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कर्नाटक-गोवा के अनुभव से राज्यसभा साधने की कोशिशों में लगी बीजेपी!

कर्नाटक संकट देशभर की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है कि रातोरात सत्ताधारी सरकार हासिए पर कैसे आ गई. वजह साफ है- यह बीजेपी और पार्टी के चाणक्य अमित शाह की दूरगामी रणनीति और आक्रामक सोच का परिणाम है कि चुटकी बजाते ही सत्ताधारी को करीब-करीब विपक्ष में बैठाने की तैयारी हो चुकी है. कुछ ऐसा ही कारनामा शायद बीजेपी राज्यसभा में करने की तैयारी कर रही है. बस फर्क सिर्फ इतना है कि राज्यसभा में यह काम एनडीए के बैनर तले किया जा रहा है. समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर का इस्तीफा इस दिशा में बढ़ाया गया पहला कदम हो सकता है.

बीजेपी का आक्रामक रवैया तो हालिया लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाहियों में देखा ही जा रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का असदुद्दीन ओवैसी को भरे सदन में चुप करना और रक्षा मंत्री राजनाथ के विपक्ष पर मारे गए तीखे प्रहार पार्टी का सत्ता में भारी मतों से वापसी का अतिआत्मविश्वास है. बीजेपी का यह चेहरा पिछली मोदी सरकार के वक्त इतना आक्रामक नहीं था जितना इस बार है.

बात करें नीरज शेखर की तो नीरज पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के छोटे पुत्र हैं और उत्तर प्रदेश में पिता की सीट बलिया से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा सांसद रह चुके हैं. 2014 की मोदी लहर में लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्हें समाजवादी पार्टी ने तत्काल राज्यसभा सदस्य बनाया. राज्यसभा में उनका कार्यकाल नवंबर 2020 तक का था. नीरज शेखर ने न सिर्फ राज्यसभा बल्कि समाजवादी पार्टी की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है. संकेत स्पष्ट हैं कि बीजेपी नीरज शेखर को इसी सीट से फिर राज्यसभा में भेज देगी.

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नीरज शेखर तो सिर्फ शुरुआत है. इसके पीछे का ऐजेंडा तो ये है कि नीरज राज्यसभा से जुड़े कई विपक्ष के नेताओं को कमल के झंडे के नीचे इक्ठ्ठा करने का काम करेंगे. सुनने में तो ये भी आ रहा है कि नीरज अपना पहला निशाना बसपा के सांसद राजा राम पर साध रहे हैं. एक समय मायावती के आंखों का तारा रहे राजा राम का पार्टी में पहले जैसा राजनीतिक कद नहीं रहा है.

एक दौर था जब रामाराम को मायावती का उत्तराधिकारी समझा जाता था लेकिन अब उन्हें एक किनारे कर दिया गया है. मायावती के भाई आनंद कुमार के पार्टी में हस्तक्षेप के बाद पार्टी के कुछ वरिष्ठ सांसद पहले से ही नाराज चल रहे हैं. ऐसे में बसपा के बचे चारों सांसद अगर बीजेपी से जुड़ जाएं तो कोई अचंभा नहीं होना चाहिए. वहीं समाजवादी पार्टी के दो सांसदों के भी पार्टी छोड़ने की खबरें सियासी गलियारों से आ रही हैं.

यहां ठीक उसी तरह की रणनीति अपनाई जा रही है जैसे कर्नाटक में अपनाई गई थी. कर्नाटक गठबंधन सरकार के 16 विधायकों ने एक साथ विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर मौजूदा सरकार को अल्पमत के द्वार पर लाकर खड़ा कर दिया है. हालांकि इस्तीफों पर फैसला आना बाकी है.

वैसे यह सवाल सभी के मन में होगा कि प्रदेश स्तर तक तो ठीक है लेकिन राज्यसभा सांसद तोड़कर बीजेपी को क्या मिलेगा. इसका सीधा सा जवाब है कि राज्यसभा में बहुमत न होने से मोदी सरकार के कई बिल पास नहीं हो पा रहे हैं. मौजूदा सरकार के पास लोकसभा में पर्याप्त बहुमत है. ऐसे में वहां कोई भी बिल पास कराना बड़ा काम नहीं है लेकिन वहां से निकल कर ये बिल राज्यसभा में अटक जाते हैं. तीन तलाक बिल का यही हाल है. इस बिल पर विपक्ष तो छोड़िए, बिहार में सहयोगी पार्टी जेडीयू तक विरोध कर रही है.

