नयी मोदी सरकार के चुनाव और मंत्रिमंडल के गठन के बाद केंद्र सरकार की एक नयी जल्दबाजी देखने को मिल रही है. हुआ कुछ यूं कि हाल में सरकार की तरफ से अनेक कमेटियों का गठन किया गया है. इनमें मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति, आवास मामलों की समिति, आर्थिक मामलों की समिति, संसदीय मामलों की समिति, राजनीतिक मामलों की समिति, सुरक्षा मामलों की समिति, विकास मामलों की समिति और कौशल विकास समिति नाम से 8 समितियां गठित की गई है. लेकिन इन कमेटियों के गठन में सरकार के साथ एक विवाद जुड़ गया है. इस विवाद का नाम है राजनाथ सिंह.
इस बार राजनाथ सिंह पहले ही पार्टी में दूसरे से तीसरे नंबर पर दखेले जा चुके हैं. अब उनकी जगह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ले ली है. शाह वर्तमान सरकार में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी निभा रहे हैं जो पिछली सरकार में राजनाथ सिंह ने संभाली थी. इस बार राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय दिया गया है.
अब हुआ कुछ यूं कि 5 जून को इन कमेटियों के गठन की अधिसूचना आई तो राजनाथ सिंह का नाम 8 में से महज़ 2 कमेटियों में था. यह आदेश 6 जून की सुबह जारी किया गया था. तब तक राजनाथ सिंह का नाम केवल आर्थिक मामलों और सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल कमेटी में ही शामिल था. शेष कमेटियों से राजनाथ सिंह पूरी तरह से नदारद थे.
आदेश जारी होने के साथ ही पूरे दिन यह चर्चा होने लगी कि पीएम नरेंद्र मोदी अब राजनाथ सिंह को भी बीजेपी में अन्य वरिष्ठ नेताओं की तरह साइड-लाइन करना चाहते हैं.
लेकिन राजनाथ सिंह सियासत के इतने भी कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं जो अन्य नेताओं की तरह इतनी आसानी से साइड-लाइन किए जा सकें. राजनाथ संघ के काफी नजदीकी माने जाते हैं. उन्होंने अपनी बात संघ के पदाधिकारियों तक पहुंचाई जिसके बाद इस मामले में असली खेल शुरु हुआ.
संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कमेटियों में राजनाथ की हिस्सेदारी के लिए वीटो लगा दिया. संघ के लगाए वीटो का असर 16 घंटे में ही नजर आ गया और राजनाथ सिंह की हिस्सेदारी रात ढलते-ढलते दो से बढ़कर छह कमेटियों में हो गई.
राजनाथ सिंह के लिए संघ ने इसलिए भी वीटो किया क्योंकि संघ नहीं चाहता कि देश में यह मैसेज जाए कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं करते और बीजेपी के भीतर तानाशाही चला रहे हैं.
वैसे भी पार्टी पर लंबे समय से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी के आरोप लग रहे है. ऐसे आरोप बीजेपी में मोदी और अमित शाह की पकड़ होने के बाद से ज्यादा लगे हैं. इस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं के उदाहरण दिए जाते रहे हैं. ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या राजनाथ सिंह को मार्गदर्शक मंडल का अगला सदस्य बनाया जा सकता है.