवाल व तोमर भी रहे साथ

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देश में पीएम नरेंद्न मोदी के नेतृत्व में नई सरकार ने काम शुरू कर दिया है और अब लोकसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए गहमागहमी तेज हो गई है. 17 जून को लोकसभा सदन का पहला सत्र शुरू होने जा रहा है. इसी बीच शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल व नरेंद्र सिंह तोमर के साथ कांग्रेस संसदीय दल प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात की और संसद सत्र के सुचारू संचालन में कांग्रेस का सहयोग मांगा.

शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी कांग्रेस संसदीय दल की नेता व यूपीए चीफ सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे. जोशी ने 17 जून से शुरू हो रहे लोकसभा के संसद सत्र के सुचारू संचालन में कांग्रेस का सहयोग मांगा. इस अवसर पर राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल व नरेंद्र सिंह तोमर भी उनके साथ रहे. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री जोशी ने इस मुलाकात को सौहार्दपूर्ण बताया. प्रह्लाद जोशी ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और लोकसभा में द्रमुक के नेता टी आर बालू से भी मुलाकात की.

सोनिया गांधी के आवास पर संपन्न हुई 15 मिनट की इस मुलाकात के बाद प्रह्लाद जोशी ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि सोनिया गांधी से हमारी बैठक बहुत सौहार्दपूर्ण रही है. हमने संसद की सुचारू कार्यप्रणाली के लिए उनका सहयोग मांगा है. साथ ही जोशी ने कहा कि गांधी ने भी विपक्ष को सरकार सहयोग की बात कही तो हमने उन्हें विश्वास दिलाया है कि हमारी सरकार हमेशा उनके सहयोग को तैयार रहेगी.

बता दें कि 17वीं लोकसभा का पहला सत्र 17 जून से शुरू होने जा रहा है. जिसमें पहले दो दिन नव निर्वाचित सांसदों को शपथ ग्रहण करवाई जाएगी. इसके बाद 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. वहीं 20 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दोनों सदनों के संयुक्त सदन को संबोधित करने वाले हैं. 26 जुलाई तक चलने वाले इस सत्र में 5 जुलाई को सरकार बजट पेश करेगी. लोकसभा के इस सत्र में सरकार बजट पेश करने के साथ-साथ तीन तलाक पर रोक सहित 10 नए अध्यादेशों को लेकर कानून बनाने की कार्रवाई करने वाली है.

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मुझे सौंप दिया जाए कांग्रेस अध्यक्ष पद: पूर्व केंद्रीय मंत्री असलम शेर खान

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लोकसभा चुनाव में करारी और शर्मनाक हार के बाद से ही कांग्रेस में किसी तूफान से पहले का सा सन्नाटा छाया है. वहीं पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की अपने पद से इस्तीफा देने और नए अध्यक्ष की तलाश करने का कहने के बाद से तो यह सन्नाटा और भयंकर दिख रहा है. इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और हॉकी में ओलंपिक पदक विजेता असलम शेर खान ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को एक पत्र लिखकर अध्यक्ष पद देने की गुहार लगाई है. साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी को फिर से राष्ट्रवाद से जोड़ना जरूरी है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पद छोड़ने की इच्छा के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे असलम शेर खान ने उन्हें एक पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस एक बार फिर चुनाव हार गई है और यह बड़ी हार भी है. असलम ने यह भी कहा कि जब राहुल गांधी ने कहा कि वे अध्यक्ष के पद से हटना चाहते हैं और किसी और को यह जिम्मेदारी देना चाह रहे हैं. ऐसे में मुझे लगा कि यह एक अवसर है और मैं इस पद को संभाल सकता हूं.