राज्यसभा में कुल 245 सांसद होते हैं जिसमें से पांच सीटें फिलहाल खाली हैं. इस हिसाब से बहुमत के लिए 121 सांसद चाहिए. बीजेपी और उनके सहयोगी घटक यानी एनडीए के पास 116 सांसद हैं यानी बहुमत से सिर्फ 5 कम. अब बीजेपी इसी कमी को दूर करने की कोशिशों में लगी है.

हालांकि पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए एनडीए को ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. उत्तर प्रदेश में अगले साल यानि नवंबर, 2020 तक राज्यसभा की करीब 10 सीटें खाली होंगी. इनमें नीरज शेखर की सीट भी शामिल है. प्रदेश में संख्याबल के हिसाब से बीजेपी के खाते में कम से कम 9 सीटें आएंगी. इसका सीधा मतलब ये होगा कि नीरज शेखर की जो सीट सपा के पास थी, वो बीजेपी के खाते में आ जाएगी. ये सारी सीटें आने के बाद एनडीए के पास राज्यसभा में भी पूर्ण बहुमत होगा.

लेकिन शायद बीजेपी इससे कहीं ज्यादा सोच रही है. इसकी झलक गोवा में दिखी है. 40 सीटों वाली गोवा विधानसभा में बीजेपी के 17 विधायक हैं. यहां बीजेपी की गठबंधन सरकार है. हाल ही में कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने बीजेपी ज्वॉइन की है. ऐसे में बीजेपी के विधायकों की संख्या 27 जा पहुंची है जहां से कोई उन्हें हिला नहीं सकता. इसके बाद उन्होंने गठबंधन मंत्रियों को साइड लाइन कर नए विधायकों को मंत्री पदों पर बिठाया.

इसी तरह का कुछ करने की मंशा बीजेपी की राज्यसभा में भी है. एनडीए के बैनर के अलावा, बीजेपी के झंडे के नीचे जितने ज्यादा सांसद रहेंगे, पार्टी को उतना ही फायदा होगा. अगर बीजेपी सांसदों का संख्याबल अधिक होगा तो जेडीयू की तरह विरोध होने के बाद भी पार्टी को अपने बिल पास कराने में परेशानी नहीं होगी.

अब देखना ये होगा कि बीजेपी की नीरज शेखर के अलावा और कितने सांसदों को तोड़कर अपनी पार्टी में लाती है और नीरज शेखर कितने सांसदों को बीजेपी या फिर एनडीए के झंडे के नीचे लाने में सफल होते हैं.

महाराष्ट्र के भाजपा अध्यक्ष का दावा – 8 से 10 दिन में कांग्रेस-एनसीपी के कई विधायक हमारी पार्टी में शामिल होंगे

महाराष्‍ट्र में बीजेपी के नये नवेले प्रदेश अध्‍यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने आते ही महाराष्ट्र की राजनीति में एकदम से हलचल मचा दी है. पाटिल ने बयान दिया है कि कर्नाटक और गोवा के बाद अब कांग्रेस को महाराष्‍ट्र में बड़ा झटका लगने वाला है. उन्होंने कहा कि राकांपा और कांग्रेस के विधायक पार्टी से इस्तीफा देंगे और बीजेपी में शामिल होंगे. चन्द्रकान्त पाटिल के इस बयान के बाद महाराष्‍ट्र कांग्रेस और एनसीपी के खेमों में खलबली मच गई है. महाराष्‍ट्र में विधानसभा चुनावों में बमुश्किल 3 महीने रह गए हैं. ऐसे में उनका यह बयान सच में कांग्रेस सहित अन्य दलों की धड़कने बढ़ाने जैसा है.

