कल दोपहर खबर आई कि जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी से मुलाकात की है. पं.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर की मुलाकात के अब सियासी मायने निकाले जाने लगे. कुछ देर बाद जानकारी आयी कि प्रशांत किशोर अब TMC का चुनाव प्रबंधन का कार्य देखेंगे. टीएमसी को लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था.
2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले उनकी संसदीय सीटों में 12 सीटों तक की गिरावट आई है. अब ममता दीदी ने आगामी विधानसभा चुनाव में फतह हासिल करने के लिए रणनीतिकार प्रशांत किशोर का साथ लिया है. हालांकि अभी प्रशांत किशोर और टीएमसी की तरफ से इसकी अधिकारिक पुष्टि आना शेष है.
प्रशांत किशोर भारत के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार हैं. प्रशांत की कंपनी IPAC चुनाव में पार्टियों के प्रचार की कमान संभालती है. प्रशांत इससे पूर्व भारत में कई राजनीतिक दलों का चुनावी कार्यक्रम का प्रबंधन देख चुके हैं.
भारत में चुनावी रणनीतिकार के तौर पर करियर की शुरुआत करने से पहले प्रशांत किशोर संयुक्त राष्ट्र में नौकरी करते थे. 2011 में प्रशांत नौकरी छोड़ वतन लौट आए. देश लौटने के बाद वो तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में शामिल हुए और 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई.
2014 के लोकसभा चुनाव ने प्रशांत किशोर को देश के सामने पहचान दी. देश का हर दल उनके बीजेपी के लिए चुनाव में किए गए काम से प्रभावित हुआ. लोगों से जुड़ाव के लिए शुरु किया गया चुनावी कैंपेन ‘चाय पर चर्चा’ भी प्रशांत किशोर का ही आइडिया था जिसने मोदी की छवि जनता के मध्य एक आम तबके के इंसान की बनाई. 2014 के चुनाव में सोशल मिडिया का इस्तेमाल भी प्रशांत की ही देन थी.
हालांकि चुनाव के बाद अमित शाह से विवाद के बाद प्रशांत किशोर बीजेपी के चुनावी अभियान से अलग हो गए. प्रशांत 2015 में नीतीश कुमार के साथ जुड़े और बिहार चुनाव में जेडीयू-कांग्रेस-राजद के चुनावी अभियान का कार्य संभाला. ऐसा माना जाता है कि एक दूसरे के धुर विरोधी जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस का महागठबंधन बनवाने में भी उनकी अहम भूमिका रही.
नीतीश कुमार का जनसंपर्क अभियान ‘हर-घर दस्तक’ कार्यक्रम प्रशांत किशोर की तरफ से लॉन्च किया गया था ताकि चुनाव प्रचार में नीतीश आखिरी व्यक्ति तक अपनी बात पहुंचा सकें. इसी चुनाव में उनका दिया गया नारा ‘बिहार में बहार है नीतीश कुमार है’ पूरे बिहार में हिट हुआ. इस नारे के पीछे भी प्रशांत किशोर का ही दिमाग था. नतीजा यह हुआ कि यहां बीजेपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा.
प्रशांत किशोर बिहार चुनाव के बाद 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान से जुड़े. कैप्टन अमरिंदर सिंह के ‘कॉफी विद कैप्टन’ और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की किसान यात्रा और खाट सभा का पूरा खाका प्रशांत किशोर ने तैयार किया. हालांकि कांग्रेस के कुछ बड़े नेता राहुल के साथ बढ़ रही उनकी नजदीकियों तो पचा नहीं पाए और खुलेआम उनकी मुखालफत करने लगे.
यहां प्रशांत का मैनेजमेंट पूरी तरह से धाराशाही हो गया और कांग्रेस को यूपी में सिर्फ 7 सीटें मिली जो इतिहास में उनका सबसे शर्मनाक प्रदर्शन था. हालांकि पंजाब में पार्टी ने शानदार जीत हासिल की लेकिन यूपी में मिली बड़ी हार के आगे पंजाब की जीत छिप गई. आशा के अनुरुप नतीजे नहीं मिलने के कारण प्रशांत ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया.
अब उनका अगला मिशन आंध्रप्रदेश था. उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस का चुनावी अभियान संभाला. पार्टी के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने उन्हें काम करने के लिए खुली छूट दी. प्रशांत ने जगन के चुनावी अभियान की शुरुआत एक पद-यात्रा से कराई जिसे ‘प्रज्ञा संकल्प यात्रा’ नाम दिया गया. इस यात्रा के दौरान जगन प्रदेश के हर हिस्से में पहुंचे जिससे उनका जुड़ाव लोगों से बढ़ा. उनकी छवि राजनेता की न होकर जन-नेता की बनी.
चुनाव में जगन की पार्टी को विशाल कामयाबी मिली. पार्टी ने लोकसभा की 25 में से 22 और विधानसभा की 151 सीटों पर जीत हासिल की. अब प्रशांत किशोर के साथ आने से ममता बनर्जी को कितना फायदा होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.