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साथ ही असलम शेर खान ने यह भी कहा कि कांग्रेस को इस वक्त साहस की जरूरत है, किसी को आगे आना चाहिए. इसीलिए मैंने राहुल गांधी को पत्र लिखा कि यदि वे पार्टी अध्यक्ष बने रहना नहीं चाहते हैं तो उनके इस फैसले का भी सम्मान होना चाहिए. असलम ने कहा कि यदि आप नेहरू-गांधी परिवार से बाहर का व्यक्ति चाहते हैं तो मुझे मौका दीजिए क्योंकि अन्य कोई आगे नहीं आ रहा है.

उन्होंने राहुल गांधी को पत्र में लिखा है कि उन्हें सिर्फ दो साल के लिए पार्टी का अध्यक्ष पद सौंपा जाए. क्योंकि फिलहाल कांग्रेस को फिर से राष्ट्रवाद से जोड़ने की सख्त जरूरत है और इसके लिए यदि राहुल गांधी प्रयास करते हैं तो ठीक है लेकिन अगर वे अपने पद से हटना चाहते हैं तो मैं इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए पार्टी को फिर से राष्ट्रवाद की ओर ले जाने का कार्य करूंगा.

बता दें कि लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है. मोदी लहर के सामने पार्टी तिनके की तरह उड़ गई और दिग्गज कांग्रेसी भी चुनाव नहीं जीत पाए. यहां तक कि खुद राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी भी गंवा बैठे. इस करारी शिकस्त के बाद से ही राहुल गांधी अपने इस्तीफे पर अड़े हैं. कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने उनका इस्तीफा तो नामंजूर कर दिया है लेकिन राहुल नहीं माने हैं और भविष्य में कांग्रेस संगठन में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.
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क्या संघ की वजह से मिली राजनाथ सिंह को 6 कैबिनेट समितियों में जगह

नयी मोदी सरकार के चुनाव और मंत्रिमंडल के गठन के बाद केंद्र सरकार की एक नयी जल्दबाजी देखने को मिल रही है. हुआ कुछ यूं कि हाल में सरकार की तरफ से अनेक कमेटियों का गठन किया गया है. इनमें मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति, आवास मामलों की समिति, आर्थिक मामलों की समिति, संसदीय मामलों की समिति, राजनीतिक मामलों की समिति, सुरक्षा मामलों की समिति, विकास मामलों की समिति और कौशल विकास समिति नाम से 8 समितियां गठित की गई है. लेकिन इन कमेटियों के गठन में सरकार के साथ एक विवाद जुड़ गया है. इस विवाद का नाम है राजनाथ सिंह.

इस बार राजनाथ सिंह पहले ही पार्टी में दूसरे से तीसरे नंबर पर दखेले जा चुके हैं. अब उनकी जगह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ले ली है. शाह वर्तमान सरकार में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी निभा रहे हैं जो पिछली सरकार में राजनाथ सिंह ने संभाली थी. इस बार राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय दिया गया है.

अब हुआ कुछ यूं कि 5 जून को इन कमेटियों के गठन की अधिसूचना आई तो राजनाथ सिंह का नाम 8 में से महज़ 2 कमेटियों में था. यह आदेश 6 जून की सुबह जारी किया गया था. तब तक राजनाथ सिंह का नाम केवल आर्थिक मामलों और सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल कमेटी में ही शामिल था. शेष कमेटियों से राजनाथ सिंह पूरी तरह से नदारद थे.

आदेश जारी होने के साथ ही पूरे दिन यह चर्चा होने लगी कि पीएम नरेंद्र मोदी अब राजनाथ सिंह को भी बीजेपी में अन्य वरिष्ठ नेताओं की तरह साइड-लाइन करना चाहते हैं.

लेकिन राजनाथ सिंह सियासत के इतने भी कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं जो अन्य नेताओं की तरह इतनी आसानी से साइड-लाइन किए जा सकें. राजनाथ संघ के काफी नजदीकी माने जाते हैं. उन्होंने अपनी बात संघ के पदाधिकारियों तक पहुंचाई जिसके बाद इस मामले में असली खेल शुरु हुआ.

संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कमेटियों में राजनाथ की हिस्सेदारी के लिए वीटो लगा दिया. संघ के लगाए वीटो का असर 16 घंटे में ही नजर आ गया और राजनाथ सिंह की हिस्सेदारी रात ढलते-ढलते दो से बढ़कर छह कमेटियों में हो गई.

राजनाथ सिंह के लिए संघ ने इसलिए भी वीटो किया क्योंकि संघ नहीं चाहता कि देश में यह मैसेज जाए कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं करते और बीजेपी के भीतर तानाशाही चला रहे हैं.

वैसे भी पार्टी पर लंबे समय से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी के आरोप लग रहे है. ऐसे आरोप बीजेपी में मोदी और अमित शाह की पकड़ होने के बाद से ज्यादा लगे हैं. इस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं के उदाहरण दिए जाते रहे हैं. ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या राजनाथ सिंह को मार्गदर्शक मंडल का अगला सदस्य बनाया जा सकता है.

17वीं लोकसभा में ये नेता बैठेंगे स्पीकर की कुर्सी पर

कांग्रेस की करारी हार के बाद राजस्थान में खींचतान की असली वजह

आंध्र प्रदेश: पहली बार किसी प्रदेश में 5 डिप्टी CM, जगन रेड्डी का ऐतिहासिक फैसला

आंध्र प्रदेश की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी द्वारा प्रदेश की जनता के लिए किए गए ऐतिहासिक फैसले सुर्खियों में है. चाहे वो आशा कर्मियों के 3 गुना वेतन वृद्धि का फैसला हो या फिर प्रदेश के किसानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली 10 हजार की राशि का निर्णय, जगन रेड्डी ने जनता के मन तक पहुंचने की कोशिश की है. अब सीएम जगन ने प्रदेश को 5 उप मुख्यमंत्री देने का निर्णय लेकर सभी को हैरत में डाल दिया है. यह पहली बार होगा जब किसी प्रदेश में 5 डिप्टी सीएम नियुक्त किए जाएंगे.

शुक्रवार को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की बैठक में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने मंत्रिमंडल गठन की चर्चा का बाद प्रदेश में नए उप मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसला लिया. जिसके अनुसार प्रदेश में पांच डिप्टी सीएम पदस्थापित किए जाएंगे. सीएम जगन मोहन रेड्डी का ये फैसला इसलिए ऐतिहासिक कहा जा रहा है कि किसी प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है.

खास बात यह है कि ये पांचों उप मुख्यमंत्री अलग-अलग जाति वर्ग के होंगे. ये अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति, अल्पसंख्यक और कापू समुदाय में से एक-एक नियुक्त किए जाएंगे. बता दें कि इन उप मुख्यमंत्रियों में से दो पिछली एन चंद्रबाबू की टीडीपी सरकार में भी काम कर चुके हैं. इनमें से एक पिछड़ी जाति और एक कापू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.

साथ ही पार्टी मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि आने वाले ढाई सालों में वे अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करेंगे. साथ उन्होंने इस दौरान कहा कि पार्टी के विधायक जनता की शिकायतों और समस्याओं पर ध्यान देकर उनका समाधान करें. सीएम ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के प्रदर्शन पर प्रदेश ही नहीं देशभर की नजर है. हम हर हाल में पहले की सरकार और अब की सरकार में अंतर दिखाना चाहते हैं.

गौरतलब है कि अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने वाले वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने अपनी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के लिए प्रदेश में खूब मेहनत की और जनता ने उन्हें इसका फल हाल ही में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में दिया. जिसमें जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों में से 151 पर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सत्ता पर काबिज होने में सफलता हासिल की.

साथ ही पार्टी ने लोकसभा की 25 सीटों पर रिकॉर्ड जीत करते हुए 22 पर कब्जा किया. देश में मोदी लहर के इतर दोनों चुनाव में आंध्रप्रदेश की सत्ताधारी एन चंद्रबाबू की टीडीपी जगन मोहन रेड्डी की सुनामी में कहीं नहीं टिक पाई.

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