सोलापुर के सरकारी रेस्‍ट हाउस में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि कर्नाटक और गोवा के बाद अब कांग्रेस को महाराष्‍ट्र में बड़ा झटका लगने वाला है, पाटिल ने दावा किया कि कांग्रेस सहित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कई विधायक सत्तारूढ़ बीजेपी के संपर्क में हैं और आने वाले 8 से 10 दिनों के भीतर कई कांग्रेसी और एनसीपी के विधायक इस्‍तीफा दे देंगे.

पाटिल ने पत्रकारों से कहा, ‘अगर विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले विपक्षी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया होता, तो इससे उपचुनावों में उन्हें सुविधा होती. अब विधानसभा चुनाव मुश्किल से तीन महीने दूर हैं और आने वाले 8-10 दिनों में कांग्रेस और राकांपा के कई विधायक इस्तीफा दे देंगे. उनके कई विधायक हमारे संपर्क में हैं. उन्हें उचित समय पर पार्टी में प्रवेश दिया जाएगा.’ हालांकि पाटिल ने किसी भी विधायक के नाम का खुलासा करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया. पाटिल ने कहा – “नामों का खुलासा करने के बाद मज़ा कहाँ है, जीवन का आनंद अपनी अनिश्चितता में है”।

पाटिल ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी के शीर्ष नेतृत्व ने हाल के लोकसभा चुनावों में लोगों का विश्वास खो दिया है. अपने शीर्ष नेतृत्व (राहुल गांधी) के इस्तीफा देने में व्यस्त होने के बाद कोई कैसे उम्मीद कर सकता है कि वे पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एनसीपी और कांग्रेस के बागी नेताओं के बीजेपी में टिकट दिए जाने के बाद पार्टी के पुराने नेताओं के साथ कोई अन्याय नहीं होगा.

उम्मीदवार के चयन के संबंध में पाटिल ने कहा, ‘यदि हम किसी उम्मीदवार की जीत की संभावना को देखते हैं तो ही प्रत्याशी को टिकट देते हैं. लोकसभा चुनावों में प्रदेश की सीटों पर बदले गए प्रत्याशी इसके उदाहरण हैं. बीजेपी-शिवसेना इस तरह से अपनी रणनीति बना रही है कि हमारा गठबंधन कम से कम 220 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर सके.

पाटिल ने गठबंधन के सवाल पर कहा कि बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन के सवाल पर कोई अस्पष्टता नहीं है. उन्होंने कहा कि गठबंधन के बारे में केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पता है.

वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे देने और भाजपा में शामिल होने की बात को ‘हंसने योग्य’ बताया है. थोरात ने कहा कि चंद्रकांत पाटिल ऐसा कहकर विधानसभा चुनाव से पहले भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. कोई भी कांग्रेसी विधायक बीजेपी में शामिल होने नहीं जा रहा है. महाराष्‍ट्र में बीजेपी की ऐसी चालें काम नहीं आने वाली हैं.

‘भयावह बाढ़ के चलते लोग त्राहिमाम कर रहे हैं और मंत्रीजी फिल्म देख रहे हैं’

बिहार में इन दिनों भयंकर बाढ़ से जनजीवन प्रभावित है. इसमें अब तक 83 से ज्यादा लोग काल के ग्रास को प्राप्त हो चुके हैं और 47 लाख से अधिक को अपने घर खो बैठे हैं. इसी बीच बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी पटना के एक सिनेमाहॉल में ऋतिक रोशन स्टारर बिहार के मैथमैटिशियन आनंद कुमार की लाइफ पर बनी फिल्म ‘सुपर-30’ देखने पहुंच गए. उनके साथ कुछ विधायक और मंत्री भी फिल्म का लुफ्त उठाने वहां उपस्थित थे.

बाढ़ की पीढ़ा भोग रहे बिहार में मंत्रियों का इस तरह मौज मस्ती करना अब उन्हीं पर भारी पड़ता दिख रहा है. जैसे ही सुशील मोदी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर ऋतिक रोशन से मुलाकात की कुछ तस्वीरों को वायरल किया, लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. सबसे पहले राष्ट्रीय जनता दल के अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से निशाना साधा गया है. यहां से ट्वीट किया है ‘बेशर्म उपमुख्यमंत्रीजी विधायकों व मंत्रियों के साथ फिल्म देख रहे हैं. जनता मरे तो मरे.’

@RJDforIndia

@jbsamitkumar

@ADITYYADAV20

@iamstark12

@maxchandan16

@araaj153

@1212Sandeep

कर’नाटक’ का फ्लोर टेस्ट कल तक के लिए टला, भाजपा विधायक डटे सदन में

PoliTalks news

कर्नाटक में चल रहा सियासी ड्रामा अभी तक खत्म नहीं हो पाया. आज विधानसभा में दिनभर चली बहस और राज्यपाल के दखल के बावजूद विश्वास मत पर वोटिंग नहीं हो पायी. चर्चा की जगह सदन एक दंगल बनकर रह गया और दिनभर हंगामा होता रहा. एक तरफ कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बीजेपी पर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया. वहीं दूसरी ओर, बीजेपी ने कांग्रेस-जेडीएस पर जानबूझकर मतदान में देरी का आरोप जड़ दिया. इस बीच कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों ने विधानसभा में कांग्रेस विधायक श्रीमंत पाटिल की फोटो भी लहराई. पाटिल बीमार होने के चलते सदन में उपस्थित नहीं हो पाये. वे मुंबई के अस्पताल में भर्ती हैं.

इससे पहले सुबह 11 बजे शुरू हुई विधानसभा की कार्यवाही हंगामे के बीच रूक रूक कर चलती रही. तेज होते हंगामे को देखते हुए स्पीकर रमेश कुमार ने कार्यवाही को लंच तक के लिए स्थिगित कर दिया. फिर से शुरू हुई कार्यवाही पहले की तरह ही हंगामेदार बनी रही. बाद में स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. हालांकि बीजेपी के नेता येदियुरप्पा ने स्पीकर के इस फैसले का विरोध किया और विधानसभा में ही डट गए. उन्होंने कहा कि हमारे विधायक कहीं नहीं जाएंगे और सदन में ही सोएंगे.

भाजपा की तमाम कोशिशों के बाद भी अब फ्लोर टेस्ट तो सदन में कल ही होगा. बता दें कि आज सदन में कांग्रेस-जेडीएस के 19 विधायक नदारद रहे. इनमें 16 बागी विधायकों के साथ कांग्रेस के श्रीमंत पाटिल शामिल हैं.

इससे पहले सदन के ब्रेक के बीच बीजेपी के नेताओं ने कर्नाटक के राज्यपाल वाजुभाई पटेल से भी मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा. इस पर राज्यपाल ने स्पीकर रमेश कुमार को खत लिखकर विश्वासमत संबंधी कार्यवाही आज ही निपटाने की गुजारिश की थी. हालांकि यह हो न सका.

महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में बीजेपी की चुनावी तैयारी शुरू

लोकसभा चुनाव में अपार सफलता के बाद अब बीजेपी ने आगामी तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में सत्ता में लौटने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. बीजेपी लोकसभा चुनाव की सफलता को विधानसभा चुनावों में भी दोहराना चाहती है. गौरतलब है कि इस वर्ष महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. फिलहाल तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है.

पार्टी की रणनीति तय करने के लिए बीजेपी के कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तीनों राज्यों का दो-दो दिन दौरा करने का कार्यक्रम बना लिया है. इस दौरान वह स्थानीय बीजेपी नेताओं के साथ मिलकर चुनावी रणनीति पर चर्चा करेंगे. नड्डा 13-14 जुलाई को झारखंड की यात्रा पहले ही कर चुके हैं. वहां उन्होंने पार्टी के कोर ग्रुप के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति और उम्मीदवारों के चयन पर विचार किया.

20-21 जुलाई को नड्डा का महाराष्ट्र के दौरे का कार्यक्रम है. इस दौरान वह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे और बूथ स्तर पर पार्टी की तैयारियों का जायजा लेंगे. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में बीजेपी ने हाल ही ऩए प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल की नियुक्ति की है. स्वाभाविक है कि नए प्रदेशाध्यक्ष अपनी नई टीम बनाएंगे. विधानसभा चुनाव होने में छह माह से भी कम समय बाकी है. सूत्रों के मुताबिक नए प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति के बाद अन्य पदाधिकारियों में बदलाव की संभावना बहुत कम है. महाराष्ट्र में बीजेपी की प्रभारी सरोज पांडे राज्य के पांच जिलों का दौरा कर चुकी है. चुनाव से पहले उनका हर जिले तक पहुंचने का प्रयास रहेगा.

महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. पार्टी आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री घोषित करते हुए चुनाव लड़ेगी. हालांकि सरोज पांडे का कहना है कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बीजेपी का ही रहेगा, इसमें कोई संशय नहीं है. बीजेपी राज्य में चार तरह के सर्वेक्षण के लिए निजी एजेंसियों की सेवाएं ले रही हैं. सर्वेक्षणों के आधार पर चुनावी रणनीति बनेगी और उम्मीदवारों के नाम तय होंगे.

जेपी नड्डा हरियाणा का भी दौरा करने वाले हैं, जिसकी तारीख अभी तय नहीं है. इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने 15 अगस्त से राज्यव्यापी यात्रा का कार्यक्रम बना लिया है. हरियाणा प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि मुख्यमंत्री की यात्रा की तैयारियां जारी हैं. पार्टी का लक्ष्य बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाए रखने का है. चुनाव जीतने में बीजेपी कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती.

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खोने की कगार पर तृणमूल, राकांपा और भाकपा

ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा गंवा सकती हैं. चुनाव आयोग इन पार्टियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की तैयारी कर रहा है. हाल ही लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों का प्रदर्शन राष्ट्रीय पार्टी के अनुरूप नहीं रहा.

चुनाव आयोग की नियमावली में चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आबंटन) आदेश, 1968 के तहत राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए पार्टी को लोकसभा चुनाव में कम के कम 6 फीसदी वोट मिलना जरूरी है या फिर किसी भी राज्य में पार्टी के कम से कम चार सांसद दुबारा जीतकर आने चाहिए या पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी को कम से कम 2 फीसदी सीटें मिलनी चाहिए या पार्टी को कम से कम चार राज्यों में प्रांतीय पार्टी का दर्जा होना चाहिए.

2014 के लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव आयोग ने पराजित पार्टियों का भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखा था. लेकिन इस बार चुनाव आयोग ऐसा नहीं करेगा. चुनाव आयोग के फैसले के बाद राष्ट्रीय पार्टियों की संख्या आठ से घटकर पांच रह जाएगी. फिलहाल जिन आठ पार्टियों का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है, उनमें कांग्रेस, बीजेपी, माकपा, भाकपा, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस और मणिपुर, मेघालय, नगालैंड की पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) शामिल है.

गौरतलब है कि इनमें से चार पार्टियों, तृणमूल, राकांपा, भाकपा और बसपा को चुनाव आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किए थे. इन पार्टियों का जवाब मिलने के बाद चुनाव आयोग ने इनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा समाप्त नहीं किया था. इन पार्टियों को राष्ट्रीय दर्जा साबित करने के लिए दूसरे लोकसभा चुनाव तक का समय दे दिया था. अब 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बसपा ने तो अपना राष्ट्रीय दर्जा कायम रखा है, लेकिन तृणमूल, राकांपा और भाकपा दायरे से बाहर हैं. ये तीनों पार्टियां न तो राज्यों में अपना प्रदर्शन ठीक रख पाई, न ही उन्हें पर्याप्त वोट मिले.

इस बार पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन ठीक नहीं रहने से राकांपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म हो सकता है. तृणमूल कांग्रेस का पश्चिम बंगाल के अलावा और किसी राज्य में मौजूदगी नहीं है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त पार्टी एक ही चुनाव चिन्ह पर देश में कहीं भी चुनाव लड़ सकती है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा नहीं होने पर यह नियम लागू नहीं होता. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म होने के बाद उस पार्टी को चुनाव के दौरान दूरदर्शन और आकाशवाणी जैसे माध्यमों पर भी प्रचार के लिए समय नहीं मिलता.

लगता है होटल मालिकों की सेवा में जुटे हैं वन और पर्यटन विभागः हरीश मीना

कांग्रेस विधायक और राजस्थान के पूर्व डीजीपी हरीश मीना ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि ऐसा लगता है, जैसे वन विभाग और पर्यटन विभाग होटल मालिकों की सेवा में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग पीढ़ियों से जंगल में रह रहे हैं, जहां उनकी जमीन है उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाना चाहिए. हरीश मीना बजट में वन, पर्यटन एवं राजस्व विभाग की अनुदान मांगों पर बहस में भाग ले रहे थे.

मीना ने कहा कि जब से वन विभाग बना है, तब से वन भी कटे हैं और जानवर भी घटे हैं. वहां होटल माफिया भी पनप गया है. स्थानीय लोगों की जमीनें छीनकर उन्हें उनके ही गांवों से बेदखल कर दिया गया है. इसमें होटल माफिया, अधिकारी, नेता और बड़े पूंजीपति शामिल हैं. फॉरेस्ट एक्ट में कभी भी बड़े होटल वालों या किसी बड़े ग्रुप का चालान नहीं होता. अगर कोई गांव वाला लकड़ी बटोरने या मवेशी चराने के लिए जंगल में चला जाए तो उस पर फॉरेस्ट एक्ट में चालान हो जाता है. स्थानीय वनवासियों को जबरन परेशान करने का यह सिलसिला रुकना चाहिए.

मीना ने कहा कि बीसलपुर बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले कई गांवों के लोगों को अभी तक जमीन का अधिकार नहीं मिला है. वन विभाग और राजस्व विभाग इस जमीन को अपनी बताते हैं, इसलिए गरीब लोगों के जमीन के पट्टे नहीं बन रहे हैं. उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इन लोगों से ज्यादा सुविधाएं सेंट्रल जेल में कैदियों को मिल रही है. उन्होंने राजस्व मंत्री हरीश चौधरी से कहा कि उत्तर प्रदेश और गुजरात में पटवारी के पद समाप्त कर दिए गए हैं. वहां राजस्व रिकॉर्ड का काम ग्राम पंचायतों को दे दिया गया है. इस व्यवस्था में यहां भी कुछ सुधार किया जाना चाहिए. उन्होंने अपने क्षेत्र के हाथी भाटा स्थान को विकसित करने की भी मांग की.

बहस में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक अमीन खान ने गोचर और ओरण जमीन पर अवैध कब्जे का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने हजारों बीघा गोचर जमीनें बेच दी हैं. वहां दुकानें बन गई हैं. उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. अमीन खान ने डेजर्ट नेशनल पार्क का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस क्षेत्र में एक भी मोर तिलोर, गोडावण और चिंकारा नहीं है, जबकि धोरीमन्ना और चौहटन के गांवों में ये पक्षी और जानवर काफी संख्या में मिल जाएंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि डेजर्ट नेशनल पार्क से इनके गायब होने का कारण यह है कि यहां मस्ती करने वाले लोग उन्हें नोचकर खा गए. डेजर्ट नेशनल पार्क के नाम पर सड़क ही नहीं, बल्कि सेना की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया है.

विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि वन एवं पर्यावरण का मानव सभ्यता के साथ चोली-दामन का साथ है. विकास की होड़ में पर्यावरण इतना बिगड़ा कि ग्रीन हाउस गैसों के कारण धरती का तापमान बढ़ गया है. ग्रीन पीस ने विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों का सर्वे किया है. ऐसे शीर्ष 50 शहरों में राजस्थान के सात शहर, जयपुर, जोधपुर, पाली, उदयपुर, अलवर, अजमेर और कोटा शामिल हैं. वनों की कमी के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि विलायती बबूल की जगह परंपरागत बरगद, नीम, खेजड़ी, गूलर आदि के पेड़ लगाए जा सकते हैं. विलायती बबूल हमारे यहां के मौसम के हिसाब से ठीक नहीं है. उन्होंने खेजड़ी पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का सुझाव भी दिया.

बलजीत यादव ने नीमराणा में कारखानों के कारण फैल रहे प्रदूषण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि कारखानों को अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से पहले पेड़ लगाने के लिए पाबंद किया जाना चाहिए. उन्होंने बहरोड के तहसीलदार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कस्बे में रास्तों पर अतिक्रमण हो रहा है. यह अतिक्रमण एक आदमी ने कर रखा है. कई जगह सड़कें रोक दी गई है. पैसे लेकर उन्हें नहीं खोला जा रहा है. अलवर कलेक्टर मौके पर पहुंचे तब सिर्फ एक सड़क खोली गई. दिल्ली के एक भूमाफिया ने अनाज मंडी के लिए अधिग्रहीत जमीन पर कब्जा कर रखा है. उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. उन्होंने बहरोड मिड-वे को फिर से शुरू करने की मांग की.

गोपाल मीणा ने बहस में भाग लेते हुए रामगढ़ को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने याद दिलाया कि 1982 के एशियाज में नौकायन प्रतियोगिता रामगढ़ में हुई थी. विदेशों में जयपुर का नाम हुआ था. आज रामगढ बांध में पानी नहीं है और खेल गांव सूना पड़ा है, बंद है. बांध में पानी आना चाहिए और क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से फिर मजबूत बनाना चाहिए. बीजेपी सदस्य रामलाल शर्मा ने कहा कि वन क्षेत्र में पानी का इंतजाम हो तो जानवर आबादी वाले क्षेत्रों में आकर हमला नहीं करेंगे. उन्होंने शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि स्कूलों में ही बच्चों को कम से कम एक पौधा लगाने का संकल्प दिलाया जाए.

माकपा के बलवंत पूनिया ने वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया और अवैध आबंटनों को निरस्त करने की मांग की. उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा, पेड़ कहां लगे, कितने लगे, कौनसे लगे, इसकी जांच होनी चाहिए. वन अधिकारियों के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यमराज हिसाब करे, उससे पहले संविधान को हिसाब करना चाहिए. बीजेपी के राम प्रकाश कासनिया ने कहा कि सरकारी जमीन पर लोगों ने कई वर्षों से कब्जा कर रखा है.

गिरिराज सिंह ने वन विभाग के अधिकारियों पर पेड़ों की अवैध कटाई करवाने के आरोप लगाए और जांच की मांग की. निर्दलीय विधायक खुशवीर सिंह ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण पर सख्त कानून बनाने, मंजू देवी ने जायल में श्मशान भूमि से अतिक्रमण हटाने और सुरेश टांक ने पटवारियों की भर्ती करने के साथ ही सिवायचक और श्मशान भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग की. गोपीचंद ने वन भूमि में बसे आदिवासी लोगों को पट्टे जारी करने, रफीक खान ने जयपुर के जामडोली में वन विभाग की जमीन पर बसे लोगों का अन्यत्र पुनर्वास करने की मांग उठाई.

अयोध्या मामले पर सुनवाई दो अगस्त तक टली, मध्यस्थता कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार

अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 2 अगस्त तक टल गई है. उसके बाद ओपन कोर्ट में नियमित सुनवाई हो सकती है. कोर्ट ने एक अगस्त तक मध्यस्थता कमेटी को अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर नियमित सुनवाई होती है तो मौजूदा पांच जजों की बेंच ही सुनवाई करेगी. फिलहाल कोर्ट ने सुनवाई के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है. इस दौरान मध्यस्थता कमेटी अपना काम जारी रखेगी.

हालांकि मध्यस्थता कमेटी के रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट 15 अगस्त के बाद इस मामले पर सुनवाई करने वाला था लेकिन कुछ पक्षकारों ने मध्यस्थता कमेटी के बातचीत के ज़रिये हल निकालने की कोशिशों के शुरुआती परिणाम को ठोस नहीं माना. उनके अनुसार अगर बातचीत के लिए और वक्त दिया गया तो समय बर्बादी से ज्यादा कुछ नहीं होगा.

पिछले सप्ताह इस मामले पर हुई पहली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि अगर मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखना जरूरी न लगा तो 25 जुलाई को नियमित सुनवाई शुरू कर ​दी जाएगी. आज हुई सुनवाई में 2 अगस्त तक सुनवाई टल गई है.

बता दें, राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद ढांचा विवाद मामले में इसी साल एक मध्यस्थता पैनल बनाया गया था. कमेटी इस मामले पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.

राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के बायकाट का सिलसिला जारी

राजस्थान विधानसभा में बुधवार को बीजेपी ने लगातार तीसरे दिन प्रश्नकाल का बायकाट किया. बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने बेरोजगारी भत्ते को लेकर सवाल पूछा था. कौशल विकास मंत्री अशोक चांदना ने जवाब दिया कि दिसंबर 2018 से मई 2019 तक अक्षत योजना और मुख्यमंत्री युवा संबल योजना के तहत 40,118 बेरोजगारों को कुल 69.42 करोड़ रुपए का बेरोजगारी भत्ता दिया गया.

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री युवा संबल योजना के तहत 3500 रु. तक की राशि बेरोजगारी भत्ते के रूप में दी जा रही है. इस पर सराफ ने कहा कि अक्षत योजना तो पिछली सरकार की थी, मुख्यमंत्री युवा संबल योजना के तहत बेरोजगारों को कितना भत्ता दिया गया, आप ये बताइए.

विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सराफ को पूरक प्रश्न पूछने पर टोका तो बीजेपी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया. बाद में वे नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए. इस तरह बीजेपी विधायकों ने लगातार तीसरे दिन विधानसभा में प्रश्नकाल का बायकाट किया.

सोमवार को पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह की टिप्पणी से बीजेपी सदस्य भड़क गए थे. वे 54 मिनट तक सदन में धरने पर बैठे रहे. मंगलवार को राजेन्द्र राठौड़ ने बजरी खनन से जुड़ा सवाल पूछा था. जवाब के बाद राठौड़ पूरक प्रश्न का जवाब चाहते थे, लेकिन सीपी जोशी ने अप्रासंगिक बताते हुए अनुमति नहीं दी. इस पर बीजेपी सदस्यों ने हंगामा करते हुए प्रश्नकाल का बायकाट कर दिया था.

बुधवार को भी यही सिलसिला जारी रहा. इस तरह विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान तीन दिन में 26 से ज्यादा सवाल स्थगित करने पड़े और सदन की कार्यवाही 99 मिनट तक रुकी रही.

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कर्नाटक की सियासी राजनीतिक और आज विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट पर देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं. आज कर्नाटक विधानसभा में स्पीकर रमेश कुमार के समक्ष जिस पार्टी ने बहुमत साबित किया, सरकार उसकी बन जाएगी. हालांकि पलड़ा बीजेपी का भारी है लेकिन दोनों जेडीएस-कांग्रेस भी बहुमत का दावा कर रही है. इसी बीच बीजेपी नेता येदुयप्पा विधानसभा पहुंच गए हैं. उनके साथ बीजेपी के करीब-करीब सभी विधायकों का सदन में पहुंचना बदस्तूर जारी है. विधानसभा की कार्यवाही थोड़ी देर में शुरू होगी.

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बता दें, कर्नाटक विधानसभा में निर्वाचित विधायकों की संख्या 224 है. सदन में कांग्रेस के विधायकों की कुल संख्या 79 है जिसमें एक विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल है. जेडीएस के पास 37 विधायक हैं. बीजेपी की तो उनके पास विधानसभा में 105 विधायक पहले से ही मौजूद हैं. 2 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को पहले ही समर्थन देने की घोषणा कर रखी है. ऐसे में उनके पास कुल विधायकों की संख्या 107 हो जाती है.

अगर विश्वासमत के दौरान कांग्रेस के 16 बागी विधायक गैर मौजूद रहते हैं तो विधानसभा में मौजूद विधायकों की संख्या 208 तक पहुंच जाएगी. ऐसे में बहुमत साबित करने के लिए जो जादूई आंकड़ा बचेगा वो 105 विधायक है.

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